नयी दिल्ली, 23 सितंबर (भाषा) भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र (आईएसएलआरटीसी) ने समावेशी शिक्षा में सुधार के लिए नए डिप्लोमा पाठ्यक्रम, शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम, भारतीय सांकेतिक भाषा (आईएसएल) में 100 एसटीईएम सत्र और एक अंग्रेजी शिक्षण कार्यक्रम सहित कई पहल की मंगलवार को शुरुआत की।
यह पहल अंतरराष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस के अवसर पर शुरू की गई।
अधिकारियों ने बताया कि ये कदम गुणवत्तापूर्ण शिक्षण संसाधनों तक पहुंच में सुधार लाने, प्रशिक्षण में शहरी-ग्रामीण अंतर को पाटने तथा मूक-बधिर समुदाय के लिए रोजगार समर्थन को मजबूत करने के लिए तैयार किए गए हैं।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आईएसएलआरटीसी द्वि-वार्षिक न्यूजलेटर शोध, प्रशिक्षण संबंधी अद्यतन जानकारी और सामुदायिक उपलब्धियों को साझा करने के लिए एक मंच प्रदान करेगा। उन्होंने आईएसएल व्याख्या और शिक्षण में नए स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रम (पीजीडीआईएसएलआई और पीजीडीटीआईएसएल) विशेषज्ञ शिक्षकों और दुभाषियों को तैयार करने पर केंद्रित होंगे, जबकि छह महीने के ऑनलाइन आईएसएल प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य देश भर के शिक्षार्थियों तक पहुंचना है।
उन्होंने कहा कि गुणवत्ता और निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए, डीआईएसएलआई और डीटीआईएसएल पाठ्यक्रमों को लेकर पठन-पाठन सामग्री जारी की गई है।
उन्होंने कहा कि आईएसएल में 100 एसटीईएम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) सत्र जोड़ने का उद्देश्य उन्नत विज्ञान और प्रौद्योगिकी विषयों को और अधिक सुलभ बनाना है, जबकि अंग्रेजी दक्षता और रोजगारपरकता को बढ़ावा देने के लिए ‘टीच’ के सहयोग से एक अंग्रेजी भाषा शिक्षण कार्यक्रम शुरू किया गया है।
दिव्यांगजन मामलों के विभाग के सचिव राजेश अग्रवाल ने कहा कि आईएसएल को ‘प्रोजेक्ट इंक्लूजन ऐप’ के साथ एकीकृत करने से समावेशी कक्षाओं को बढ़ावा मिलेगा।
भाषा आशीष अविनाश
अविनाश
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