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Friday, 22 November, 2024
होमदेश'RPF जवान ने राइफल के लिए साथी का गला दबाया', प्रत्यक्षदर्शियों ने ट्रेन में हुए नरसंहार को किया याद

‘RPF जवान ने राइफल के लिए साथी का गला दबाया’, प्रत्यक्षदर्शियों ने ट्रेन में हुए नरसंहार को किया याद

चश्मदीदों के बयान और एफआईआर से 31 जुलाई की सुबह जयपुर-मुंबई एक्सप्रेस में कथित तौर पर हुई घटना का पता चलता है, जब आरपीएफ कांस्टेबल चेतन सिंह ने 4 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी.

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मुंबई: जयपुर-मुंबई-सेंट्रल सुपरफास्ट एक्सप्रेस के कोच अटेंडेंट कृष्ण कुमार शुक्ला 31 जुलाई की सुबह कुछ मिनटों तक ट्रेन में बुरी तरह डरे हुए थे, ऐसा डर जो शायद उन्होंने पहले कभी महसूस नहीं किया था.

यह वह समय था जब रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के कांस्टेबल चेतन बच्चू सिंह राइफल से लैस होकर ट्रेन के चारों ओर घूम रहे थे, जिसने अंततः तीन डिब्बों (पेंट्री सहित) में चार लोगों की जान ले ली.

शुक्ला को कोच बी5 सौंपा गया था – जहां सिंह ने दो लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी – लेकिन उस समय वह बी6 में थे.

दिप्रिंट से बात करते हुए शुक्ला ने कहा कि कोच के डरे हुए यात्रियों ने उन्हें समय रहते बाहर निकलने से रोक दिया.

उन्होंने कहा, “हर कोई डरा हुआ था और हमने दरवाज़ा बंद कर लिया.” शुक्ला ने कहा, “यात्री मुझसे बाहर न जाने के लिए कह रहे थे, नहीं तो मुझ पर भी हमला हो जाता.”

इस भयावह घटना के दो दिन बाद, प्रत्यक्षदर्शियों के बयान और मामले में दर्ज की गई एफआईआर ने 31 जुलाई की सुबह जयपुर-मुंबई एक्सप्रेस में कथित तौर पर जो कुछ हुआ, उसे जोड़ने में मदद की है.

एफआईआर में उनके सहयोगियों के बयानों के अनुसार, सिंह उस दिन बीमार महसूस कर रहे थे, जब उन्होंने लगभग 3 बजे ड्यूटी के लिए रिपोर्ट की, और जब उन्हें रुकने और आराम करने की सलाह दी गई थी तो वह कथित तौर पर गुस्सा हो गए थे.

बाद में, उन्होंने कथित तौर पर अपनी राइफल से एक सहकर्मी पर हमला कर दिया.

इसके बाद यात्रियों ने गोलीबारी की घटना को कैमरे में कैद कर लिया.

सिंह ने ट्रेन के अलग-अलग डिब्बों और पेंट्री में जाकर चार लोगों को गोली मार दी – उनके सीनियर, सहायक उप-निरीक्षक (एएसआई) टीकाराम मीना,और तीन मध्यम आयु वर्ग के मुस्लिम पुरुषों की पहचान अब्दुल कादरभाई मोहम्मद हुसैन भानपुरवाला (पालघर, 58), असगर अब्बास शेख (मधुबनी, 48), और सैयद सैफुद्दीन (हैदराबाद, 43) के रूप में की गई.

घटना का एक वीडियो जो वायरल हो गया है, उसमें सिंह को कथित तौर पर यह कहते हुए सुना जा सकता है, “…अगर वोट देना है, अगर हिंदुस्तान में रहना है, तो मैं कहता हूं, मोदी और योगी, ये दो हैं, और आपके ठाकरे…”

जबकि पुलिस वीडियो की प्रामाणिकता की पुष्टि कर रही है, रेलवे अधिकारियों ने सांप्रदायिक कोण से इनकार किया है, और जांच सिंह के मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित कर रही है.

रेल मंत्रालय के अनुसार, आरपीएफ कांस्टेबल का “व्यापक मानसिक और मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य मूल्यांकन” किया जा रहा है.

सिंह फिलहाल 7 अगस्त तक पुलिस हिरासत में हैं.

अभियोजन पक्ष ने रिमांड आवेदन में यह कहते हुए 14 दिनों की हिरासत की मांग की थी कि “आरोपी की मानसिक स्थिति का आकलन करने” के लिए इसकी आवश्यकता है.

उन्होंने कहा कि उन्हें “यह भी समझने की ज़रूरत है कि क्या एएसआई मीना और आरोपियों के बीच कोई हाथापाई हुई थी”. वीडियो का अदालत में उल्लेख नहीं किया गया.

रेलवे ने घटना की जांच के लिए पांच सदस्यीय समिति भी गठित की है.


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‘उसने मेरा गला दबा दिया’

एफआईआर के अनुसार, सिंह साथी आरपीएफ कांस्टेबल अजय घनश्याम आचार्य, हेड कांस्टेबल नरेंद्र परमार और एएसआई मीना के साथ सूरत से एस्कॉर्ट ड्यूटी के लिए सुबह 2.53 बजे ट्रेन में चढ़े.

दिप्रिंट के पास मौजूद एफआईआर में कहा गया है कि जहां सिंह और मीना को थ्री-टियर कोच पर एस्कॉर्ट ड्यूटी सौंपी गई थी, वहीं आचार्य और परमार को स्लीपर कोच का प्रबंधन करना था.

एफआईआर में आचार्य के हवाले से कहा गया है कि सिंह ने बीमार होने की शिकायत की थी और वह ड्यूटी से छुट्टी चाहते थे, लेकिन मीना ने उनसे आराम करने का अनुरोध किया.

आचार्य के बयान के अनुसार, सिंह “गुस्से में दिख रहे थे” और जोर देकर कहा कि किसी सीनियर को बुलाया जाए. जब सीनियर ने भी सिंह को यहीं रुकने और आराम करने का सुझाव दिया तो वह चले गये.

करीब 10-15 मिनट बाद सिंह उठे और आचार्य से उनकी राइफल मांगने लगे. कथित तौर पर हाथापाई हुई और कहा जाता है कि सिंह आचार्य की राइफल लेकर चले गए.

आचार्य के हवाले से कहा गया, “मैंने अपनी राइफल नहीं दी, इसलिए उसने मुझ पर हमला करने की कोशिश की और मेरा गला घोंट दिया. जिसके बाद मैंने असहाय होकर अपनी राइफल दे दी.”

जब आचार्य ने मीना को घटना के बारे में बताया, तो उन्होंने चेतन सिंह को बताया कि उनके पास आचार्य की राइफल है. इसके बाद सिंह ने आचार्य का हथियार वापस कर दिया और उन्हें अपना हथियार सौंप दिया गया.

सुबह लगभग 5.35 बजे आचार्य ने कहा कि उन्हें एक बैचमेट – कुलदीप राठौड़ – का फोन आया, जिन्होंने उन्हें बताया कि मीना को गोली मार दी गई है. कथित तौर पर राठौड़ को शुक्ला ने फोन करके घटना की जानकारी दी थी.

जैसे ही आचार्य बी5 की ओर जाने लगे, उन्होंने सिंह को अपनी राइफल – “उनके चेहरे पर गुस्सा” के साथ – बी1 की ओर बढ़ते हुए देखा, इस डर से कि सिंह उन्हें भी गोली मार देंगे, आचार्य ने कहा कि वह वापस स्लीपर कोच में चले गए और वहां छिप गए. उन्होंने पुलिस को बताया कि उन्होंने सिंह को गोलियां चलाते देखा था.

15 मिनट बाद जब ट्रेन रुकी तो आचार्य ने चारों के शव खून से लथपथ पड़े देखे.

पुलिस ने सिंह पर आईपीसी की धारा 302 (हत्या), शस्त्र अधिनियम और रेलवे अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है.

पुलिस ने अपने रिमांड आवेदन में कहा, “आरोपी जांच में सहयोग नहीं कर रहा है.”

हालांकि, सिंह के वकील अमित मिश्रा ने दिप्रिंट को बताया कि ऐसा कुछ नहीं है और उन्हें सिंह की ओर से किसी असहयोग की जानकारी नहीं है.

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)

(संपादन: अलमिना खातून)


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