इंदौर (मप्र), 26 सितंबर (भाषा) इंदौर नगर निगम ने सोमवार को तय किया कि देश की गुलामी के वक्त शहर में अंग्रेजों के विकसित रेसीडेंसी क्षेत्र का नाम सरकारी रिकॉर्ड में बदला जाएगा और इसे वर्ष 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के शहीद क्रांतिकारी महाराणा बख्तावर सिंह क्षेत्र के रूप में नयी पहचान दी जाएगी।
अधिकारियों ने बताया कि नये महापौर पुष्यमित्र भार्गव की अध्यक्षता में ‘मेयर-इन-काउंसिल’ की बैठक में यह फैसला किया गया।
बैठक के बाद भार्गव ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमने रेसीडेंसी एरिया का नाम बदलने का फैसला किया है क्योंकि यह ब्रितानी राज के दौरान देश की गुलामी का प्रतीक है।’’
उन्होंने बताया कि रेसीडेंसी एरिया का नाम 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान शहीद हुए महाराणा बख्तावर सिंह के नाम पर रखा जाएगा। भार्गव ने बताया कि सिंह को अंग्रेजों ने रेसीडेंसी एरिया में नीम के पेड़ पर फांसी दी थी और मृत्युदंड के नियम-कायदों का उल्लंघन करते हुए उनके शव को तीन दिन तक इसी पेड़ पर लटकाकर रखा गया था।
अधिकारियों ने कहा कि महाराणा बख्तावर सिंह इंदौर के नजदीक अमझेरा रियासत के शासक थे और अंग्रेजों के खिलाफ सैन्य क्रांति के लिए उन्हें इंदौर में 10 फरवरी 1858 को पेड़ पर लटकाकर फांसी की सजा दी गई थी।
इतिहासकार जफर अंसारी ने बताया कि 1818 के दौरान महिदपुर के युद्ध में मालवा अंचल के होलकर शासकों की अंग्रेजों के हाथों हार हुई थी और इसके बाद अंग्रेजों ने इंदौर में अपनी रेसीडेंसी कायम करते हुए इसके जरिये समूचे मध्य भारत की रियासतों को नियंत्रित करना शुरू कर दिया था।
नगर निगम के अधिकारियों ने बताया कि महापौर की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में यह फैसला भी किया गया कि पिछले महीने रामसर स्थल घोषित सिरपुर तालाब का नामकरण पूर्व होलकर राजवंश की शासक अहिल्या बाई के नाम पर ‘अहिल्या सरोवर’ के रूप में किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि इसके साथ ही स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर की जन्मस्थली में उनकी याद को चिरस्थायी बनाने के लिए शहर के गांधी हॉल में उनकी प्रतिमा स्थापित की जाएगी।
मंगेशकर का जन्म इंदौर में 28 सितंबर 1929 को हुआ था और उन्होंने छह फरवरी 2022 को मुंबई में आखिरी सांस ली थी।
भाषा हर्ष नेत्रपाल
नेत्रपाल
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