जयपुर, चार मार्च (भाषा) केंद्रीय वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने मंगलवार को कहा कि भारत की संसाधनों के अनुकूलतम उपयोग वाली (सर्कुलर) अर्थव्यवस्था में 2050 तक 2,000 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का बाजार बनाने और लगभग एक करोड़ नौकरियां पैदा करने की क्षमता है।
यादव यहां भारत और प्रशांत क्षेत्र के 12वें क्षेत्रीय 3आर और सर्कुलर इकोनॉमी फोरम को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा, “वर्ष 2050 तक भारत की सर्कुलर अर्थव्यवस्था 2,000 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का बाजार और लगभग एक करोड़ नौकरियां पैदा कर सकती है। वहीं, वैश्विक स्तर की बात करें तो यह सर्कुलर अर्थव्यवस्था वर्ष 2030 तक 4,500 अरब अमेरिकी डॉलर का अतिरिक्त आर्थिक उत्पादन कर सकती है।”
यादव ने कहा कि सर्कुलर अर्थव्यवस्था 250 साल पहले हुई औद्योगिक क्रांति के बाद व्यापार में सबसे बड़े परिवर्तनों को सामने लाएगी और उत्पादन तथा उपभोग के अब तक चले आ रहे पारंपरिक मॉडल ‘टेक, मेक, वेस्ट’ में क्रांतिकारी परिवर्तन करेगी।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत प्लास्टिक अपशिष्ट चुनौतियों और उनके संबंधित पारिस्थितिक प्रभावों को कम करने के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा, “प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम (2016) के जरिये नगर पालिका, औद्योगिक, आवासीय और वाणिज्यिक क्षेत्रों को लक्षित करते हुए महत्वपूर्ण उपाय किए गए हैं। भारत ने 2022 में अधिसूचना के माध्यम से एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक की कुछ श्रेणियों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके साथ ही मिशन ‘लाइफ’ पहल के साथ जुड़ते हुए मंत्रालय ने ऊर्जा दक्षता और सर्कुलर अर्थव्यवस्था के सिद्धांतों को बढ़ावा देते हुए पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों की मांग बढ़ाने के लिए इको-मार्क नियम लागू किए हैं।”
यादव ने बताया कि 10 अपशिष्ट श्रेणियों के लिए सर्कुलर अर्थव्यवस्था कार्य योजना को अंतिम रूप दिया गया है, जिसके लिए विनियामक और कार्यान्वयन रूपरेखा पर काम चल रहा है।
इस कार्यक्रम के दूसरे दिन कचरा प्रबंधन में वैज्ञानिक सहयोग को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) और आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए।
भाषा
पृथ्वी पारुल
पारुल
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