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Saturday, 15 June, 2024
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हमारी विधि व्यवस्था का भारतीयकरण समय की जरूरत है: CJI रमन्ना

न्यायमूर्ति रमन्ना ने कहा कि हमारी न्याय व्यवस्था कई बार आम आदमी के लिए कई अवरोध खड़े कर देती है.

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बेंगलुरू: भारत के प्रधान न्यायाधीश एन वी रमन्ना ने शनिवार को कहा कि देश की विधि व्यवस्था का भारतीयकरण करना समय की जरूरत है और न्याय प्रणाली को और अधिक सुगम तथा प्रभावी बनाना आवश्यक है.

उन्होंने कहा कि अदालतों को वादी-केंद्रित बनना होगा और न्याय प्रणाली का सरलीकरण अहम विषय होना चाहिए.

न्यायमूर्ति रमन्ना ने कहा, ‘हमारी न्याय व्यवस्था कई बार आम आदमी के लिए कई अवरोध खड़े कर देती है. अदालतों के कामकाज और कार्यशैली भारत की जटिलताओं से मेल नहीं खाते. हमारी प्रणालियां, प्रक्रियाएं और नियम मूल रूप से औपनिवेशिक हैं और ये भारतीय आबादी की जरूरतों से पूरी तरह मेल नहीं खाते.’

उच्चतम न्यायालय के दिवंगत न्यायाधीश न्यायमूर्ति मोहन एम शांतनगौदर को श्रद्धांजलि देने के लिए यहां आयोजित एक कार्यक्रम में प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘जब मैं भारतीयकरण कहता हूं तो मेरा आशय हमारे समाज की व्यावहारिक वास्तविकताओं को स्वीकार करने तथा हमारी न्याय देने की प्रणाली का स्थानीयकरण करने की जरूरत से है. उदाहरण के लिए किसी गांव के पारिवारिक विवाद में उलझे पक्ष अदालत में आमतौर पर ऐसा महसूस करते हैं जैसे कि उनके लिए वहां कुछ हो ही नहीं रहा, वे दलीलें नहीं समझ पाते, जो अधिकतर अंग्रेजी में होती हैं.’

न्यायमूर्ति रमन्ना ने कहा कि इन दिनों फैसले लंबे हो गये हैं, जिससे वादियों की स्थिति और जटिल हो जाती है.

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उन्होंने कहा, ‘वादियों को फैसले के असर को समझने के लिए अधिक पैसा खर्च करने को मजबूर होना पड़ता है. अदालतों को वादी-केंद्रित होना चाहिए क्योंकि अंततोगत्वा लाभार्थी वे ही हैं. न्याय देने की व्यवस्था को और अधिक पारदर्शी, सुगम तथा प्रभावी बनाना अहम होगा.’

न्यायमूर्ति रमन्ना ने कहा कि प्रक्रियागत अवरोध कई बार न्याय तक पहुंच में बाधा डालते हैं. उन्होंने कहा, ‘किसी आम आदमी को अदालत आने में न्यायाधीशों या अदालतों का डर महसूस नहीं होना चाहिए, उसे सच बोलने का साहस मिलना चाहिए जिसके लिए वादियों और अन्य हितधारकों के लिहाज से सुविधाजनक माहौल बनाने की जिम्मेदारी वकीलों तथा न्यायाधीशों की है.’

न्यायमूर्ति शांतनगौदर का निधन 25 अप्रैल को गुरुग्राम के एक निजी अस्पताल में हो गया था, जहां फेफड़े में संक्रमण के कारण उन्हें भर्ती कराया गया था. वह 62 वर्ष के थे. उन्हें याद करते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि वह न्यायमूर्ति शांतनगौदर से इन विषयों पर रोज बात करते थे.

भारतीय न्यायपालिका में न्यायमूर्ति शांतनगौदर के योगदान को याद करते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘उनके जाने से देश ने आम आदमी के एक न्यायाधीश को खो दिया. मैंने व्यक्तिगत रूप से एक अच्छे मित्र और मूल्यवान सहयोगी को खो दिया.’

समारोह में उपस्थित मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि न्यायमूर्ति शांतनगौदर जमीन से जुड़े थे और आम आदमी के न्यायाधीश थे.

न्यायमूर्ति शांतनगौदर को 17 फरवरी, 2017 को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में प्रोन्नत किया गया था. इससे पहले तक वह केरल उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे.


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