नयी दिल्ली, 25 मई (भाषा) भारत की पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों को वैश्विक पहचान और समर्थन मिले, इसके लिये आयुष मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं। आयुष मंत्रालय ने एक बयान में यह जानकारी दी।
बयान के मुताबिक, इस समझौते पर शनिवार को हस्ताक्षर किए गए। यह समझौता स्वास्थ्य हस्तक्षेपों का अंतरराष्ट्रीय वर्गीकरण (आईसीएचआई) के तहत एक समर्पित पारंपरिक चिकित्सा मॉड्यूल पर काम की शुरुआत का प्रतीक है।
मन की बात की 122वीं कड़ी के दौरान इस उपलब्धि के महत्व पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, ‘‘साथियों, आयुर्वेद के क्षेत्र में भी कुछ ऐसा हुआ है, जिसके बारे में जानकर आपको बहुत खुशी होगी। कल ही, यानी 24 मई को, डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक और मेरे मित्र तुलसी भाई की उपस्थिति में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। इस समझौते के साथ ही, स्वास्थ्य हस्तक्षेपों का अंतरराष्ट्रीय वर्गीकरण (आईसीएचआई) के तहत एक समर्पित पारंपरिक चिकित्सा मॉड्यूल पर काम शुरू हो गया है। इस पहल से आयुष को वैज्ञानिक तरीके से दुनिया भर में अधिकतम लोगों तक पहुंचाने में मदद मिलेगी।’’
आईसीएचआई, डब्ल्यूएचओ के रोगों का अंतरराष्ट्रीय वर्गीकरण (आईसीडी-11) का पूरक है, जो यह बताता है कि कौन से उपचार और स्वास्थ्य हस्तक्षेप किए जाते हैं।
आयुष मंत्रालय ने बयान में कहा कि पारंपरिक चिकित्सा मॉड्यूल को शामिल करने से पंचकर्म, योग चिकित्सा, यूनानी आहार और सिद्ध प्रक्रियाएं जैसे आयुर्वेद, योग, सिद्ध और यूनानी प्रणालियों से उपचार अब वैश्विक रूप से मानकीकृत शर्तों में मान्यता प्राप्त होंगे।
भाषा रवि कांत दिलीप
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