scorecardresearch
Friday, 20 December, 2024
होमदेशसंदीप चक्रवर्ती ने कश्मीरी पंडितों की वापसी के लिए इजरायली मॉडल अपनाने की दी सलाह, विवाद शुरू

संदीप चक्रवर्ती ने कश्मीरी पंडितों की वापसी के लिए इजरायली मॉडल अपनाने की दी सलाह, विवाद शुरू

एक वायरल वीडियो में संदीप चक्रवर्ती ने कहा कि कश्मीरी लोगों को यहूदी लोगों की तरह अपनी संस्कृति को जिंदा रखना चाहिए. उन्होंने यूएस कांग्रेस को कश्मीर मुद्दे पर बहस के लिए घसीटने पर निशाना साधा.

Text Size:

नई दिल्ली: न्यूयॉर्क में भारतीय काउंसल जनरल संदीप चक्रवर्ती ने कश्मीरी पंडितों को अपनी जमीन और संस्कृति पर दावा करने के लिए इजरायली मॉडल अपनाने की वकालत की है.

एक वीडियो जो वायरल हो रहा है, चक्रवर्ती ने यूएस कांग्रेस पर भारत को लेकर अपनी स्थिति पर निशाना साधा. यूएस कांग्रेस में कूटनीति के संचालन के लिए हिंदू बहुमत की ताकत का दावा किया गया था.

कश्मीरी पंडितों के एक निजी कार्यक्रम में चक्रवर्ती बोल रहे थे. सरकार ने अभी तक इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. चक्रवर्ती ने बुधवार को एक ट्वीट कर कहा कि उनके बयान को संदर्भ से बाहर कर के देखा गया.

इजरायली मॉडल

एक महिला के बयान का जवाब देते हुए कि उन्हें कश्मीर वापस जाने का मन नहीं करता है क्योंकि उसे लगता है कि वो वहां एक विदेशी की तरह है. चक्रवर्ती ने कहा, ‘यहूदियों ने अपनी भूमि के बाहर 2,000 वर्षों तक अपनी संस्कृति को जीवित रखा और वे वापस चले गए. मुझे लगता है कि हम सभी को कश्मीरी संस्कृति को जीवित रखना होगा, कश्मीरी संस्कृति भारतीय संस्कृति है, यह हिंदू संस्कृति है.’

चक्रवर्ती ने कहा विश्व में हमारे पास ऐसा मॉडल है. मुझे नहीं मालूम कि उसे क्यों नहीं अपनाया जाता. ये मॉडल मध्य-पूर्व में हो चुका है. इजरायली लोगों ने ये कर दिखाया है, हम भी इसे कर सकते हैं. मैं मानता हूं कि हमें उसे अपनाना चाहिए और अपने नेतृत्व को आगे बढ़ाना चाहिए. नहीं तो क्या होगा (अनुच्छेद 370 को हटाया जाएगा). सबकुछ वैसा ही रहेगा.


यह भी पढ़ें : कश्मीर में संचार पर पाबंदी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कपिल सिब्बल की दलीलें, फैसला सुरक्षित


मेरा विश्वास है कि मेरे जीवकाल में हम अपनी जमीन को वापस ले लेंगे और हमारे लोग वहां लौटेंगे.. क्योंकि हर कोई अमेरिका में नहीं रह सकता. मेरे कश्मीरी लोग रिफ्यूजी कैंपों में रह रहे हैं. जम्मू में रह रहे हैं, सड़कों पर रह रहे हैं, उन्हें उनके घर जाना ही चाहिए. वहां पर आपकी जान को कोई खतरा नहीं होना चाहिए. हमें कुछ समय दीजिए, मुझे लगता है कि सरकार इसपर कुछ करेगी जो वो कर सकती है.

चक्रवर्ती ने सभा में कहा, ‘इतना बड़ा अंतरराष्ट्रीय जोखिम सरकार ने केवल एक संशोधन करने के लिए कभी नहीं लिया है. आपको इससे परे सोचना चाहिए. आज, हमने अंतरराष्ट्रीय ऑप्रोब्रियम का जोखिम उठाया, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय हमारे खिलाफ एकजुट हो सकता था, एक अंतर्राष्ट्रीय कूटनीतिक संघर्ष था, हमने इसे सफलतापूर्वक रोक दिया है. कुछ समय दें, आप देखें कि क्या होने वाला है. मेरा मानना ​​है कि जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा की स्थिति में सुधार होगा, यह शरणार्थियों को वापस जाने की अनुमति देगा, और आपके जीवनकाल में, आप वापस जाने में सक्षम होंगे और आप अपने गांवों का दौरा करेंगे और अपनी जड़ों की ओर वापस जाएंगे.’

‘1989 एक बड़ी असफलता थी’

काउंसल जनरल ने अपने भाषण की शुरुआत हीं इसी बात से शुरू की कि 1989 में घाटी में कश्मीरी पंडितों का निर्वासन एक बड़ी असफलता थी.

भारतीय राज्य के लिए ये एक बड़ी असफलता थी. हम इसे होने के लिए अनुमति नहीं दे सकते. चक्रवर्ती ने कहा कि 1989 में भारत एक कमज़ोर देश था. लेकिन अब हम आतंकवाद और पंजाब की स्थिति से बाहर निकल चुके हैं. हम श्रीमति गांधी की हत्या से भी बाहर आ चुके हैं और हम सभी जानते हैं कि पंजाब में क्या हुआ था.

उन्होंने कहा, ‘और फिर हमारे दुश्मन ने कश्मीर में हमला किया. हमारे राज्य को 1947-48 में जो करना चाहिए था, हमने वह नहीं किया और हमने इसे बिगड़ने दिया. और फिर 5 अगस्त 2019 तक, कमोबेश वही कथा चलती रही.’

उन्होंने ये भी कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के लिए इसलिए चुना क्योंकि इससे घाटी पूरी तरह से केंद्र सरकार के शासन के भीतर आ जाएगी.

उन्होंने कहा, ‘कि 5 अगस्त को जो भी हुआ उसका कश्मीरी लोगों पर लंबे समय तक प्रभाव रहेगा.’

भारत की मुखरता यूएस कांग्रेस को पसंद नहीं

अगस्त 2017 में न्यूयॉर्क में भारत के महावाणिज्य दूत के रूप में कार्यभार संभालने वाले चक्रवर्ती ने भी कश्मीर मुद्दे पर विभिन्न मानवाधिकार परिषद में भारत को चर्चा और प्रस्तावों में घसीटने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय, विशेष रूप से अमेरिकी कांग्रेस पर निशाना साधा.

उन्होंने कहा कि अमेरिका सहित अंतर्राष्ट्रीय समुदाय असहज महसूस कर रहा है क्योंकि कूटनीति के संचालन में भारत एक हिंदू बहुसंख्यक समुदाय के रूप में अपनी ताकत बढ़ा रहा है.


यह भी पढ़ें : 5 अगस्त के बाद से कश्मीर में 5,000 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया : मोदी सरकार


चक्रवर्ती ने कहा कि हमने कभी भी बहुसंख्यक समुदाय की ताकत को इस्तेमाल नहीं किया और न ही हिंदू संस्कृति, सभ्यता और कूटनीति का उपयोग किया है. और अब जो हम कर रहे हैं उससे लोगों के बीच असंतोष पैदा होने लगा है.

चक्रवर्ती ने कहा, ‘अब जब हम यह कर रहे हैं, तो लोग हमें मानवाधिकार परिषद में ले जा रहे हैं, हमारे खिलाफ प्रस्ताव पारित कर रहे हैं. अमेरिकी कांग्रेस हमें घसीट रही है … वे कहीं और क्यों नहीं जा सकते हैं?’ आप सीरिया, इराक, अफगानिस्तान जाते हैं, लेकिन आप उस बारे में बात नहीं करते हैं आप हमारे पास क्यों आना चाहते हैं? वे हमारी मुखरता को पसंद नहीं कर रहे हैं.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

share & View comments