scorecardresearch
Saturday, 21 December, 2024
होमदेशभारत की चालू वित्त वर्ष की वृद्धि दर 4.9 प्रतिशत रहने का अनुमान: एनसीएईआर रिपोर्ट

भारत की चालू वित्त वर्ष की वृद्धि दर 4.9 प्रतिशत रहने का अनुमान: एनसीएईआर रिपोर्ट

केन्द्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने चालू वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक वृद्धि दर 5 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया है. वहीं रिजर्व बैंक ने भी 2019-20 में वृद्धि दर पांच प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है.

Text Size:

नई दिल्ली: नेशनल काउंसिल ऑफ अप्लायड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) ने शुक्रवार को कहा कि चालू वित्त वर्ष में देश की आर्थिक वृद्धि दर 4.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है. उसने कहा कि इससे अगले वित्त वर्ष में वृद्धि दर बढ़कर 5.6 प्रतिशत पर पहुंच सकती है.

संस्थान ने शुक्रवार को जारी अर्थव्यवस्था की तिमाही समीक्षा में कहा कि चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में वृद्धि दर 4.9 प्रतिशत रह सकती है और इसके बढ़तकर चौथी तिमाही में 5.1 प्रतिशत पर पहुंच जाने का अनुमान है.

उल्लेखनीय है कि केन्द्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने चालू वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक वृद्धि दर 5 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया है. वहीं रिजर्व बैंक ने भी 2019-20 में वृद्धि दर पांच प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है.

रिपोर्ट में कहा गया कि मानसून तथा इसके बाद अच्छी बारिश होने से देश के प्रमुख जल स्रोतों में जल भंडार बढ़ा है, इसके कारण कृषि क्षेत्र की संभावनाएं उज्ज्वल प्रतीत हो रही हैं. इस साल कृषि उत्पादन के पिछले साल की तुलना में बेहतर रहने के अनुमान हैं. रिपोर्ट में कहा गया कि आने वाले महीनों में खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति नरम हो सकती है.

आर्थिक शोध संस्थान के अनुसार औद्योगिक क्षेत्र में शिथिलता बनी रह सकती है. हालांकि उसका मानना है कि सेवा क्षेत्र में सुधार के संकेत मिल रहे हैं. पर्यटकों की आवक, विमान यात्रियों के आवागमन और सेवा क्षेत्र के व्यापार में 2019-20 की तीसरी तिमाही में प्रदर्शन अच्छा रहा है. माल की ढुलाई में भी सुधार देखने को मिला है.

रिपोर्ट के अनुसार, खाद्य पदार्थों की मुद्रास्फीति में नरमी आने के बाद भी खुदरा और थोक दोनों मुद्रास्फीति में तेजी जारी रह सकती है.

संस्थान ने रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दर में कटौती का लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचने के बारे में कहा कि यह काफी धीमी गति से हो रहा है.

बजट के बारे में रिपोर्ट में कहा गया कि इसमें आर्थिक वृद्धि दर की नरमी को दूर करने के पर्याप्त उपाय नहीं किये गये हैं.

share & View comments