नयी दिल्ली, सात मई (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को कहा कि भारत अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में नए विश्वास के साथ आगे बढ़ रहा है और उसके अंतरिक्ष यात्रियों के कदम चांद पर पहुंचेंगे।
वैश्विक अंतरिक्ष अन्वेषण सम्मेलन के लिए अपने रिकॉर्ड किए गए संदेश में मोदी ने कहा कि देश में अन्वेषण के मिशनों में ‘‘मंगल और शुक्र भी हमारे रडार पर हैं’’।
उन्होंने मंगलवार को रिकॉर्ड किए गए वीडियो संदेश में कहा, ‘‘भारत की अंतरिक्ष यात्रा का अर्थ दूसरों से प्रतिस्पर्धा करना नहीं है। इसका अर्थ है एक साथ मिलकर ऊंचाइयों को छूना। हम मानवता की भलाई के लिए अंतरिक्ष की खोज करने के वास्ते एकसाथ मिलकर लक्ष्य साझा करते हैं।’’
उन्होंने कहा कि भारत ने दक्षिण एशियाई देशों के लिए एक उपग्रह प्रक्षेपित किया है और ‘जी-20’ देशों की अध्यक्षता के दौरान घोषित ‘जी-20 उपग्रह मिशन’ ‘ग्लोबल साउथ’ के लिए एक उपहार होगा।
मोदी ने 2027 की शुरुआत में प्रस्तावित प्रक्षेपण का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘हमारा पहला मानव अंतरिक्ष-उड़ान मिशन ‘गगनयान’ हमारे देश की बढ़ती आकांक्षाओं को प्रदर्शित करता है।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि आने वाले हफ्तों में, एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए इसरो-नासा के संयुक्त मिशन के तहत अंतरिक्ष की यात्रा करेगा।
एक्सिओम-4 मिशन को 29 मई को प्रक्षेपित करने की योजना है और भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला तथा तीन अन्य अंतरिक्ष यात्री कक्षीय प्रयोगशाला में 14 दिन का प्रवास करेंगे।
इसी तरह ग्लेक्स-2025 का आयोजन अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष यात्री महासंघ और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा किया जा रहा है।
मोदी ने कहा, ‘‘अंतरिक्ष केवल एक मंजिल नहीं है। यह जिज्ञासा, साहस और सामूहिक प्रगति की घोषणा है। भारत की अंतरिक्ष यात्रा इसी भावना को प्रदर्शित करती है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘वर्ष 2035 तक, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन अनुसंधान और वैश्विक सहयोग में नई सीमाएं खोलेगा। वर्ष 2040 तक किसी भारतीय के कदम चंद्रमा पर होंगे। मंगल और शुक्र भी हमारे रडार पर हैं।’’
मोदी ने कहा कि वर्ष 1963 में एक छोटे रॉकेट को लॉन्च करने से लेकर, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरने वाला पहला देश बनने तक, हमारी यात्रा उल्लेखनीय रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी यात्रा उल्लेखनीय रही है। हमारे रॉकेट 1.4 अरब भारतीयों के सपने लेकर जाते हैं। भारत की उपलब्धियां महत्वपूर्ण वैज्ञानिक पड़ाव हैं। इसके अलावा, वे इस बात का सबूत हैं कि मानवीय भावना गुरुत्वाकर्षण को चुनौती दे सकती है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘भारत ने वर्ष 2014 में अपने पहले प्रयास में मंगल ग्रह पर पहुंचकर इतिहास रच दिया। चंद्रयान-1 ने चंद्रमा पर पानी की खोज में सहायता की। चंद्रयान-2 ने हमें चंद्रमा की उच्चतम-रिजॉल्यूशन वाली तस्वीरें भेजीं। चंद्रयान-3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के बारे में हमारी समझ को बढ़ाया।’’
मोदी ने कहा, ‘‘हमने रिकॉर्ड समय में क्रायोजेनिक इंजन तैयार किए। हमने एक ही मिशन में 100 उपग्रह भेजे। हमने अपने प्रक्षेपण यानों से 34 देशों के 400 से अधिक उपग्रह प्रक्षेपित किए हैं। इस वर्ष हमने दो उपग्रहों को अंतरिक्ष में स्थापित किया, जो एक बड़ा कदम है।’’
भाषा वैभव सुरेश
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