नई दिल्ली: भारत में आम महिलाएं, लड़कियां या बच्चियां ही सड़कों पर, सिनेमा हॉल और बाजारों में छेड़-छाड़, अपमान नहीं सह रही हैं बल्कि वह हर दिन हर पल घर से लेकर सड़क तक और अब सोशल सोशल मीडिया पर भी अपमानित की जा रही हैं, डराई, धमकाई जा रही हैं. चौंकाने वाली बात ये है कि सोशल मीडिया पर इन महिलाओं की कतार में अग्रणी महिला राजनेता हैं जिन्हें कहीं अधिक टार्गेट किया जा रहा है. न केवल उन्हें ‘अपमानित’ किया जा रहा है बल्कि ‘सेक्सिस्ट कमेंट’ और ‘डराया-धमकाया’ भी जा रहा है. सोशल मीडिया पर किसी न किसी मुद्दे को लेकर अकसर ट्रोल किया जाता है. ट्रोलिंग का शिकार अकसर वो महिलाएं और नेता होती हैं जो अपनी राय रखती हैं. इसमें नेताओं को उनके लिंग, धर्म,जाति, शादी और अन्य निजी मुद्दों को लेकर भी निशाना साधा जाता है.
यह बानगी भर है कि देश-दुनिया की महिला राजनेताओं को सोशल मीडिया खासकर ट्विटर पर चौंका देने वाले पैमाने पर दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है. महिला राजनेताओं को किए जा रहे हर 7 ट्वीट में से 1 ट्वीट अपमानजनक होते हैं. यही नहीं हर पांच समस्यात्मक ट्वीट में 1 ट्वीट ‘महिला विरोधी’ होता है या फिर ‘सेक्सिस्ट’ होता है. जिसमें महिला नेताओं को यौन धमकियां, शारीरिक धमकियां, अप-शब्द या फिर धार्मिक ट्वीट किया जाता है. अगर महिला राजनेता किसी खास धर्म या जाति की हो तो समझिए उसे अपनी बात ट्विटर पर रखने का अधिकार ही नहीं है क्योंकि इन महिलाओं को नस्लवादी और धर्म के नाम पर बार-बार ट्रोल किया जाता है.
महिला राजनेताओं को लेकर एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने ऐसे शोध में चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. इन्हें न केवल इनके द्वारा किए जा रहे काम के लिए अभद्र टिप्पणियों का सामना करना पड़ता है बल्कि ‘वेश्या’ तक कहा जाता है..बात यहीं खत्म नहीं होती है इन्हें गालियां तक दी जाती हैं.
महिला नेताओं ने हर रोज 10000 से अधिक अपमानजनक ट्वीट सहे
महिला और महिला राजनेताओं के साथ सोशल मीडिया खासकर ट्विटर पर किए जा रहे दुर्व्यवहार पर एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने एमनेस्टी इंटरनेशनल-अंतर्राष्ट्रीय सचिवालय (एआई-आईएस) के सहयोग से भारत में महिला राजनेताओं के साथ ऑनलाइन दुर्व्यवहार के स्वरूप और पैमाने को मापा गया. महज़ 95 महिला राजनेताओं के ट्विटर पर 1,14, 716 ट्वीट का विश्लेषण किया गया और पता चला कि इन महिला राजनेताओं से कुल मिलाकर हर रोज 10,000 से अधिक अपमानजक ट्वीट सहे हैं. ये ट्वीट ‘अपमान जनक’ थे या फिर ऐसे लिखे गए थे जिसे सभ्य सामाज में ‘असभ्य’ कहा जाता है. यही नहीं कई ट्वीट को चोट पहुंचाने वाली या शत्रुतापूर्ण बातें भी कही गईं थीं.
विश्लेषण में पाया गया कि अध्ययन में शामिल 95 महिला राजनेताओं का उल्लेख करने वाले 13.8% ट्वीट या तो ‘समस्यात्मक’ थे या ‘अपमान-जनक’ थे.
चौंकाने वाली बात यह है कि मुसलमान महिला राजनेताओं को अन्य धर्मों की महिला राजनेताओं की तुलना में 94.1% अधिक नस्लवादी या धार्मिक अभद्र भाषा का सामना करना पड़ा. सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी के अलावा अन्य राजनीतिक दलों की महिला राजनेताओं ने भी तुलनात्मक रूप से अधिक दुर्व्यवहार का सामना किया.
बता दें कि यह अध्ययन भारत में 2019 के आम चुनावों से पहले, चुनाव के दौरान और उसके तुरंत बाद यानी मार्च से मई 2019 के बीच तीन महीने की अवधि में किया गया. एमनेस्टी ने इस शोध के लिए 95 भारतीय महिला राजनेताओं का उल्लेख करते हुए 114716 ट्वीट का विश्लेषण किया. ट्वीट में किये गए उल्लेखों का बारीक़ विश्लेषण ‘ट्रोल पैट्रोल इंडिया’ के माध्यम से 82 देशों के 1,900 से अधिक डिजिटल वालंटियरों की मदद से किया गया जिनमें से 1,095 डिजिटल वालंटियर भारत से थे.
इन आपत्तिजनक ट्वीट पर ट्विटर ने भी सफाई दी है. जिसमें ट्विटर ने कहा है कि भारत में लोकसभा चुनाव से पहले कुछ अकाउंट्स पर कार्रवाई की गई थी, यही नहीं कई शब्दों पर भी रोक लगाई गई थी. ट्विटर ने अपने जवाब में यह भी कहा कि ट्विटर की कोशिश एक ऐसा माहौल बनाने की है जहां अभद्रता की कोई जगह नहीं है.
भाजपा के अलावा अन्य पार्टियों की राजनेताओं ने किया दुर्व्यवहार का अनुभव
ट्वीट में उल्लेख किये जाने वाली राजनेताओं में से अधिकांश (लगभग 76%) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) या भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) की थीं, और लगभग 62 फीसदी ट्वीट में इनमें से किसी एक पार्टी की महिला राजनेता का उल्लेख था. सत्तारुढ़ पार्टी भाजपा की तुलना में, ‘अन्य दलों’की महिला राजनेताओं ने 56.7 फीसदी अधिक समस्यात्मक या अपमान-जनक ट्वीट का सामना किया, जबकि आईएनसी नेताओं ने भाजपा की तुलना में 45.3% अधिक अपमान-जनक या समस्यात्मक ट्वीट का सामना किया.
क्या कहती हैं महिला नेता
ट्विटर पर ट्रोल किए जाने को लेकर भारतीय जनता पार्टी की शाज़िया इल्मी ने कहा, ‘अधिक महिलाओं को राजनीति में आना चाहिए. लेकिन इस काम को चुनने की जो कीमत मैं चुकाती हूं वह बहुत ज़्यादा है. लगातार ट्रोल किया जाना, ऑनलाइन उत्पीड़न का शिकार होना, मैं कैसी दिखती हूं या मेरी वैवाहिक स्थिति या मेरे बच्चे क्यों हैं या नहीं हैं आदि –
वह आगे कहती हैं,’ सभी गंदी बातें जो आप सोच सकते हैं उनके बारे में लगातार टिप्पणियों झेलना, यह सब मेरे द्वारा चुकाई जाने वाली कीमत में शामिल है. अगर वे मेरे पुख्ता विचारों को पसंद नहीं करते हैं, तो वे मेरे काम पर टिप्पणी नहीं करेंगे, बल्कि हर संभव भारतीय भाषा में मुझे ‘वेश्या’ तक कहते हैं .’
आम आदमी पार्टी की आतिशी ने बताती हैं, ‘सार्वजनिक स्थान पर अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करना व्यक्तिगत तौर पर किसी महिला की ज़िम्मेदारी नहीं है. उदाहरण के लिए, यदि कोई महिला सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करती है, तो उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकार की ज़िम्मेदारी है. इसी तरह, अगर कोई महिला ट्विटर पर सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रही है, तो उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करना भी उस प्लेटफॉर्म की ही ज़िम्मेदारी है.’
हर 7 ट्वीट में 1 ‘समस्यात्मक’ या ‘अपमान-जनक’ था
यहां यह बताना बहुत जरूरी है कि जो महिला नेता जितनी लोकप्रिय है उसे उतना अधिक निशाना बनाया जाता है. शोध के दौरान यह भी पता चला की इन 95 महिला राजनेताओं के ट्वीट में से 13.8% ट्वीट समस्यात्मक (10.5%) या अपमान-जनक (3.3%) थे. इसका मतलब हुआ कि मार्च और मई 2019 के बीच, 95 महिलाओं का उल्लेख करने वाले 10 लाख ट्वीट समस्यात्मक या अपमान-जनक थे, या अध्ययन में शामिल सभी 95 महिलाओं के लिए प्रति दिन 10,000 से अधिक समस्यात्मक या अपमान-जनक ट्वीट, यानी हर दिन 113 ट्वीट पर हर महिला को अपमानित किया गया.
यही नहीं शीर्ष की 10 सबसे अधिक उल्लेखित राजनेताओं को औसतन 14.8% अपमान-जनक ट्वीट किए गए जबकि अन्य महिला राजनेताओं को औसतन 10.8% ट्वीट अपमान जनक थे. इसका मतलब हुआ कि शीर्ष की 10 राजनेताओं को सभी उल्लेखों के 74.1% ट्वीट प्राप्त हुए, लेकिन समस्यात्मक या अपमान-जनक उल्लेखों में उनका हिस्सा 79.9% था.
भारतीय महिला राजनेताओं ने यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका की महिला राजनेताओं के मुकाबले कहीं ज़्यादा दुर्व्यवहार का सामना किया.
विदेशी महिला नेताओं पर भी किया गया है शोध
बता दें कि एमनेस्टी भारतीय राजनेताओं से पहले यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका की 323 महिला राजनेताओं पर भी यह शोध कर चुका है. जिसमें पाया था कि 7.1% ट्वीट समस्यात्मक या अपमान-जनक थे. ट्रोल पैट्रोल इंडिया ने उसी पद्धति का इस्तेमाल भारतीय राजनेताओं पर भी किया और पाया कि भारतीय महिला राजनेताओं ने 13.8% समस्यात्मक या अपमान-जनक ट्वीट का सामना किया, जो कि तुलनात्मक रूप से काफी ज़्यादा है.
एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के कार्यकारी निदेशक अविनाश कुमार कहते हैं, ‘मुक्त अभिव्यक्ति के लिए सुरक्षित स्थान’ के रूप में प्रचलित किये गए ट्विटर को एक ऐसा मंच बनाने की कल्पना की गई थी जहां महिलाओं, दलितों और धार्मिक अल्पसंख्यकों सहित हाशिए पर खड़े सभी समुदायों को अपनी आवाज़ बुलंद करने का समान अवसर मिलेगा.’
हालांकि, ‘पिछले कुछ सालों में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म राजनीतिक गोल-बंदी और अभियानों के लिए एक अपरिहार्य उपकरण के रूप में सामने आए हैं, लेकिन महिलाओं को नियमित रूप से और लगातार इन प्लेटफॉर्म पर दुर्व्यवहार का निशाना बनाया जाता है, जिसका प्रभाव उनकी आवाज़ को दबा देने का होता है.’
लिंग और पहचान-आधारित हिंसा कार्यक्रम की प्रबंधक, रीना टेटे ने कहती हैं, ‘ऑनलाइन दुर्व्यवहार महिलाओं को अपमानित और कमतर महसूस करा सकता है, उनमें डर पैदा कर सकता और उनकी आवाज़ को दबा सकता है. महिलाओं और हाशिये पर खड़े समुदायों को एक ‘सुरक्षित स्थान’ प्रदान करने की अपनी प्रतिबद्धता को ट्विटर को पूरा करना चाहिए. तब तक, ट्विटर पर अभद्र भाषा का इस्तेमाल और उससे पैदा होने वाली चुप्पी, महिलाओं के अभिव्यक्ति और समानता के अधिकार के रास्ते में आड़े आता रहेगा और महिलाओं को हिंसा और दुर्व्यवहार से सुरक्षित रखने में ट्विटर विफल होता रहेगा.’
ट्विटर और सोशल मीडिया पर सिर्फ महिला राजनेताओं को ही नहीं बल्कि हर एक महिला को ट्रोलिंग का शिकार होना पड़ता है. यह कहना है एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया में एडवोकेसी और मीडिया हेड कर रहीं नाज़िया एरम का. एरम कहती हैं हमने महिला राजनेताओं का नाम इसलिए नहीं लिया है क्योंकि हमारा मकसद उनका नाम उजागर करना नहीं बल्कि यह बताना है कि महिलाएं कहीं भी सुरक्षित नहीं है.
अभी तक महिलाएं जब ट्विटर पर विक्टिम होती थीं तो सिर्फ शिकायत होती थी और खत्म हो जाती थी बात, लेकिन इस रिपोर्ट के बाद यह बेंच मार्क साबित होगी. हमारे पास आंकड़ा है.2000 वोलेंटियर्स ने 1 साल से अधिक समय लगाकर हर बिंदु पर काम किया है. ट्विटर को भी अपने नियम में बदलाव करना होगा.
सुषमा से कही थी मरने पर याद आने की बात
दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के निधन के बाद जब पूर्व केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज ने ट्वीट किया था शीला दीक्षित के अकस्मात निधन से दुखी हूं. हम भले ही राजनीति में प्रतिद्वंद्वी थे लेकिन पर्सनली हम दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे. अभी सुषमा जी ने यह ट्वीट किया ही था कि उनके कुछ विरोधियों ने उन्हें ट्रोल करते हुए लिखा, ‘आप भी जब मर जाएंगी तो बहुत याद आएंगी.’ हालांकि बाद में उस व्यक्ति ने इस ट्वीट को डिलीट कर दिया. सुषमा जी ने इस ट्वीट को बहुत ही प्यार से जवाब दिया और अग्रिम थैंक्स. 20 जुलाई की इस ट्वीट, री-ट्वीट के बीच सुषमा हमेशा के लिए दुनिया से चली गईं..
लेकिन महिलाओं को या महिला नेताओं को सिर्फ ट्विटर पर ही नहीं बल्कि हर जगह इसी तरह के दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है. चाहें विधानसभा में जयललिता की साड़ी खींचे जाने का वाक्या हो या फिर महिला नेताओं पर सदन में बोतलें फेंकने का…महिला नेताओं की बात हो या फिर आम महिला की अभी समाज को संवेदनशीलता का सबक सीखना बाकी है.