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Sunday, 28 April, 2024
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भारत इटोलिजुमाब दवाई के परीक्षण की कर रहा है तैयारी, क्यूबा में इससे मृत्यु दर कम हुई थी

इस दवा का भारत के छह अस्पतालों में परीक्षण किया जायेगा, जिसमें एम्स-दिल्ली, मुंबई में केईएम और बेंगलुरु का नारायण अस्पताल शामिल हैं.

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नई दिल्ली: कोविड-19 के कारण होने वाली मौतों को रोकने के लिए क्यूबा द्वारा इटोलिजुमाब दवाई के उपयोग की प्रशंसा की जा रही है. यह दवाई कोरोनावायरस के खिलाफ भारत का नया दांव हो सकती है.

इस दवा का छह अस्पतालों में क्लिनिकल ट्रायल किया जायेगा.

मोनोक्लोनल एंटीबॉडी इटोलिज़ुमाब एक मॉलिक्यूल है. भारत, चीन और क्यूबा के बाजारों के लिए सेंटर फॉर मॉलिक्यूलर इम्यूनोलॉजी (सीआईएम) के सहयोग से भारतीय दवा प्रमुख बायोकॉन द्वारा एक संयुक्त उद्यम के जरिये इस दवा को विकसित किया जा रहा है. सीआईएम हवाना, क्यूबा में स्थित एक कैंसर अनुसंधान संस्थान है.

हालांकि, बायोकॉन ने सीआईएम से प्रारंभिक चरण की एसेट्स के रूप में दवा के लिए लाइसेंस प्राप्त किया और कंपनी की वैज्ञानिक टीम ने 2006 में भारत में ऑटो-प्रतिरक्षा रोगों के लिए एंटीबॉडी विकसित करना शुरू कर दिया. उसके बाद रोगी पर सफल अध्ययन के बाद दवा को 2013 में ALZUMAb ब्रांड नाम के तहत प्लेग सोरायसिस के लिए भारत में व्यवसायीकरण के लिए अनुमोदित किया गया था.

बायोकॉन को अब भारतीय ड्रग रेगुलेटर से कोविड-19 के लिए दवा का पुन: उपयोग करने की अनुमति मिल गई है. कंपनी कोविड-19 जटिलताओं वाले मध्यम से गंभीर रोगियों के लिए ‘एंटी-सीडी -6 आईजीजी 1’ मोनोक्लोनल एंटीबॉडी के लिए दवा के प्रभाव की जांच करेगी.

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डॉ संदीप अठावले, वरिष्ठ उपाध्यक्ष और मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कहा, ‘इटोलिज़ुमाब का उपयोग भारत में कुछ वर्षों से किया जा रहा है और यह सुरक्षित है. क्यूबा में हमारे पार्टनर, जिनके साथ कंपनी ने दवा विकसित करना शुरू किया है, ने कोरोना रोगियों पर इस दवा का उपयोग किया है. बायोकॉन बायोलॉजिक्स ने कहा कि उन लोगों से जो शुरुआती डेटा मिला है, काफी आशाजनक लग रहा है.

दवा प्रो-इंफ्लेमेटरी साइटोकिन्स के उत्पादन को रोकती है, जिससे कोरोना रोगियों में सांस के सिंड्रोम और बहु-अंग विफलता होती है. हम मानते हैं कि साइटोकिन, जो कोविड-19 की एक जटिलता है, इसका इटोलिज़ुमाब के साथ इलाज किया जा सकता है.’

दवा का परीक्षण नई दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु में किया जाएगा. सरकार के पोर्टल क्लिनिकल ट्रायल रजिस्ट्री ऑफ इंडिया (सीटीआरआई) के अनुसार नई दिल्ली में चुनी गई चुने गए अस्पताल अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) और लोक नायक जय प्रकाश नारायण अस्पताल हैं.

बेंगलुरु में, नारायण हेल्थ परीक्षण करेगा और मुंबई में केईएम अस्पताल, बीवाईएल नायर चैरिटेबल अस्पताल और डॉ बालाभाई नानावती अस्पताल परीक्षण करेंगे.

इन सभी छह अस्पतालों में अथेले ट्रायल का नेतृत्व कर रही है.

इन अस्पतालों में परीक्षण करने वाले अधिकारियों के अनुसार जब एक बार रोगियों का नामांकन हो जाएगा तो ट्रायल शुरू हो जायेगा. एम्स नई दिल्ली ने पहले ही परीक्षण शुरू कर दिया है, जबकि डॉ बालाभाई नानावती अस्पताल और नारायण हॉस्पिटल में जल्द ही शुरू होने की संभावना है.

बाकी भी ट्रायल शुरू करने की प्रक्रिया में हैं. परीक्षणों की अनुमानित अवधि तीन महीने है.

परीक्षण का विवरण

यह एक खुला लेबल परीक्षण है, जिसका अर्थ है कि शोधकर्ताओं और प्रतिभागियों द्वारा उपचार के बारे में कोई जानकारी नहीं छिपेगी.

सीटीआरआई पोर्टल पर प्रकाशित परीक्षण के विवरण के अनुसार अध्ययन में भाग लेने वाले सभी रोगियों को क्रमशः उपचार ए और बी के लिए 2: 1 अनुपात में बांटा जाएगा. इसका मतलब ग्रुप ए में ग्रुप बी से दोगुने लोग होंगे.

जबकि उपचार ए का अर्थ इटोलिजुमाब के साथ सबसे अच्छा सहायक देखभाल होगा, उपचार बी का अर्थ है सर्वोत्तम सहायक देखभाल, जिसमें अन्य थेरेपी जैसे कि एंटीवायरल, एंटीबायोटिक्स, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन या ऑक्सीजन थेरेपी शामिल हैं.

सीटीआरआई वेबसाइट के अनुसार, ‘सबसे अच्छी सहायक देखभाल संस्था के मानक के अनुसार होगी.’

पोर्टल पर परीक्षण के संक्षिप्त सारांश के अनुसार, जैसा कि इटोलिज़ुमाब एक जांच दवा है, कोरोना रोगियों को लाभ ज्ञात नहीं है, जो साइटोकाइन रिलीज़ सिंड्रोम (सीआरएस) जैसी जटिलताओं का अनुभव करता है. हालांकि, इस अध्ययन के निष्कर्ष राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बड़े पैमाने पर समाज के लिए फायदेमंद हो सकते हैं.

सीआरएस प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा एक अति प्रतिक्रिया है जिसमें शरीर की अपनी प्रतिरक्षा स्वस्थ कोशिका पर हमला करती है.

परीक्षण के प्राथमिक परिणाम दोनों समूहों के बीच एक महीने की मृत्यु दर का विश्लेषण करेंगे.

क्यूबा ने इटोलिज़ुमाब का उपयोग कैसे किया?

क्यूबा ने पिछले सप्ताह कहा था कि बायोटेक उद्योग द्वारा उत्पादित दो दवाओं के उपयोग से गंभीर रूप से बीमार कोरोना रोगियों में हाइपर-इन्फ़्लेमशन को कम किया गया है, इससे कोरोनावायरस से संबंधित मौत के संख्या पर तेजी से अंकुश लगाया गया है.

कम मृत्यु दर के पीछे संभावित कारणों के रूप में बताई गई दो दवाओं में से एक इटोलिज़ुमाब है. क्यूबा ने पिछले नौ दिनों में 200 से अधिक सक्रिय मामलों के साथ केवल दो मौतों की सूचना दी.

क्यूबा का मानना ​​है कि यह दवा ‘साइटोकिन को शांत करने में मदद करती है, प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा खतरनाक प्रतिक्रिया पर जिसमें यह स्वस्थ कोशिका के साथ-साथ हमलावर वायरस पर भी हमला करती है.’

रॉयटर्स की एक खबर के अनुसार, वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि कोरोना के इलाज के लिए इन दवाओं की सुरक्षा और प्रभाव का आकलन करने के लिए बड़े प्लेसबो-नियंत्रित अध्ययन की आवश्यकता है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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