नयी दिल्ली, 12 फरवरी (भाषा) भारत 1993 से 2022 तक चरम मौसमी घटनाओं से सबसे गंभीर रूप से प्रभावित देशों की सूची में छठे पायदान पर है। जर्मनी स्थित गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) जर्मनवॉच की नयी रिपोर्ट के मुताबिक, इस अवधि में भारत में चरम मौसमी घटनाओं से लगभग 80,000 मौतें हुईं और 180 अरब अमेरिकी डॉलर का नुकसान दर्ज किया गया।
रिपोर्ट के अनुसार, 1993 से 2022 तक वैश्विक स्तर पर 9,400 से अधिक चरम मौसमी घटनाओं में 7.65 लाख से ज्यादा लोगों की जान गई और लगभग 42 अरब अमेरिकी डॉलर (मुद्रास्फीति-समायोजित) का प्रत्यक्ष नुकसान हुआ।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने 1993 से 2022 के बीच 400 से अधिक चरम मौसमी घटनाओं का सामना किया, जिससे लगभग “180 अरब अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ और कम से कम 80,000 लोगों की जान गई।”
इसमें कहा गया है कि उक्त अवधि में चरम मौसमी घटनाओं से सर्वाधिक प्रभावित 10 देशों में डॉमिनिका, चीन, होंडुरास, म्यांमा, इटली, भारत, यूनान, स्पेन, वनुआतु और फिलिपीन शामिल हैं।
रिपोर्ट की सह-लेखिका लॉरा शेफर ने कहा कि ‘ग्लोबल साउथ’ के देश चरम मौसमी घटनाओं से असमान रूप से प्रभावित हुए हैं।
उन्होंने कहा, “अगर इन देशों से एकत्र डेटा ‘ग्लोबल नॉर्थ’ के कई देशों से जुटाए गए डेटा जितना व्यापक होता, तो आर्थिक और मानवीय स्तर पर और भी गहरा प्रभाव देखने को मिल सकता था।”
साल की शुरुआत में विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) ने जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ी चरम मौसमी घटनाओं को सशस्त्र संघर्ष और युद्ध के बाद दूसरा सबसे बड़ा वैश्विक खतरा करार दिया था।
भाषा पारुल रंजन
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