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Monday, 23 December, 2024
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एलएसी पर यथास्थिति चाहता है भारत, निर्माण कार्यों पर रोक लगाने की चीन कर रहा मांग

लद्दाख में स्थानीय स्तर पर (डिवीजन स्तर पर) कूटनीतिक के अलावा कम से कम छह दौर की वार्ता हो चुकी है और इस स्थिति को टालने के लिए अन्य प्रयास किए गए हैं.

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नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच लद्दाख क्षेत्र में हो रहे तनाव को देखते हुए दोनों देशों में हुई बातचीत में भारत ने एलएसी पर यथास्थिति की मांग की है वहीं चीन ने सीमाई क्षेत्र में निर्माण कार्य रोकने को कहा है.

लद्दाख में स्थानीय स्तर पर (डिवीजन स्तर पर) कूटनीतिक के अलावा कम से कम छह दौर की वार्ता हो चुकी है और इस स्थिति को टालने के लिए अन्य प्रयास किए गए हैं. चीनी सैनिक कम से कम चार स्थानों पर भारतीय क्षेत्रों में लगभग 3 किमी तक आ गई, इसके अलावा एलएसी के किनारे उत्तरी क्षेत्र में एक सैन्य टुकड़ी का निर्माण किया.

एक सूत्र ने वार्ता को ‘पिंग-पोंग गेम’ के रूप में वर्णित किया है क्योंकि अब तक कोई ठोस परिणाम नहीं निकले हैं.

कूटनीतिक सहित सभी स्थापित चैनल सक्रिय हो गए हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि चीजें शांत हों.

जैसा कि दिप्रिंट द्वारा पहले भी बताया गया है, भारत ने भी जवाबी तौर पर काफी संख्या में जवानों की तैनाती की है.

नई दिल्ली की नज़र केवल लद्दाख तक ही सीमित नहीं है, बल्कि उत्तराखंड की सीमा सहित हिमाचल क्षेत्र और एलएसी के केंद्रीय क्षेत्र पर भी इसका ध्यान है, ताकि चीनी पीएलए द्वारा सीमा को स्थानांतरित करने के किसी भी प्रयास की जांच की जा सके.

दोनों पक्षों के बीच ‘पिंग-पोंग’ वार्ता

सूत्रों ने कहा कि हालांकि स्थानीय स्तर पर कई दौर की बातचीत हो चुकी है, कुछ भी ठोस नहीं निकला है.

दोनों पक्षों के बीच हुई वार्ता के बारे में पूछे जाने पर एक सूत्र ने कहा, ‘यह एक पिंग-पांग खेल की तरह है. चीनी आते हैं और कुछ के लिए सहमत होते हैं लेकिन विश्वास निर्माण के उपाय को पूरा करने में विफल होते हैं.’


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सूत्रों के अनुसार चीन ने भारतीय पक्ष से एलएसी के करीब निर्माण गतिविधियों को रोकने के लिए कहा है.

जैसा कि दिप्रिंट द्वारा पहले बताया गया है, चीन सड़क निर्माण कार्य पर नज़र बनाए हुए है. भारत ने पांगोंग झील के फिंगर 2 क्षेत्र में काम कर रहा है, और पिछले साल रणनीतिक श्योक-डीबीओ सड़क का एक फीडर रोड बनाया है.

जबकि सड़क भारतीय क्षेत्र के भीतर है, भारत इसे एलएसी तक फीडर सड़कों का निर्माण कर रहा है जो सैनिकों और उपकरणों की तेज आवाजाही को सुनिश्चित करेगा.

भले ही चीनियों ने एलएसी के पास सड़कें बनाई हैं, लेकिन यह भारत के निर्माण पर आपत्ति जताता है. एक सूत्र ने बताया, ‘सड़कें सामरिक महत्व की हैं. उदाहरण के लिए, ऐसे क्षेत्र हैं जहां चीनी 15 मिनट के भीतर अपनी तरफ की सड़कों के जरिए पहुंच सकते हैं, जबकि हमें पैदल गश्त करके पहुंचने में लगभग ढाई घंटे लगेंगे.’

चीनी घुसपैठ

हालांकि सूत्रों का कहना है कि ‘गलवान घाटी में कोई घुसपैठ नहीं हुई है’, चीनी सैनिक बड़े हॉट स्प्रिंग एरिया- पैट्रोल पॉइंट 14, 15 और गोगरा पोस्ट- के अलावा भारतीय सीमा में कम से कम 3 किमी अंदर आए.

सूत्रों ने कहा कि चीन ने चीनी क्लेम लाइन (सीसीएल) को पार नहीं किया है. रणनीतिक गलवान घाटी में, स्थानीय स्तर पर दोनों पक्षों के बीच समझ के अनुसार सीसीएल और एलएसी समान हैं, हालांकि औपचारिक मानचित्र का आदान-प्रदान नहीं किया गया है.

हालांकि, बड़े हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र और पांगोंग नदी के किनारे, सीसीएल का भारतीय क्षेत्र में विस्तार है और यहीं पर चीनी घुस आए हैं.


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जबकि भारतीय क्षेत्र में चीनी सैनिकों की कोई सटीक संख्या ज्ञात नहीं है, यह अनुमान लगाया जा रहा है कि प्रत्येक घुसपैठ वाली स्थान पर तकरीबन 600-800 चीनी सैनिक हैं.

जैसा कि पहले बताया गया है, चीनी सेना ने अपने सैनिकों को डायवर्ट कर दिया है, वे अपने क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अभ्यास कर रहे हैं. एलएसी ने भारत पर दबाव बढ़ा दिया है.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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