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Friday, 22 November, 2024
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अरुणाचल में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा- बॉर्डर क्षेत्रों में इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास इलाके के लिए गेमचेंजर

सात राज्यों में बीआरओ द्वारा तैयार किए 28 ढांचागत प्रोजेक्ट्स का रक्षा मंत्री ने उद्धाटन किया. इन परियोजनाओं के जरिए सीमावर्ती इलाकों में सेना की टुकड़ियां भारी हथियारों के साथ आगे बढ़ सकती हैं.

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नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 9 दिसंबर को भारत और चीन के सैनिकों के बीच तवांग में हुई झड़प के बाद पहली बार अरुणाचल प्रदेश का मंगलवार को दौरा किया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि सीमावर्ती इलाकों में ढांचागत विकास लोगों के जीवन को बदल रहा है.

उन्होंने कहा, ‘मैदानी इलाकों में सरकार सड़कें बना रही हैं लेकिन सीमावर्ती इलाकों में सड़कें काफी खराब है. कई क्षेत्रों में ट्रैक्स भी नहीं है. ऐसे क्षेत्रों में सरकार ने कई लोककल्याणकारी योजनाएं शुरू की हैं जिनमें मूलभूत चीजें जैसे कि बिजली, टेलीकम्युनिकेशन, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं दी जा रही हैं.’

अरुणाचल प्रदेश के सियांग जिले में सियोम ब्रिज के उद्घाटन समारोह के दौरान रक्षा मंत्री बोल रहे थे.

उन्होंने कहा कि पूर्वी एशिया तक पहुंचने के लिए पूर्वोत्तर क्षेत्रों का विकास सरकार की प्राथमिकता है. न सिर्फ विकास के नजरिए से बल्कि पूर्वी एशिया से व्यापार, पर्यटन के लिहाज से रिश्ते मजबूत करने के लिए भी इस क्षेत्र का विकास जरूरी है.

उन्होंने कहा, ‘पीएम नरेंद्र मोदी देश के लोगों तक सुविधाओं और विकास पहुंचाने का काम कर रहे हैं, खासकर पूर्वोत्तर इलाकों में. रणनीतिक लिहाज से भी यह सड़के काफी जरूरी हैं.’

उन्होंने आगे कहा कि भारत हमेशा से युद्ध के खिलाफ रहा है. भारत ने न कभी किसी देश के खिलाफ युद्ध छेड़ा न ही किसी की एक भी इंच जमीन हड़पी.

उन्होंने कहा, ‘मैं अक्सर बीआरओ (बॉर्डर रोड्स आर्गेनाइजेशन) को ब्रो (भाई) समझकर कन्फ्यूज हो जाता हूं लेकिन जब मैं उनका काम देखता हूं तो वे वास्तव में सेना और लोगों के लिए भाई ही हैं.’

सात राज्यों में बीआरओ द्वारा तैयार किए 28 ढांचागत प्रोजेक्ट्स का रक्षा मंत्री ने उद्धाटन किया. इन परियोजनाओं के जरिए सीमावर्ती इलाकों में सेना की टुकड़ियां भारी हथियारों के साथ आगे बढ़ सकती हैं.

उन्होंने कहा, ‘खूबसूरत और प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर होने के बावजूद पूर्वोत्तर क्षेत्र में विकास नहीं हुआ. आजादी के कई साल बाद भी सुरक्षा के लिहाज और कनेक्टिवटी के कारण नजरअंदाज किया गया, जिससे यहां मूलभूत सुविधाएं भी नहीं पहुंची जिसने यहां के अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया.’

इन परियोजनाओं में 724.3 करोड़ रुपए की लागत आई है जिनमें से आठ प्रोजेक्ट लद्दाख में, दो राजस्थान, तीन उत्तराखंड और पंजाब और चार जम्मू-कश्मीर में है.


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