नयी दिल्ली, 28 अप्रैल (भाषा) वर्ष 2024 में भारत का सैन्य खर्च पाकिस्तान के मुकाबले लगभग नौ गुना अधिक रहा। स्वीडन के एक प्रमुख विचार मंच द्वारा सोमवार को जारी किए गए एक अध्ययन में यह बात कही गई।
यह अध्ययन पहलगाम हमले को लेकर दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव के बीच आया है।
‘स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट’ (सिप्री) के अनुसार, भारत का सैन्य व्यय 1.6 प्रतिशत बढ़कर 86.1 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया, जबकि पाकिस्तान का सैन्य व्यय 10.2 अरब अमेरिकी डॉलर रहा।
रिपोर्ट में कहा गया कि सैन्य व्यय के मामले में शीर्ष पांच देशों में अमेरिका, चीन, रूस, जर्मनी और भारत का वैश्विक सैन्य खर्च में 60 प्रतिशत योगदान है तथा इनका संयुक्त व्यय 1,635 अरब अमेरिकी डॉलर है।
अध्ययन में कहा गया कि चीन का सैन्य व्यय 7.0 प्रतिशत बढ़कर अनुमानतः 314 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया है, जो लगातार तीन दशकों की वृद्धि को दर्शाता है।
‘विश्व सैन्य व्यय में चलन 2024’ नामक रिपोर्ट में कहा गया कि कम्युनिस्ट देश का एशिया और ओशिनिया में कुल सैन्य खर्च में 50 प्रतिशत का योगदान है, जो अपनी सेना के निरंतर आधुनिकीकरण और साइबर युद्ध क्षमताओं तथा परमाणु शस्त्रागार के विस्तार में निवेश कर रहा है।
सिप्री ने कहा कि यूरोप (रूस सहित) में सैन्य खर्च 17 प्रतिशत बढ़कर 693 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया और 2024 में वैश्विक सैन्य व्यय वृद्धि में इसका मुख्य योगदान रहा।
रिपोर्ट में कहा गया कि यूक्रेन में युद्ध तीसरे वर्ष भी जारी रहने कारण पूरे महाद्वीप में सैन्य व्यय में वृद्धि जारी रही, जिससे यूरोपीय सैन्य व्यय शीतयुद्ध के अंत में दर्ज स्तर से भी अधिक हो गया।
सिप्री ने कहा कि रूस का सैन्य व्यय 2024 में अनुमानतः 149 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया, जो 2023 से 38 प्रतिशत की वृद्धि तथा 2015 के स्तर से दोगुना है।
यह रूस के सकल घरेलू उत्पाद का 7.1 प्रतिशत तथा रूस सरकार के समस्त व्यय का 19 प्रतिशत था।
यूक्रेन का कुल सैन्य व्यय 2.9 प्रतिशत बढ़कर 64.7 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया जो रूस के व्यय का 43 प्रतिशत है।
सिप्री ने कहा कि मध्य और पश्चिमी यूरोप के कई देशों में 2024 में सैन्य खर्च में अभूतपूर्व वृद्धि दिखी, क्योंकि उन्होंने बड़े पैमाने पर खरीद योजनाओं को लागू किया।
भाषा नेत्रपाल माधव
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