नई दिल्ली: भारत ने दिल्ली हिंसा पर ईरान की टिप्पणी को लेकर नाराजगी जताई है. भारत ने भारत में ईरान के राजदूत अली चेगेनी को मंगलवार को तलब किया और ईरान के विदेश मामलों के मंत्री, मोहम्मद जवाद ज़रीफ़ द्वारा भारत के लिए आंतरिक मामलों (दिल्ली हिंसा) पर की गई टिप्पणियों पर कड़ा विरोध दर्ज कराया.
Sources: Ali Chegeni (in file pic), Iranian Ambassador to India, was summoned today by Ministry of External Affairs and a strong protest was lodged at the comments made by Foreign Affairs Minister of Iran, Mohammad Javad Zarif on matters (Delhi violence) internal to India. pic.twitter.com/1eLYkCuCO6
— ANI (@ANI) March 3, 2020
ईरानी विदेश मंत्री ने भारत से सभी भारतीयों की सलामती सुनिश्चित करने का किया था आग्रह
ईरानी विदेश मंत्री जवाद जरीफ ने सोमवार को भारतीय अधिकारियों से आग्रह किया था कि वे सभी भारतीयों की सलामती सुनिश्चित करें और निर्रथक हिंसा को फैलने से रोकें.
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने गुरुवार को कहा था कि एजेंसियां हिंसा को रोकने और परिस्थितियों को सामान्य बनाने के काम में लगी हुई हैं.
कुमार ने अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से इस संवेदनशील समय के दौरान गैर जिम्मेदाराना बयान न देने की अपील की थी.
जरीफ ने ट्वीट किया था, ‘भारतीय मुस्लिमों के खिलाफ संगठित रूप से की गई हिंसा की ईरान भर्त्सना करता है. सदियों से ईरान भारत का मित्र रहा है. हम भारतीय अधिकारियों से आग्रह करते हैं कि वे सभी भारतीयों की सलामती सुनिश्चत करें और निर्रथक हिंसा को फैलने से रोकें. आगे बढ़ने का मार्ग शांतिपूर्ण संवाद और कानून का पालन करने से प्रशस्त होगा.’
अन्य देशों और संगठन भी कर चुके हैं आलोचना
तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगान ने सीएए को लेकर टिप्पणी की थी, ‘भारत अभी एक ऐसा देश बन गया है, जहां नरसंहार व्यापक रूप से फैला हुआ है. क्या नरसंहार? मुसलमानों का नरसंहार? किसके द्वारा? हिंदुओं के,’ एएफपी ने अंकारा में एक भाषण के दौरान एर्दोगन के हवाले से कहा कि सीएए को लेकर दिल्ली में इस हफ्ते हिंदू और मुसलमानों के बीच हिंसा हुई?
इसके अलावा 27 फरवरी को अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (यूएससीआईआरफ), सदन की विदेश मामलों की समिति के अलावा कई डेमोक्रेट और रिपब्लिकन नेताओं, इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) और मानव अधिकारों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त कार्यालय (ओएचसीएचआर) की आलोचनात्मक टिप्पणी का भारत को सामना करना पड़ा था जिसमें दिल्ली में 24 फरवरी को साम्प्रदायिक हिंसा में तब तक 38 लोग मारे गए थे.