नयी दिल्ली, 11 फरवरी (भाषा) ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, 2024 के लिए भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक (सीपीआई) में भारत 180 देशों में 96वें स्थान पर है, क्योंकि इसका समग्र स्कोर एक अंक गिरकर 38 हो गया है।
यह सूचकांक, सार्वजनिक क्षेत्र में भ्रष्टाचार के कथित स्तर के आधार पर 180 देशों और क्षेत्रों की रैंकिंग करता है। इसमें शून्य से 100 के पैमाने का इस्तेमाल किया जाता है, जहां ‘‘शून्य’’ का अर्थ अत्यधिक भ्रष्ट और ‘‘100’’ का मतलब साफ-सुथरी व्यवस्था है।
भारत का कुल स्कोर 2024 में 38 था, जबकि 2023 में यह 39 और 2022 में 40 था। वर्ष 2023 में भारत की रैंकिंग 93 थी।
भारत के पड़ोसी देशों में पाकिस्तान (135) और श्रीलंका (121) निचले पायदान पर हैं, जबकि बांग्लादेश की रैंकिंग और नीचे 149 पर है। चीन 76वें स्थान पर है।
सबसे कम भ्रष्ट राष्ट्रों की सूची में डेनमार्क शीर्ष पर है, उसके बाद फिनलैंड और सिंगापुर का स्थान है।
सूचकांक ने दिखाया कि भ्रष्टाचार दुनिया के हर हिस्से में एक गंभीर समस्या है, लेकिन कई देशों में बेहतरी के लिए बदलाव हो रहा है। अध्ययन से यह भी पता चला है कि भ्रष्टाचार जलवायु कार्रवाई के लिए एक बड़ा खतरा है। यह उत्सर्जन को कम करने और वैश्विक तापमान के अपरिहार्य प्रभावों के अनुकूल होने में प्रगति को बाधित करता है।
हालांकि, 2012 के बाद से 32 देशों ने अपने भ्रष्टाचार के स्तर में उल्लेखनीय कमी लायी है, फिर भी अभी भी काफी काम किया जाना बाकी है, क्योंकि इसी अवधि के दौरान 148 देशों में भ्रष्टाचार स्थिर रहा है या उसकी स्थिति और खराब हो गयी है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक औसत 43 वर्षों से स्थिर है, जबकि दो तिहाई से अधिक देशों का स्कोर 50 से नीचे है। अरबों लोग ऐसे देशों में रहते हैं, जहां भ्रष्टाचार जीवन को तबाह कर देता है और मानव अधिकारों को कमजोर करता है।
भाषा आशीष दिलीप
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