अलीगढ़: अलीगढ़ के व्यस्त रामघाट मार्ग से कुछ ही दूरी पर इंडियन ऑयल का एक गोदाम है. वहां पहुंचने पर दिप्रिंट का स्वागत ट्रकों से उतारे और चढ़ाए जा रहे दर्जनों सिलेंडरों की धमक, और साइकिलों व अन्य निजी वाहनों से आती आवाजों ने किया.
एक उजाड़ पड़े छोटे पार्क के पास धुंधले बैंगनी रंग की दीवारों से पहचान में आने वाला यह गोदाम परिसर केवल इसलिए अहम नहीं है कि शहर के प्रमुख खेल मैदान महारानी अहिल्याभाई होल्कर स्टेडियम के नजदीक है, बल्कि इसलिए भी है कि यहां कोलकाता नाइट राइडर्स के बैटिंग सेंसेशन रिंकू सिंह का परिवार रहता है.
2008 में शुरू होने के बाद से ही इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) देशभर के भावी क्रिकेटरों को नीलामी मॉडल के माध्यम से आकर्षक कमाई के मौके मुहैया कराने में काफी असरदार साबित हुआ है, लेकिन बहुत कम खिलाड़ी ही 24 वर्षीय रिंकू सिंह की तरह अपनी प्रतिभा साबित कर पाते हैं.
अपने खाते में 134.38 के स्ट्राइक रेट के साथ पांच मैचों में 43 का प्रभावशाली रन औसत और नौ कैच रखने वाले रिंकू इंडियन प्रीमियर लीग के 2022 संस्करण में केकेआर टीम की हार के बावजूद एक छिपे रुस्तम साबित हुए हैं. बाएं हाथ के इस बैट्समैन को ज्यादातर पांचवे नंबर पर या उसके बाद के क्रम में उतारा गया और उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ जीते गए मैच में 23 गेंदों में नाबाद 42 रन के रूप में सामने आया.
रिंकू अपने माता-पिता और चार भाइयों के साथ गोदाम परिसर में बने दो बेडरूम के छोटे से घर में रहते हैं. उनके पिता खानचंद्र गैस सिलेंडर के वितरण के काम में लगे हैं; उनके बड़े भाइयों में से एक मुकुल एक स्थानीय कोचिंग सेंटर में काम करते हैं और सबसे बड़ा भाई सोनू ऑटोरिक्शा चलाता रहा है.
खानचंद्र दिन में पांच घंटे काम करते हैं और कुछ हजार रुपये कमाते हैं, जो आईपीएल नीलामी में रिंकू को मिली कीमत की तुलना में नगण्य है. 2017 में पंजाब किंग्स (तब किंग्स इलेवन पंजाब कहा जाता है) के लिए रिंकू की बोली 10 लाख रुपये में लगी थी और 2018 में कोलकाता टीम के लिए यह कीमत बढ़कर 80 लाख पहुंच गई. वह तब से इसी फ्रेंचाइजी के साथ बने हुए हैं. केकेआर ने उन्हें 2022 की नीलामी में फिर खरीदा और उनका मौजूदा अनुबंध 55 लाख रुपये का है.
उनकी इतनी कमाई देखने के लिए परिवार को पिछले पांच साल तक इंतजार करना पड़ा. लेकिन खानचंद्र का मानना है कि पेशेवर क्रिकेट में रिंकू का आना तो उसके सितारों में ही लिखा था, खासकर यह देखते हुए कि वह पढ़ाई में फिसड्डी था लेकिन स्थानीय स्तर पर अपनी उम्र वाले ग्रुप टूर्नामेंट में सफलता हासिल कर रहा था.
खानचंद्र ने दिप्रिंट को बताया, ‘जब पढ़ाई की बात आती है तो उसका दिमाग काम करना बंद कर देता है, लेकिन हम उसे किसी भी स्थिति में स्कूल भेजते क्योंकि (हमें लगा) यही सही था. लेकिन जब वह 10 या 11 साल का रहा होगा तबसे ही क्रिकेट तो उसकी जिंदगी बन गया था.’
स्टेडियम में अपने साथियों को प्रभावित करने से पहले रिंकू ने गोदाम में अपने भाइयों के साथ ही क्रिकेट खेलना शुरू किया था. वह करीब एक दशक तक अंडर-16, अंडर-19 और सीनियर उत्तर प्रदेश के घरेलू मैच खेलते-खेलते आईपीएल के स्टारडम तक पहुंच गया.
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उभरता खिलाड़ी और असफलताएं
इन सालों में रिंकू के तकनीकी और मनोवैज्ञानिक विकास में सबसे बड़ी भूमिका एक लंबे समय के उसके कोच रहे मसूदुज्जफर अमीन ने निभाई है, जो अलीगढ़ के महुआ खेड़ा कस्बे में एक क्रिकेट अकादमी चलाते हैं.
अमीन ने रिंकू को एक ‘जन्मजात-प्रतिभाशाली’ खिलाड़ी बताया है, जिसका बाएं हाथ के निचले-मध्य क्रम के बल्लेबाज के रूप में लेग-साइड गेम, स्पिनर्स के खिलाफ आक्रामक पॉवर हिट और मैदान के अंदर और उसके बाहर भी किसी चुनौती से निपटने का अटूट माद्दा ही उसकी सबसे बड़ी ताकत है.
रणजी ट्रॉफी में घरेलू प्रथम श्रेणी स्तर पर उत्तर प्रदेश के लिए 70.24 की स्ट्राइक के साथ 46 पारियों में औसत 64.08 रन और डोमेस्टिक लिस्ट ए (विजय हजारे ट्रॉफी) में 93.39 के स्ट्राइक रेट के साथ 39 पारियों में औसतन 50.50 रन उनके सबसे प्रभावशाली प्रदर्शनों में शुमार हैं.
इस साल उनके असाधारण प्रदर्शनों में महाराष्ट्र के खिलाफ उत्तर प्रदेश के महत्वपूर्ण रणजी ग्रुप स्तर के मैच में 75 और 130 की स्ट्राइक रेट के साथ उनके दोहरे अर्धशतक रहे. उनके खेल की बदौलत ही यूपी ने 359 के लक्ष्य का पीछा करते हुए क्वार्टर फाइनल के लिए क्वालीफाई किया. उन्हें प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया.
हालांकि, धीरे-धीरे सफलता की सीढ़िया चढ़ते रिंकू के कैरिअर में पिछले कुछ सालों में असफलताओं का ग्रहण भी लगा—जिसमें एक लंबे समय तक घुटने की चोट से जूझना, वित्तीय स्थिति और इसके अलावा खुद रिंकू की तरफ से की गई कुछ प्रशासनिक त्रुटियां भी शामिल हैं, 2019 में अबू धाबी में ‘अनधिकृत टी 20 टूर्नामेंट’ में भाग लेने के कारण भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने उन पर तीन महीने का प्रतिबंध लगा दिया था.
अमीन ने यह भी बताया कि कैसे रिंकू का कैरिअर अंडर-16 के स्तर पर थोड़ी-बहुत असहज परिस्थितियों के दौरान भी कभी पटरी से नहीं उतरा.
अमीन ने बताया, ‘वह यूपीसीए अंडर-16 ट्रायल के लिए (कानपुर के ग्रीन पार्क स्टेडियम में) गया था, लेकिन उसका पंजीकरण ब्योरा नदारत था क्योंकि उसने फॉर्म नहीं भरा था. सौभाग्य से तभी उसका दोस्त मोहम्मद जीशान आगे आया और उसने मदद की.’
अमीन ने रिंकू के शुरुआती कैरिअर के दौरान वित्तीय मदद का श्रेय जीशान के साथ-साथ महुआ खेड़ा अकादमी के संरक्षक अर्जुन सिंह फकीरा को देते हैं, जिन्होंने खेल उपकरण खरीदने से लेकर स्थानीय क्लब चुनने और अकादमी की सुविधाएं दिलाने तक पूरी मदद की.
इस वित्तीय मदद के बावजूद रिंकू के परिवार के सामने तमाम आर्थिक बाधाएं थी और यही वजह है कि एक समय उसने घरेलू काम करने के बारे में भी सोचा. लेकिन खानचंद्र और बड़े भाई मुकुल इसे थोड़े समय तक चला अजीब समय बताया, क्योंकि यह सब ‘मुश्किल एक महीने तक चला’ और रिंकू ने जल्द ही अलीगढ़ के घरों में फर्श पर झाड़ू-पोछा लगाने के बजाये स्पिनरों की गेंद पर मिड-विकेट पर छक्के जड़ने शुरू कर दिए.
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कभी हार न मानने का जज्बा
रिंकू ने 2018-19 में उत्तर प्रदेश के लिए खेलते हुए अपनी क्षमताओं का शानदान प्रदर्शन किया था. लेकिन आईपीएल में उन्हें अक्सर सब्सीट्यूट फील्डर की भूमिका ही मिली और केवल ड्रिंक्स लेकर ही मैदान में भेजा जाता था. वह तो इस साल जाकर आखिरकार उन्हें आईपीएल में अपना बड़ा ब्रेक मिला.
उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2 मई को राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेले मैच में दिखा, जब वह 23 गेंदों में 42 रन बनकर हार के कगार पर खड़ी केकेआर टीम को खेल में वापस लाए.
लेकिन उनके कोच और परिवार के मुताबिक, रिंकू का यह भरोसा कभी नहीं टूटा कि उन्हें आखिरकार अपना मौका मिलेगा—यही एक ऐसा जज्बा है जिसने उन्हें घुटने की चोट के उबरने में मदद की जिसकी वजह से उन्हें 2021 के आईपीएल मैचों से पूरी तरह बाहर रहना पड़ा था.
अमीन का मानना है कि इस आत्मविश्वास का उनकी अकादमी के युवाओं पर काफी असर पड़ा है, जहां रिंकू अभी भी आईपीएल और घरेलू सत्रों के बीच खाली समय बिताते हैं.
अमीन कहते हैं, ‘उनका क्रिकेट कभी नहीं रुकता, उसे इसमें (सिखाने में) मजा आता है, और बच्चों के लिए एक बड़ा रोल मॉडल है. यहां तक कि वह अपने अच्छे दोस्त (उत्तर प्रदेश टीम के साथी और सनराइजर्स हैदराबाद के बल्लेबाज) प्रियम गर्ग को भी अकादमी लेकर आया था.’
इस साल, रिंकू ने न केवल अपने उच्च श्रेणी के क्षेत्ररक्षण के साथ खुद को साबित किया है, बल्कि उन्होंने 130 से अधिक के अच्छे स्ट्राइक रेट के साथ कई मौकों पर केकेआर की बल्लेबाजी को उबारा.
हालांकि, उन्होंने अभी तक आईपीएल में पिछले कुछ सालों में रणजी के दौरान अपने प्रदर्शन जैसा खेल नहीं दिखाया है, लेकिन जो लोग रिंकू को जानते हैं उन्हें उम्मीद है कि वह जल्द ही ऐसा कर दिखाएंगे, और अंततः अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भी अपना नाम रौशन करेंगे.
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