नयी दिल्ली, पांच मार्च (भाषा) भारतीय संगीतकार डिजिटल सामग्री के लिए नये नियामक दिशा-निर्देश लाने के सरकार के प्रस्ताव से चिंतित हैं, क्योंकि उनका मानना है कि इससे रचनात्मकता प्रभावित होगी और वैश्विक कलाकारों के साथ साझेदारी में बाधा आएगी। सार्वजनिक नीति थिंकटैंक ‘द डायलॉग’ के हालिया सर्वेक्षण से यह बात सामने आई है।
यह सर्वेक्षण भारत की तेजी से बढ़ती संगीत अर्थव्यवस्था, सांस्कृतिक कूटनीति में इसकी भूमिका और क्षेत्रीय प्रतिभा को आगे बढ़ाने के अलावा उन संरचनात्मक चुनौतियों पर प्रकाश डालता है, जिन्हें दीर्घकालिक स्थिरता के लिए संबोधित किए जाने की जरूरत है।
“परिवर्तन के साथ तालमेल : भारत के उभरते संगीत उद्योग पर अनुभवजन्य अंतर्दृष्टि” शीर्षक वाले इस सर्वे में क्षेत्रीय, शास्त्रीय, लोक, इंडी, हिप-हॉप और समकालीन शैलियों के 1,200 संगीतकारों ने अपने विचार जाहिर किए। प्रतिभागियों में हिंदी, अंग्रेजी और विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में सामग्री तैयार करने वाले संगीतकार शामिल थे।
सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, लगभग तीन-चौथाई संगीतकारों का मानना है कि अनुपालन आवश्यकताओं के कारण संगीत तैयार करने की प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है या गानों/एल्बम के प्रदर्शन में देरी हो सकती है।
रिपोर्ट के अनुसार, 77 फीसदी संगीतकार इस बात को लेकर चिंतित हैं कि इन विनियमों के लागू होने से वैश्विक स्तर पर साझेदारी और भी मुश्किल हो जाएगी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 82 फीसदी संगीतकारों को लगता है कि रिलीज से पहले समीक्षा और अन्य अनिवार्य मानक संगीत की विविधता और रचनात्मकता को प्रभावित करेंगे।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने पिछले महीने कहा था कि वह डिजिटल मंचों पर “हानिकारक” सामग्री को विनियमित करने के लिए मौजूदा वैधानिक प्रावधानों की समीक्षा कर रहा है और नये कानूनी ढांचे की आवश्यकता का आकलन कर रहा है।
मंत्रालय ने यूट्यूब पर प्रसारित कॉमेडी शो ‘इंडियाज गॉट लेटेंट’ में सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर रणवीर इलाहाबादिया की आपत्तिजनक टिप्पणियों को लेकर मचे हंगामे के बीच यह बात कही थी।
सर्वे संगीतकारों पर रिलीज से पहले समीक्षा के वित्तीय प्रभावों पर भी प्रकाश डालता है।
इसके मुताबिक, 80 फीसदी संगीतकारों को लगता है कि अनुपालन लागत के कारण उनका बजट प्रभावित होगा, जबकि 75 प्रतिशत को डर है कि इस तरह की रिलीज पूर्व समीक्षा से काम और जटिल बनेगा तथा रचनात्मक अभिव्यक्ति बाधित होगी।
भाषा पारुल सुभाष
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