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Monday, 4 November, 2024
होमदेशप्रकाश जावड़ेकर बोले- साउथ के दोनों चैनलों पर लगा प्रतिबंध हटाया, मोदी सरकार प्रेस स्वतंत्रता का समर्थन करती है

प्रकाश जावड़ेकर बोले- साउथ के दोनों चैनलों पर लगा प्रतिबंध हटाया, मोदी सरकार प्रेस स्वतंत्रता का समर्थन करती है

मीडिया वन और एशियानेट न्यूज टीवी पर दिल्ली हिंसा की कवरेज को लेकर शुक्रवार को 48 घंटे का प्रतिबंध लगाया था और कहा था इस तरह की खबर से सांप्रदायिक विद्वेष बढ़ सकता है.

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नई दिल्ली: सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने केरल के टीवी समाचार चैनलों – एशियानेट न्यूज और मीडिया वन पर लगाया गया 48 घंटे का प्रतिबंध हटा दिया है.

दोनों चैनलों पर लगाए गए प्रतिबंध पर सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा- ‘हमने दोनों समाचार चैनलों पर लगाया गया प्रतिबंध हटा लिया है. मोदी सरकार हमेशा से प्रेस स्वतंत्रता का समर्थन करती है.’

जावड़ेकर ने यह भी कहा कि चैनलों पर लगाए गए प्रतिबंध लगाए जाने पर पीएम ने भी पूछताछ की और चिंता जताई. ये कैसे हुआ हम इसकी जांच करेंगे,संबंधी अधिकारियों से पूछताछ करेंगे. मोदी सरकार हमेशा प्रेस स्वतंत्रता की हिमायती रही है. दिल्ली जाने के बाद मैं इसकी जांच करूंगा.

गौरतलब है कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा की कवरेज को लेकर केरल के दो समाचार चैनलों के प्रसारण पर शुक्रवार को 48 घंटे की रोक लगाते हुए कहा था कि इस तरह की खबर से ‘साम्प्रदायिक विद्वेष’ बढ़ सकता है.

मंत्रालय ने देशभर में किसी भी प्लेटफार्म से दोनों चैनलों के प्रसारण एवं पुनर्प्रसारण पर छह मार्च शाम साढ़े सात बजे से आठ मार्च शाम साढ़े सात बजे तक के लिए रोक लगाई थी. लेकिन 7 मार्च की सुबह ही इसपर से प्रतिबंध हटा लिया गया है.

बता दें कि एशियानेट पर से प्रतिबंध जहां  6-7 की दरमियानी रात सुबह 1.30 बजे ही हटा दिया गया था वहीं मीडियावन टीवी का प्रसारण आज सुबह शुरू कर दिया गया है.

केंद्र के कदम की आलोचना करते हए माकपा के राज्य सचिव कोडियेरी बालकृष्णन ने आरोप लगाया कि यह मीडिया पर नियंत्रण करने का प्रयास है.

कारण बताओ नोटिस

मीडिया वन और एशियानेट न्यूज टीवी हैं. दोनों ही चैनल को शुरुआत में कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था और उनके जवाब दाखिल करने के बाद मंत्रालय ने पाया कि उन्होंने केबल टीवी नेटवर्क (नियमन) कानून, 1995 के तहत निर्धारित कार्यक्रम संहिता का उल्लंघन किया है.

सूत्रों ने बताया कि दोनों चैनलों ने मंत्रालय को पत्र लिखकर प्रतिबंध हटाने का अनुरोध किया था जिसके बाद रोक हटाई गई.

दिल्ली में पिछले महीने हुए सांप्रदायिक दंगों पर दी गई खबरों को लेकर इन चैनलों के प्रसारण पर 48 घंटे की रोक लगाई गई थी. आधिकारिक आदेशों में कहा गया कि इन चैनलों ने 25 फरवरी की घटनाओं की रिपोर्टिंग इस तरह से की जिसमें ‘उपासना स्थलों पर हमले का विशेष रूप से जिक्र किया गया और किसी खास धर्म का पक्ष लिया गया.’

मीडिया वन को लेकर दिए गए मंत्रालय के आदेश में कहा गया, ‘दिल्ली हिंसा पर चैनल की रिपोर्टिंग पक्षपातपूर्ण लगती है क्योंकि इसमें संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के समर्थकों द्वारा की गई तोड़-फोड़ पर जानबूझकर सारा ध्यान केंद्रित किया गया.’

आदेश में कहा गया, ‘इसने आरएसएस पर भी सवाल उठाए और दिल्ली पुलिस पर निष्क्रियता के आरोप लगाए. चैनल दिल्ली पुलिस और आरएसएस की आलोचना करने वाला प्रतीत हुआ.’

मंत्रालय ने देशभर में किसी भी प्लेटफार्म से एशियानेट न्यूज और मीडिया वन के प्रसारण एवं पुनर्प्रसारण पर छह मार्च (शुक्रवार) शाम साढ़े सात बजे से आठ मार्च (रविवार) शाम साढ़े सात बजे तक के लिए रोक लगा दी थी.

कांग्रेस और भाकपा ने चैनलों के प्रसारण पर रोक लगाने के लिए सरकार की कड़ी निंदा की थी और इस कार्रवाई को मीडिया स्वतंत्रता पर हमला बताया.

कांग्रेस के नेता रमेश चेन्निथला ने इसे प्रेस की आजादी के खिलाफ और ‘असंवैधानिक’ बताया.

समाचार चैनलों पर केंद्र की रोक की माकपा और विपक्षी कांग्रेस ने शुक्रवार को निंदा की तथा इसे मीडिया को धमकाने का ‘घृणित प्रयास’ करार दिया था.

मंत्रालय द्वारा लगाए गए इस प्रतिबंध को चैनल ने मीडिया और लोकतंत्र पर ‘अघोषित आपातकाल‘ कहा था. मीडिया टीवी के प्रबंधन संपादक सी दाऊद ने कहा, हम इस आदेश पर अदालत का रुख करेंगे.’

‘इस आदेश में यह भी उल्लेख किया गया है कि यह रिपोर्ट दिल्ली पुलिस और आरएसएस की आलोचना करती हुई थी. यह सीधे तौर पर मीडिया और लोकतंभ पर एक अघोषित आपातकाल ही कहा जाएगा.’

(भाषा के इनपुट्स के साथ)

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