नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर भारत का एक ‘अभिन्न और अविभाज्य’ अंग है, विदेश मंत्रालय (MEA) ने गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र के विशेष रैपरोर्टर्स (दूत) को JK के प्रति उसकी नीतियों की आलोचना करने के लिए फटकार लगाई और उन्हें जल्दबाजी में निष्कर्ष को लेकर कूदने और प्रेस बयान जारी करने से पहले बेहतर समझ विकसित करने की सलाह दी.’
एमईए प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने अल्पसंख्यक मुद्दे पर और धर्म की आजादी को लेकर विशेष राजदूत के प्रेस रिलीज पर आए मीडिया के सवालोंं का जवाब देते हुए ये बातें कही. उन्होंने कहा कि विशेष दूत ने 10 फरवरी को प्रश्नावली को साझा करते हुए जवाब का इंताजार नहीं किया.
एमईए का यह जवाब यूएन के विशेष राजदूत के बृहस्पतिवार को प्रेस रिलीज पर आया है, जिसमें जम्मू-कश्मीर में 370 हटाने की आलोचना की गई है.
विशेष दूत ने प्रेस रिलीज में जिक्र किया है कि, नई दिल्ली सरकार द्वारा स्वायत्तता छीनना और प्रत्यक्ष शासन थोपना जम्मू-कश्मीर के लोगों की अपनी सरकार न होने का एहसास होता है.
श्रीवास्तव ने कहा कि विशेष दूत द्वारा जारी किए गए बयान को जानबूझकर जम्मू और कश्मीर में राजदूतों के एक समूह की यात्रा के साथ मेल खाने के साथ समयबद्ध किया गया है.
उन्होंने कहा कि यह विवादास्पद है कि दूत ने 10 फरवरी को अपनी प्रश्नावली साझा करने के बाद, हमारी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा भी नहीं की. इसके बजाय, उन्होंने मीडिया को अपनी गलत धारणाएं जारी करने के लिए चुना. इस प्रेस विज्ञप्ति को जानबूझकर जम्मू और कश्मीर में राजदूतों के एक समूह की यात्रा के साथ जोड़कर समयबद्ध किया गया है.