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रविवार, 15 जून, 2025
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गाजा पर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव से भारत का दूर रहना ‘‘शर्मनाक’’: प्रियंका गांधी

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वायनाड/मलप्पुरम (केरल), 14 जून (भाषा) कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने गाजा में आम नागरिकों की सुरक्षा और मानवीय दायित्वों को बरकरार रखने संबंधी संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव से दूर रहने के भारत सरकार के फैसले को शनिवार को ‘‘शर्मनाक’’ और ‘‘निराशाजनक’’ करार दिया।

प्रियंका ने कहा कि भारत सरकार ने ऐसे समय में कोई रुख नहीं अपनाया, जब 60,000 लोग, जिनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं, मारे जा चुके हैं और गाजा की पूरी आबादी को ‘‘बंदी बनाकर भूख से मरने के लिए मजबूर किया जा रहा है।’’

उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘यह शर्मनाक और निराशाजनक है कि हमारी सरकार ने गाजा में आम नागरिकों की सुरक्षा और कानूनी एवं मानवीय दायित्वों को कायम रखने के लिए लाए गए संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव पर अनुपस्थित रहने का फैसला किया है।’’

प्रियंका ने कहा, ‘‘60,000 लोग, जिनमें अधिकतर महिलाएं और बच्चे शामिल हैं, पहले ही मारे जा चुके हैं, एक पूरी आबादी को कैद किया जा रहा है और भूख से मौत के घाट उतार दिया जा रहा है। ऐसे में हम कोई रुख नहीं अपना रहे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह हमारी उपनिवेशवाद-विरोधी विरासत के विपरीत कदम है। जब नेतन्याहू ने पूरे देश को नष्ट कर दिया है, तब हम वास्तव में न केवल चुप खड़े हैं बल्कि खुश भी हो रहे हैं। उनकी (इजराइल) सरकार ईरान पर हमला कर रही है और उसकी संप्रभुता का घोर उल्लंघन एवं सभी अंतरराष्ट्रीय मानदंडों का पूर्ण उल्लंघन करते हुए उसके नेतृत्व की हत्या कर रही है।’’

प्रियंका ने जोर देकर कहाा, ‘‘हम, एक राष्ट्र के रूप में, अपने संविधान के सिद्धांतों और हमारे स्वतंत्रता संग्राम के उन मूल्यों को कैसे त्याग सकते हैं जिन्होंने शांति और मानवता पर आधारित अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र का मार्ग प्रशस्त किया?’’

उन्होंने कहा कि इसका कोई औचित्य नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘सच्चा वैश्विक नेतृत्व न्याय की रक्षा करने के लिए साहस की मांग करता है, भारत ने अतीत में यह साहस दिखाया है।’’

बाद में प्रियंका ने वायनाड में संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने गाजा की स्थिति के बारे में कई बार अपने विचार व्यक्त किए हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मानना ​​है कि वहां जो कुछ हो रहा है, वह मानवीय स्तर पर और हर स्तर पर बहुत गलत है। मैंने यह बात बार-बार कही है।’’

प्रस्ताव पर हुए मतदान में भारत समेत 19 देशों ने भाग नहीं लिया, जबकि 12 देशों ने प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया और पक्ष में 149 वोट पड़े।

‘नागरिकों की सुरक्षा और कानूनी एवं मानवीय दायित्वों को कायम रखना’ शीर्षक वाले प्रस्ताव पर मतदान की व्याख्या में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पर्वतनेनी हरीश ने कहा कि भारत गहराते मानवीय संकट से बहुत चिंतित है और नागरिकों की मौत की घटना की निंदा करता है।

हरीश ने कहा कि भारत पहले भी इजराइल-फलस्तीन मुद्दे पर प्रस्तावों से दूर रहा है।

भाषा सिम्मी रंजन

रंजन

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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