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Friday, 8 November, 2024
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एस जयशंकर ने प्रमिला जयपाल से मिलने से किया मना, कश्मीर के हालात पर उठाए थे सवाल

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि मैं नहीं सोचता कि जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर ये समझ ठीक है और भारत सरकार के काम का ठीक आकलन है. मुझे उनसे मिलने में कोई रुचि नहीं है.

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नई दिल्ली: अमेरिका के अख़बार वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार भारतीय शीर्ष अधिकारियों ने अमेरिकी कांग्रेस की प्रतिनिधि प्रमिला जयपाल से मुलाकात रद्द कर दिया है. प्रमिला ने कश्मीर पर भारत सरकार की नीति की आलोचना की थी.
वाशिंगटन की अपनी यात्रा में विदेश मंत्री एस जयशंकर हाउस फोरेन अफेयर्स कमिटी के सदस्यों से मुलाकात करने वाले थे जिसमें प्रमिला को भी शामिल होना था.

भारतीय अधिकारियों ने कमिटी को सूचित किया कि जयशंकर इस कमिटी से मुलाकात नहीं करेंगे अगर इसमें जयपाल शामिल रहीं. बता दें कि प्रमिला ने कश्मीर में संचार सेवाओं को बहाल करने और इंटरनेट बहाल करने के लिए प्रस्ताव दिया था.

जयपाल ने वाशिंगटन पोस्ट से कहा कि भारतीय सरकार किसी भी असहमति को सुनना नहीं चाहती है. इस मामले पर वाशिंगटन स्थित भारतीय दूतावास से भी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.

इस पूरे मामले पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि मैं नहीं सोचता कि जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर ये समझ ठीक है और भारत सरकार के काम का ठीक आकलन है. मुझे उनसे मिलने में कोई रुचि नहीं है.

वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर उस समय अमेरिकी दौरे पर हैं जब पूरे भारत में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर व्यापक प्रदर्शन हो रहा है. इस कानून के तहत भारत अपने तीन पड़ोसी देशों के लोगों को नागरकिता देगा जिसमें मुस्लिम समुदाय के लोगों को शामिल नहीं किया गया है.

सेक्रेटरी ऑफ स्टेट माइक पोम्पियो और एस जयशंकर की बुधवार को मुलाकात के बाद हुए प्रेस कांफ्रेंस में भी नागरिकता संशोधन कानून को लेकर सवाल पूछे गए. अमेरिका ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा था कि पूरे विश्व में धार्मिक तौर पर प्रताड़ित लोगों के लिए जो नीति है वैसा हीं रुख वो भारत के लिए भी रखेंगे. इस मुद्दे पर भारतीय विदेश मंत्री ने कहा था कि यह कानून कुछ देशों के धार्मिक तौर पर प्रताड़ित लोगों के लिए है.

नागरिकता कानून पर जयपाल ने कहा कि इस कानून ने भारत की धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र को जटिल बना दिया है जो कि एक देश के तौर पर गर्व की बात थी.

जयपाल ने वाशिंगटन पोस्ट से कहा कि वो कश्मीर मामले पर रिस्योलूशन की दिशा में भारतीय विदेश मंत्री से बात करना चाहती थी. लेकिन अब वो इस प्रस्ताव को जनवरी में लेकर आएंगी.

उन्होंने कहा कि मेरी चिंता मानवाधिकार की परिस्थिति पर है. हज़ारों लोगों को हिरासत में ले लिया गया है, संचार सेवाएं ठप हैं जिससे आम जनजीवन अस्त व्यस्त है. यह कश्मीरी परिवारों के लिए काफी अत्याचारपूर्ण है.

बता दें कि कश्मीर में पिछले 130 दिनों से भी ज्यादा समय से इंटरनेट सेवाएं बाधित हैं. नरेंद्र मोदी सरकार ने 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य के दर्जे को खत्म कर दिया था. जिसके बाद अनुच्छेद 370 को हटा दिया गया था और राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में बदल दिया गया.

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