नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में दो जूनियर डॉक्टरों पर मरीज के तीमारदारों द्वारा किया गए हमले की धमक देशभर में दिख रही है. देशभर के जूनियर और रेजिडेंट डॉक्टर ने मरीजों को देखने से पहले अपनी सुरक्षा की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. पश्चिम बंगाल के अस्पताल में पिछले सप्ताल सोमवार को कुछ लोगों ने दो जूनियर डॉक्टरों को बुरी तरह पीट दिया था जिसके बाद वहां के डॉक्टरों ने मरीज देखना बंद कर दिया. उसके बाद मामला तब तूल पकड़ा जब सूबे की मुख्यमंत्री ने मामले को सुलझाने और डॉक्टरों को सुनने की बजाए उन्हें वापस काम पर लौटने के लिए कहा और पूरे मामले को भारतीय जनता पार्टी से प्रेरित बताया.
बता दें कि मामला न संभलता देख शनिवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने प्रेस कांफ्रेंस कर डॉक्टरों को काम पर वापस लौटने की गुजारिश की थी. वहीं ममता बनर्जी ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि डॉक्टरों की हड़ताल के पीछे भारतीय जनता पार्टी का हाथ है. जबकि भारतीय जनता पार्टी का आरोप है कि यह पूरा मामला त्रिणमूल कांग्रेस द्वारा तूल दिया जा रहा है. बता दें कि दिल्ली से लेकर कर्नाटक, केरल, राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, झारखंड सहित सभी राज्यों के डॉक्टरों ने ‘ओपीडी’ बंद कर दी है. पिछले एक हफ्ते से अधिक समय से डॉक्टर अपनी सुरक्षा को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. वहीं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्ष वर्धन ने पिछले दिनों सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर चाक चौबंद व्यवस्था बनाने के लिए खत लिखा था. वह खुद इस पूरे मामले को देख रहे हैं.
भाजपा का आरोप खुद टीएमसी है इस आंदोलन के पीछे
भारतीय जनता पार्टी के महासचिव और पश्चिम बंगाल के भाजपा प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय पूरे मामले को एक राजनीतिक रंग देते हुए दिप्रिंट से बातचीत में कहा, ‘ममता बनर्जी का यह आरोप पूरी तरह से निराधार है कि इसे भाजपा भड़का रही है. डॉक्टरों का एसोसिएशन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष शांतनु सेन त्रिणमूल कांग्रेस से राज्यसभा सांसद हैं और आपको यह पता करना चाहिए कि इस आंदोलन के पीछे किसकी राजनीति काम कर रही है.’
कैलाश विजय वर्गीय ने कहा कि डॉक्टरों को समझाने और मनाने की जगह ममता उन्हें निकाल देने की बात कह रही हैं और आरोप भाजपा पर लगा रही हैं.
डॉक्टरों की मांग- सुरक्षा को लेकर बनाया जाए सेंट्रल एक्ट
पश्चिम बंगाल में एक जूनियर डॉक्टर के साथ पिछले हफ्ते सोमवार को हुई हाथापाई और मारपीट की आग देशभर में फैली हुई है. देशभर के जूनियर और रेजिडेंट डॉक्टर हड़ताल पर हैं. पश्चिम बंगाल के डॉक्टर जहां मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से माफी मांग कर रहे हैं वहीं देशभर के डॉक्टर अपनी सुरक्षा को लेकर सेंट्रल एक्ट की मांग कर रहे हैं जिसमें कड़ी से कड़ी सजा का प्रावधान की बात की गई हो.
सोमवार को दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने बंद का आह्वान किया है. जिसमें एकबार फिर एम्स के डॉक्टर हड़ताल में शामिल हो गए हैं. एम्स को डॉक्टर और रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के जेनरल सेक्रेटरी राजीव रंजन ने कहा, ‘एम्स के डॉक्टर अपने मरीजों के स्वास्थ्य के लिए जितने चिंतित हैं उतने ही चिंतित अपनी और अपने साथियों की सुरक्षा के लिए भी हैं.’
वहीं दूसरी तरफ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी डॉक्टरों के एक दल से मुलाकात करेंगी.
आईएमए के पूर्व अध्यक्ष बोले- यह हड़ताल नहीं आंदोलन है
वहीं आईएमए के पूर्व अध्यक्ष डॉ केके अग्रवाल ने कहा, ‘डॉक्टरों के प्रदर्शन को हड़ताल कहा जाना गलत है. यह हड़ताल नहीं हैं, जूनियर डॉक्टर और रेजिडेंट डॉक्टर नॉन इमरजेंसी मरीज नहीं देखे जा रहे हैं जबकि इमरजेंसी में डॉक्टर मौजूद है. इसलिए इसे हड़ताल कहना गलत है.’
डॉ केके अग्रवाल ने कहा कि ‘डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए ऑर्डिनेंस लाने की जरूरत है.’
एम्स के डॉक्टर बोले- हमारी सुरक्षा कौन करेगा
वहीं आज दोपहर 12 बजे के बाद एक बार फिर एम्स के डॉक्टरों ने काम-धाम कल सुबह 6 बजे तक के लिए बंद कर दिया है. मीडिया से बाद करते हुए राजीव रंजन ने कहा कि ‘देश की जनता ये तो देख रही है कि डॉक्टर उग्र हो गए हैं लेकिन क्यों हो गए हैं? यह कौन बताएगा..’ उन्होंने कहा कि ‘देशवासियों को जानना चाहिए कि आखिर देशभर के डॉक्टर क्यों उग्र हो गए हैं और क्यों उन्हें मरीजों की परवाह नहीं हैं.’
राजीव रंजन ने ‘नेता से लेकर ब्यूरोक्रेट्स तक संबोधित करते हुए कहा कि अब डॉक्टर भय और आतंक के माहौल में काम नहीं करेगा. हम किसी राजनीतिक पार्टी के वोट बैंक नहीं है लेकिन हम यह कहना चाहते हैं कि भय के माहौल में हम सौ फीसदी अपना नहीं दे सकते हैं.’
‘महिला मुख्यमंत्री के अपना इगो सैटिस्फाई करने कि ज़िद में डॉक्टरों की जान पर बन चुकी है. बंगाल की मुख्यमंत्री से कोई सवाल नहीं कर रहा है. वह हमारी बात सुनने की बजाए हमें काम पर लौटने की धमकी देती है. कहती हैं चार घंटों में काम पर लौटो नहीं तो संस्पेंड कर देंगे. क्या हमारी जान की कोई कीमत नहीं है. बहुत हुआ मान मन्नोव्वल अब हमें न्याय चाहिए. हमें एक सेंट्रल एक्ट चाहिए जिसमें करी से करी सजा का प्रावधान हो.’
केंद्रीय मंत्री हर्ष वर्धन जो खुद एक डॉक्टर हैं और वह इसे बहुत करीबी से देख रहे हैं. उन्होंने सभी राज्यों के मुख्यमंत्री को खत लिखकर सुरक्षा की बात कही है और डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए कानून लाए जाने की बात कर रहे हैं.
राजीव रंजन का कहना था कि ‘हम किसी जाति धर्म को देखकर काम नहीं करते हैं. इसलिए हमारी सुरक्षा पर जल्द से जल्द सरकार काम करें.’
देशभर के डॉक्टरों ने काम रोका
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन त्रिपुरा यूनिट के जेनरल सेक्रेटरी डॉ एस देबाराम ने कहा, ‘अगले 24 घंटे के लिए त्रिपुरा में डॉक्टर ओपीडी बंद रखेंगें. ओपीडी के अलावा सारी मेडिकल और मरीजों को देख-रेख का काम सुचारू रूप से चलता रहेगा.’ बता दें कि दिल्ली के 18000 डॉक्टर सहित देश के लगभग सभी राज्यों में ओपीडी बंद हैं. जिसमें कर्नाटक, मध्यप्रदेश एम्स के डॉक्टर, लखनऊ किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, डॉक्टर राजेंद्र इंस्टीट्यूट मेडिकल साइंस, झारखंड, भुवनेश्वर सहित राजस्थान के डॉक्टर हड़ताल पर हैं. एक अनुमान तक देश के करीब पांच लाख डॉक्टरों ने काम बंद कर दिया है.
पश्चिम बंगाल में अपने डॉक्टर साथियों पर हाल ही में हुए हमले के मद्देनजर सोमवार को केरल में निजी और राजकीय दोनों अस्पतालों के डॉक्टर भी सांकेतिक हड़ताल पर हैं.
एक ओर जहां निजी क्षेत्रों के डॉक्टरों ने आकस्मिक सेवाओं को उपलब्ध कराने के साथ एक दिवसीय हड़ताल का विकल्प चुना, वहीं सरकारी क्षेत्र के डॉक्टरों ने सभी बाह्य-रोगी सेवाओं के लिए सुबह 8 बजे से 10 बजे तक दो घंटे के लिए सेवाएं बंद रखने का निर्णय लिया. इसके अलावा सभी सरकार संचालित मेडिकल कॉलेजों के शिक्षक भी सुबह 10 बजे से लेकर 11 बजे तक एक घंटे के लिए हड़ताल पर रहे.
क्या है मामला
यह विरोध प्र्दशन कोलकाता के एनआरएस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 10 जून को एक मृत मरीज के परिजनों द्वारा दो जूनियर डॉक्टरों पर किए गए हमले के खिलाफ किया जा रहा है. इसके विरोध में पहले पश्चिम बंगाल के डॉक्टरों ने और बाद में पूरे भारत के डॉक्टरों ने काम बंद कर दिया था.