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Wednesday, 11 December, 2024
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भारत में सिर्फ 16 फ़ीसदी महिलाएं साइंस रिसर्चर, सरकार ने माना कि विकसित देशों की तुलना में काफी कम

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा को बताया कि अभी महिलाओं के प्रोत्साहन और छात्रवृत्ति बढ़ाने की कोई नई योजना नहीं है. महिला वैज्ञानिक योजना में पंजाब, जम्मू-कश्मीर और तेलंगाना की स्थिति बेहतर है.

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नई दिल्ली: भारत में कुल 56,747 महिला शोधकर्ता हैं, जो देश के कुल शोधकर्ताओं का 16.6 प्रतिशत है. इसकी जानकारी सरकार ने बुधवार को राज्यसभा में दी.

विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने वाईएसआरसीपी सांसद बेसेटी वेंकट सत्यवती के एक अतारांकित प्रश्न के उत्तर में कहा कि अभी महिला शोधकर्ताओं के लिए प्रोत्साहन और छात्रवृत्ति बढ़ाने की कोई नई योजना नहीं है.

महिला वैज्ञानिक योजना के उत्थान के बारे में एक सवाल के जवाब में, सिंह ने कहा कि 2021-22 और 2022-23 में महिला वैज्ञानिक योजना के तहत आवेदन करने वाले 490 और 708 उम्मीदवारों में से कुल 172 और 199 महिला वैज्ञानिकों का चयन किया गया था. 

बेसिक और एप्लाइड साइंस में अनुसंधान के लिए WOS-A का उद्देश्य उन महिलाओं को वापस लाना है जो पहले किन्हीं कारणों से वैज्ञानिक कार्यबल में वापस आ गई थीं. यह 27-60 वर्ष की आयु वर्ग की महिला वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकीविदों को अवसर प्रदान करता है जो मुख्यधारा के विज्ञान में वापस आना चाहते हैं और बेंच स्तर के वैज्ञानिकों के रूप में काम करना चाहते हैं.

कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कार्यक्रम के तहत विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा प्रस्तुत राज्य-वार आंकड़े बताते हैं कि पंजाब (2021-22 में सफलता दर 31.82 प्रतिशत और 2022-23 में 42.31 प्रतिशत) , जम्मू और कश्मीर (2021-22 में 33.3 प्रतिशत सफलता दर और 2022-23 में 54 प्रतिशत) और तेलंगाना (2021-22 में 45.71 प्रतिशत सफलता दर और 2022-23 में 22 प्रतिशत) जैसे राज्य बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं.

राष्ट्रीय स्तर पर समग्र सफलता दर 2021-22 में 35 प्रतिशत और 2022-23 में 28.11 प्रतिशत रही.

‘महिला शोधकर्ताओं की संख्या कम’

सत्यवती के प्रश्न के उत्तर में, सिंह ने स्वीकार किया कि विकसित देशों की तुलना में भारत में वैज्ञानिक कार्यबल में महिलाओं का अनुपात कम है.

सिंह ने कहा, ‘सरकार इस बात से अवगत है कि देश में महिला शोधकर्ताओं की संख्या विकसित देशों की तुलना में बहुत कम है. सरकार ने देश में महिला शोधकर्ताओं की संख्या बढ़ाने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं, जिसमें महिला वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकीविदों को अवसर प्रदान करने के लिए डीएसटी की महिला वैज्ञानिक विशिष्ट योजनाओं का कार्यान्वयन शामिल है, विशेष रूप से जिनका करियर बीच में छूट गया है.’ 

महिला भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से सरकार द्वारा सूचीबद्ध कार्यक्रमों के तहत महिला विश्वविद्यालयों में नवाचार और उत्कृष्टता के माध्यम से विश्वविद्यालय अनुसंधान का समेकन (सीयूआरआईई) डीएसटी का कार्यक्रम और ट्रांसफॉर्मिंग इंस्टीट्यूशंस के लिए जीएटीआई जैसे प्रावधान किए गए थे.

जबकि क्यूरी महिला विश्वविद्यालयों में अनुसंधान के लिए बुनियादी ढांचे के विकास के लिए सहायता प्रदान करता है, जीएटीआई का उद्देश्य अधिक लिंग संवेदनशील दृष्टिकोण और समावेशिता के लिए संस्थानों को बदलना है. GATI का अंतिम लक्ष्य STEMM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी इंजीनियरिंग, गणित और चिकित्सा) में लैंगिक समानता में सुधार करना है.

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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