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Sunday, 28 April, 2024
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गलवान पर भारत का पक्ष रखने के लिए एआईआर चीनी सेवा का उपयोग किया गया

गुरुवार को, आल इंडिया रेडियो ने अपनी चीनी सेवा के माध्यम से कहा कि चीन ने एलएसी पर यथास्थिति को बदलने की कोशिश की थी.

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नई दिल्ली: एक महीने से अधिक समय से भारत के स्वामित्व वाली ऑल इंडिया रेडियो (एआईआर) की चीनी सेवा पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव पर मौन थी. भारत-चीन सीमा पर तनाव मई के पहले सप्ताह में शुरू हुआ था.

हालांकि गुरुवार को, इसने एलएसी में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिकों के ‘अनावश्यक ट्रान्स्ग्रेशन’ पर एक कमेंटरी ब्रॉडकास्ट की. अब इसके द्वारा भारतीय और चीन संबंधों पर समाचार रिपोर्टों, टिप्पणियों और विभिन्न अन्य स्निपेट ब्रॉडकास्ट करने और भारत के विचारों को सामने रखने की संभावना है.

ऑल इंडिया रेडियो की चीनी सेवा का दैनिक प्रसारण होता है, जो कि 5.15 से 6.45 बजे के बीच प्रसारित होता है. यह आकाशवाणी ऐप के माध्यम से लाइव स्ट्रीम किया जाता है, जो कि हर किसी के लिए सुलभ है.

सूचना और प्रसारण (आई एंड बी) मंत्रालय के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि भारत और चीन की सेनाओं के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प आने के बाद, जिसमें 20 भारतीय सैनिकों की मौत हो गयी थी. बुधवार को भारत के विचार को चीनी दर्शकों के सामने रखने का निर्णय शीर्ष स्तर से आया है.

अब तक भारत इसके साथ-साथ आकाशवाणी की चीनी सेवा एलएसी में तनाव के बारे में काफी हद तक चुप रही है, यहां तक ​​कि इस पूरे दौर में कई सैन्य और राजनयिक स्तरों पर वार्ता चल रही थी. चीनी सेवा ने अपनी सामान्य कंटेंट जैसे सांस्कृतिक वार्ता, संगीत और डेवलपमेंटल कंटेंट प्रसारित करना जारी रखा है.

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यहां तक ​​कि आकाशवाणी के समाचार सेवा प्रभाग (एनएसडी) ने 6 जून को वाहिनी कमांडर-स्तरीय वार्ता के सिवाय लद्दाख की स्थिति पर 10 जून तक कोई विशेष प्रसारण नहीं किया था.

हालांकि, आकाशवाणी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह असामान्य नहीं था और प्रसारण सेवा के बाहरी सेवा प्रभाग (ईएसडी) ने हमेशा विभिन्न विशेषज्ञों द्वारा टिप्पणी की है और समय-समय पर जो कुछ भी हो रहा है उसके आधार पर विषय बदलते रहते हैं.

भारत ने अपनी चीनी सेवा के माध्यम से क्या कहा

गुरुवार को, आल इंडिया रेडियो ने अपनी चीनी सेवा के माध्यम से कहा कि चीन ने एलएसी पर यथास्थिति को बदलने की कोशिश की थी.

5 मई से लद्दाख के सिक्किम, पंगोंग त्सो और गलवान इलाकों में चीनी सैनिकों के घुसपैठ के बाद से गलवान की घटना सीमा सुरक्षा की घटनाओं के साथ हुई हैं, यह क्षेत्रीय सुरक्षा को तेजी से ख़राब कर रही है.

इसमें कहा गया है कि जब नाकू ला घटना को डी-एस्केलेट किया गया है, तब लद्दाख क्षेत्र में चीन के सैनिकों और सैन्य उपकरणों को भारतीय एलएसी पर रखे जाने के दौरान घूंसेबाजी और पत्थर फेंकने की असंख्य घटनाएं हुई हैं.

रेडियो सेवा ने कहा, ‘एलएसी को परिभाषित नहीं किया गया है और चर्चा करना दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों का मामला है, दोनों पक्षों ने सीमा पर यथास्थिति बनाए रखने पर सहमति व्यक्त की थी. हालांकि, यथास्थिति के समझौते का उल्लंघन करते हुए चीन ने बेशर्मी से भारतीय सीमाओं पर अवांछित गतिविधियों की एक श्रृंखला आयोजित की थी.

इसने आगे कहा कि चीन अनावश्यक रूप से ‘सीमा पर नियम को तोड़ रहा है.

प्रसारण विवरण ‘अन्य घुसपैठ’

रिपोर्ट में अन्य ‘घुसपैठ’ का पता लगाते हुए रेडियो ने कहा कि लद्दाख सेक्टर में 15 अप्रैल और 6 मई 2013 के बीच देपसांग मैदानों में चीनी सैनिकों ने घुसपैठ की थी.

इसके बाद, सितंबर 2014 में चीन के सैनिकों ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग की नई दिल्ली की यात्रा के साथ ही चुमार पर अतिक्रमण किया. पश्चिमी क्षेत्र में चुमार ने सितंबर और 2015 के नवंबर में एक और बड़ा बदलाव देखा. मई 2016 में सीमा के मध्य क्षेत्र में बाराहोती में चीन के ट्रॅन्सग्रेशन ने भारत को आश्चर्यचकित कर दिया, क्योंकि आमतौर पर यह माना जाता था कि यह सबसे कम विवादित क्षेत्र है.

जून-अगस्त 2017 की डोकलाम घटना का जिक्र करते हुए रेडियो ने कहा कि 73-दिवसीय गतिरोध चीन की प्रतिबद्धता का उल्लंघन था, जो भारत के साथ यथास्थिति बनाए रखने के लिए था. जैसा कि 2012 की विशेष प्रतिनिधि बैठक में उल्लेख किया गया है.

रेडियो में यह भी कहा गया कि ‘तथ्य यह है कि इस तरह की अधिक घटनाएं बाद में पता चलती हैं कि चीन की रणनीति एकतरफा रूप से सीमा क्षेत्रों में यथास्थिति को बदलने की हैं.

रेडियो में कहा, ‘2017 और 2018 में अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों में टुटिंग और दिबांग की घटनाएं हुईं, जबकि 2019 में पांगोंग त्सो से एक पत्थर फेंकने की घटना की सूचना मिली थी.

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आल इंडिया रेडियो ने यह भी बताया कि चीन तिब्बत और शिनजियांग में सड़क, रेलवे, एयरफील्ड और फाइबर ऑप्टिक्स जैसी कई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का निर्माण कर रहा है और बीजिंग भी एलएसी को अपने सैनिकों के हस्तांतरण की सुविधा के लिए स्थानीय गतिशीलता को बदलने की कोशिश कर रहा है.

चीन सीमा क्षेत्रों में भूमिगत रक्षा नेटवर्क और अन्य सैन्य सुविधाओं का निर्माण कर रहा है. आकाशवाणी ने कहा कि इसने भारत के साथ कई बार क्षेत्रीय गतिशीलता को बदल दिया है.

गलवान नदी पर ताजा हिंसा पर आकाशवाणी ने कहा कि यह घटना भारत के साथ द्विपक्षीय समझौतों के चीन द्वारा गंभीर उल्लंघन की पृष्ठभूमि में है.

इसने कहा, 1978 में पश्चिमी सेक्टर के चुशुल में फ्लैग मीटिंग के बाद से विश्वास निर्माण उपायों (सीबीएम) की एक श्रृंखला बनाई गई थी. इनमें 1993 के शांति और ट्रैंक्विलिटी समझौते, 1996 में सैन्य क्षेत्र में सीबीएम, अक्टूबर 2013 में सीमा सुरक्षा सहयोग समझौता शामिल हैं. इन सभी ने सीमा पारगमन को संबोधित करने और सैनिकों के बीच संघर्ष को रोकने के लिए विशिष्ट प्रक्रियाएं निर्धारित की हैं.

हालांकि, 20 भारतीय सेना के जवानों की हत्या दशकों से निर्मित सभी संस्थागत व्यवस्थाओं को ध्वस्त कर देती है. इसके अलावा, इस घटना ने 1962, 1967 और 1975 में हिंसक झड़पों की यादों को ताजा कर दिया.

इसने बुधवार को गलवान की घटना पर पीएम मोदी के संदेश का भी उल्लेख किया.

आल इंडिया रेडियो प्रसारण तिब्बती सेवा पर भी प्रसारित किया जाएगा, जो पारंपरिक रूप से बौद्ध धर्म, तिब्बती संस्कृति पर अन्य लोगों के साथ टिप्पणियों का प्रसारण करता है.

आकाशवाणी की चीनी सेवा

1942 में शुरू हुई चीनी सेवा, जो ईएसडी के तहत संचालित होती है, दैनिक प्रसारण है जो कि एक घंटे 15 मिनट लंबा शो है और भारतीय समयानुसार 5:15 बजे पर शुरू होता है. इसे आल इंडिया रेडियो एप्लिकेशन के माध्यम से लाइव स्ट्रीम किया जाता है.

ईएसडी लंबी दूरी की शॉर्ट-वेव और मीडियम-वेव ट्रांसमीटर के माध्यम से दुनिया भर में विदेशी दर्शकों के लिए 28 विदेशी भाषा सेवाओं में समाचार बुलेटिन और कार्यक्रम प्रसारित करता है. यह लगभग 150 देशों के लिए सार्वजनिक कूटनीति और वैश्विक आउटरीच का एक प्रमुख उपकरण माना जाता है.

जबकि कई अन्य विदेशी भाषा सेवाएं – जैसे कि उर्दू सेवा जो पाकिस्तान में सुनी जाती है- का प्रसारण प्रसार-प्रचार कार्यक्रमों के रूप में किया जाता है, चीनी सेवा के पास स्वयं की कोई समर्पित समाचार सुविधाएं या कार्यक्रम नहीं हैं और आकाशवाणी के समाचार सेवा प्रभाग से कंटेंट उधार ली गई है. चीन में सीमित टिप्पणियों और स्निपेट्स के अलावा, सांस्कृतिक कार्यक्रम, भारतीय संगीत, वार्ता और विकासात्मक कंटेंट का प्रसारण होता है.

आल इंडिया रेडियो का समाचार सेवा प्रभाग विभिन्न नेटवर्कों पर घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय समाचार प्रसारित करता है.

चीनी रेडियो प्रचार

जैसा कि पिछले साल दिप्रिंट द्वारा रिपोर्ट किया गया था कि चीनी रेडियो सिग्नल ने न केवल भारतीय क्षेत्र के भीतर, बल्कि नेपाल और म्यांमार जैसे रणनीतिक पड़ोसियों के लिए भी तेजी से प्रचार प्रसार किया है.

ये संवेदनशील क्षेत्र स्पष्ट चीनी रेडियो सिग्नल प्राप्त करते हैं, जो पुराने और घिसे-पिटे शॉर्ट-वेव और मीडियम-वेव ट्रांसमीटर द्वारा वितरित भारत के सिग्नल को बाहर निकाल देते हैं. हालांकि, भारत के प्रसारण को मजबूत करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण प्रयास नहीं हुए हैं.

सरकारी स्वामित्व वाली चाइना रेडियो इंटरनेशनल (सीआरआई) कई भारतीय भाषाओं में प्रसारित होती है, जिसमें हिंदी, तमिल और बंगाली शामिल हैं.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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