नयी दिल्ली, 19 अप्रैल (भाषा) तमिलनाडु के कलपक्कम में देश के पहले प्रोटोटाइप फास्ट-ब्रीडर रिएक्टर के अगले साल सितंबर तक तैयार हो जाने की उम्मीद है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (पीएफबीआर) का चालू होना भारत के तीन-चरण वाले परमाणु कार्यक्रम के दूसरे चरण को आगे बढ़ाएगा, जिसका उद्देश्य रेडियोधर्मी कचरे को कम करने के लिए ईंधन का पुनर्चक्रण करना है।
कलपक्कम में विकसित किया जा रहा पीएफबीआर अपनी तरह का पहला परमाणु रिएक्टर है जो ईंधन के रूप में प्लूटोनियम-आधारित मिश्रित ऑक्साइड एवं शीतलक के रूप में तरल सोडियम का उपयोग करता है।
देश में परमाणु ऊर्जा संयंत्रों का संचालन सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम लिमिटेड (एनपीसीआईएल) द्वारा किया जाता है, जबकि कलपक्कम में पीएफबीआर का विकास भारतीय नाभिकीय विद्युत निगम (भाविनी) द्वारा किया जा रहा है।
परमाणु ऊर्जा विभाग के अधिकारियों ने हाल ही में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर संसद की स्थायी समिति को बताया था कि भाविनी का 500 मेगावाट का पीएफबीआर एकीकृत संचालन शुरू किये जाने के अंतिम चरण में पहुंच गया है।
उन्होंने समिति को बताया कि पीएफबीआर की पहली ‘क्रिटिकलिटी’ (परमाणु रिएक्टर की वह स्थिति, जिसमें स्वत: परमाणु श्रृंखला अभिक्रिया होती है) मार्च में प्राप्त होने की उम्मीद है और संयंत्र सितंबर 2026 तक पूरा हो जाएगा।
पिछले साल जुलाई में परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (एईआरबी) ने पीएफबीआर के लिए ईंधन भरने और कम-ऊर्जा वाले भौतिकी प्रयोग करने की अनुमति प्रदान की थी।
पीएफबीआर भारत के परमाणु कार्यक्रम के लिए महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इन रिएक्टरों से प्राप्त ईंधन का उपयोग थोरियम आधारित रिएक्टरों को ऊर्जा देने के लिए किया जाएगा।
सरकार ने परमाणु ऊर्जा मिशन की घोषणा की है जिसका लक्ष्य 100 गीगावाट परमाणु बिजली का उत्पादन करना है।
भाषा रंजन सुभाष
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