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Thursday, 21 November, 2024
होमदेशकैसा टकराव? चीन से भारत का इंपोर्ट बढ़कर लगभग $100 बिलियन, सबसे आगे हैं स्मार्टफोन्स और मशीनरी

कैसा टकराव? चीन से भारत का इंपोर्ट बढ़कर लगभग $100 बिलियन, सबसे आगे हैं स्मार्टफोन्स और मशीनरी

चीन के अधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2021 में उसका भारत को निर्यात बढ़कर 97.52 बिलियन डॉलर पहुंच गया, जबकि दोतरफा द्विपक्षीय व्यापार 125.66 बिलियन डॉलर हो गया.

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नई दिल्ली: भारत में चीन से आयात कैलेंडर 2021 में पहली बार, तक़रीबन 100 बिलियन डॉलर के आंकड़े को छू गया, चूंकि बिजली व इलेक्ट्रॉनिक्स वस्तुओं, ख़ासकर स्मार्टफोन्स तथा मशीनरी, फर्टिलाइज़र्स और सक्रिय दवा सामग्री (एपीआई) समेत विशिष्ट रसायनों के आयात में भारी उछाल देखने को मिला है.

चीन के कस्टम विभाग (जीएसीसी) की ओर से प्रकाशित ताज़ा-तरीन आंकड़ों के अनुसार, 2021 में भारत को होने वाला निर्यात 97.52 बिलियन डॉलर पहुंच गया, जबकि दोतरफा द्विपक्षीय व्यापार 125.66 बिलियन डॉलर हो गया.

जीएसीसी के अनुसार, जिन चीज़ों के लदान में सबसे अधिक उछाल देखी गई, वो हैं बिजली और इलेक्ट्रॉनिक्स की वस्तुएं, जिनमें स्मार्टफोन्स और स्टोरेज यूनिट्स शामिल हैं; औद्योगिक वस्तुओं की विस्तृत रेंज, जिसमें टेलिकॉम उपकरण, ऑटो पार्ट्स और मशीन औज़ार शामिल हैं; और विशिष्ट रसायन जिनमें फर्टिलाइज़ की एपीआई और यूरिया, अमोनिया सल्फेट, और अन्य क़िस्में शामिल हैं.

भारत में चीन से पेट्रोलियम पदार्थों का अधिक आयात

भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा किए गए विदेश व्यापार प्रदर्शन विश्लेषण (एफटीपीए) के अनुसार, कैलेंडर वर्ष 2021 के पहले आठ महीनों में, आयात की गई मुख्य वस्तुओं के मामले में पेट्रोलियम (कच्चा) और पेट्रोलियम पदार्थ, मोती, क़ीमती और अर्ध-क़ीमती पत्थरों के साथ-साथ कोयला, कोक और ब्रिकेट्स के आयात में भी काफी वृद्धि देखी गई.

इस अवधि के दौरान ऐसी वस्तुओं का कुल मिलाकर 60 बिलियन डॉलर मूल्य का आयात किया गया. भारत की ओर से दिसंबर का वस्तुवार डेटा अभी जारी किया जाना है.

जेएनयू में स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज़ के सेंटर फॉर इकनॉमिक स्टडीज़ एंड प्लानिंग में, व्यापार अर्थशास्त्री और प्रोफेसर बिस्वजीत धर ने दिप्रिंट से कहा, ‘ऐसा लगता है कि चीन के साथ भारत के समग्र संबंध, अमेरिका-चीन रिश्तों की तरह हैं, जिनमें आर्थिक और राजनीतिक रिश्तों के अपने अलग डायनामिक्स होते हैं’.

धर ने कहा, ‘चीन के साथ बिगड़ते राजनीतिक रिश्तों के बावजूद, अमेरिका ‘दुनिया के कारख़ाने’ पर अपनी निर्भरता को कम नहीं कर पाया है. भारत सरकार के प्रयासों के बावजूद, भारत भी अपने आप को चीनी अर्थव्यवस्था से अलग करने में कामयाब नहीं हो पाया है. जब हमारे उद्योग पूरी तरह उबरकर महामारी-पूर्व के स्तरों पर आ जाएंगे, तो चीन पर भारत की निर्भरता और बढ़ सकती है’.

चीनी सरकार द्वारा संचालित ग्लोबल टाइम्स की एक रिपोर्ट में भी कहा गया: ‘द्विपक्षीय तनाव के बीच 2021 में चीन-भारत व्यापार में वृद्धि, जो एक रिकॉर्ड स्तर को छूते हुए 125 बिलियन डॉलर के पार हो गया, इस बात का एक और सबूत है कि नई दिल्ली, चीनी बाज़ार पर अपनी निर्भरता को कम करने में असमर्थ है’.

अनुभवी अर्थशास्त्री अजीत रानाडे ने कहा कि चीन से एपीआईज़ के आयात पर भारत की निर्भरता को कम करने में भी एक लंबा समय लगेगा.


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भारतीय निर्यातक संगठनों के महासंघ (एफआईईओ) के निदेशक और सीईओ, अजय सहाय ने आगे कहा कि ‘चीन से आयात के रिकॉर्ड स्तर को छूने का एक मुख्य कारण ये है कि घरेलू उद्योग की ओर से इल्क्ट्रॉनिक वस्तुओं और मशीनरी तथा एपीआईज़ की बहुत भारी मांग है’.

इस बीच, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के वाणिज्य विभाग के आधीन, वाणिज्यिक खुफिया और सांख्यिकी महानिदेशालय की ओर से जारी अस्थायी डाटा के अनुसार 2021 में चीन से भारत का आयात 87.5 बिलियन डॉलर पहुंच गया, जबकि कुल द्विपक्षीय व्यापार 114.30 बिलियन डॉलर रहा.

धर के अनुसार, भारतीय और चीनी आंकड़ों का बेमेलपन, डाटा की रिपोर्टिंग और ग़ैर-रिपोर्टिंग में रिसाव से जुड़े कुछ मुद्दों और निर्यातकों की ओर से कम बिल बनाने की वजह से हो सकता है.

भारत का चीन को निर्यात निरंतर बढ़ रहा है

एफआईईओ के अनुसार, चीन को भारत का निर्यात भी 2021 में रिकॉर्ड ऊंचाइयों को छू गया.

डीजीसीआईएस डाटा के अनुसार, चीन को भारत का निर्यात 2021 में उछलकर 24 बिलियन डॉलर हो गया, जो 2020 में 19 बिलियन और 2019 में 17.1 बिलियन डॉलर था.

सहाय ने आगे कहा, ‘भारत का चीन को निर्यात भी लगातार बढ़ रहा है. 2021 में हम चीन के कृषि बाज़ार में कुछ पहुंच बना पाए हैं. अब हम ग़ैर-बासमती चावल, विदेशी सब्ज़ियां, सोयाबीन्स और फल ज़्यादा मात्रा में निर्यात कर रहे हैं’.

रानाडे के अनुसार, यही कारण है जिसकी वजह से व्यापार घाटा क़ाबू में चल रहा है. भारत-चीन व्यापार का बढ़ता घाटा, दोनों देशों के बीच हमेशा से एक विवाद का विषय रहा है.

रानाडे ने कहा, ‘व्यापार घाटा 2019 तक तीन साल से कम होता जा रहा था, लेकिन अब ये फिर से बढ़ता जा रहा है. ये कहने के बाद हमें ये भी नहीं भूलना चाहिए कि महामारी के बावजूद आने वाले वर्षों में अमेरिका और चीन में 5 प्रतिशत आर्थिक विकास होगा. और अकेले चीन, 6 ट्रिलियन डॉलर का उपभोक्ता बाज़ार है’.

उन्होंने आगे कहा, ‘50 से अधिक देशों से चीन को अच्छा ख़ासा निर्यात होता है. अगर हमारे निर्यातक उस बाज़ार में घुस सकें, तो इससे हमारे विकास को काफी बल मिलेगा’.

डीजीसीआईएस के अस्थायी आंकड़ों के अनुसार 2021 में चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 61 बिलियन डॉलर था, जबकि 2020 में ये 39 बिलियन डॉलर था.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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