ब्रह्मपुर (ओडिशा), 16 मई (भाषा) भारत के हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) तेजस के पूर्व कार्यक्रम निदेशक एवं मुख्य डिजाइनर कोटा हरिनारायण ने कहा है कि देश अगले कुछ वर्षों में लड़ाकू विमान बनाने में आत्मनिर्भर हो जायेगा।
पद्मश्री से सम्मानित हरिनारायण ने कहा कि देश में विमान निर्माण का पारिस्थितिकी तंत्र विकसित हो चुका है। उन्होंने कहा कि स्वदेशी विमानों के उत्पादन की तकनीक में भी सुधार हुआ है और कुछ वर्षों के भीतर भारत अपनी वायु सेना (आईएएफ) की जरूरतों को पूरा करने के लिए सभी श्रेणियों के लड़ाकू विमानों की एक श्रृंखला बनाएगा।
हरिनारायण ने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि अगले कुछ वर्षों में भारत रक्षा के लिए आवश्यक सभी लड़ाकू विमान बना लेगा और अपने मित्र देशों को इनका निर्यात भी शुरू कर देगा।’’
उन्होंने कहा कि देश ने तेजस के लिए जो प्रौद्योगिकी विकसित की थी, उसे छोटे से लेकर मध्यम आकार के और मानवरहित विमानों में भी आगे बढ़ाया गया है।
विमानन वैज्ञानिक हरिनारायण ने कहा, ‘‘बहुत अधिक समय नहीं लगेगा, भारत रक्षा उत्पादों का निर्यातक बन जाएगा… देश अब इनमें से कुछ उत्पाद रूस और फ्रांस से खरीद रहा है।’’
हरिनारायण (82) बृहस्पतिवार को एक निजी विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में शामिल होने आए थे।
उन्होंने कहा कि भारतीय वायुसेना द्वारा तेजस के व्यापक उपयोग ने स्वदेश निर्मित विमान के महत्व को सिद्ध कर दिया है।
उन्होंने कहा कि भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकवादी शिविरों के खिलाफ शुरू किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पाकिस्तानी हमलों का सफलतापूर्वक मुकाबला करके रक्षा क्षेत्र में अपनी क्षमताओं को प्रदर्शित किया है।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के पूर्व प्रोफेसर ने कहा कि रक्षा उत्पादों के निर्माण और सफल उपयोग ने इस अभियान में देश की क्षमताओं को स्पष्ट रूप से दर्शाया है।
भाषा
देवेंद्र अविनाश
अविनाश
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