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Saturday, 23 August, 2025
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भारत स्वास्थ्य संकट के कगार पर, मधुमेह, हृदय रोग, कैंसर के मामलों में हो रही वृद्धि: डॉक्टर

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नयी दिल्ली, 23 अगस्त (भाषा) पद्म पुरस्कार से सम्मानित डॉक्टरों के एक समूह ने कहा कि भारत स्वास्थ्य संकट के कगार पर खड़ा है, जहां मधुमेह, हृदय रोग और कैंसर जैसी गैर-संक्रामक बीमारियां (एनसीडी) महामारी के स्तर पर पहुंच रही हैं।

हाल में ‘पैसिफिक वनहेल्थ’ द्वारा आयोजित एक सत्र में, डॉक्टरों ने चेताया कि तत्काल कार्रवाई के बिना, भारत इस एनसीडी महामारी से बहुत ज्यादा प्रभावित होगा।

सर गंगाराम अस्पताल के न्यासी बोर्ड के अध्यक्ष डॉ डी एस राणा ने सार्वभौमिक पहुंच और नैतिक विनियमन की आवश्यकता पर बल दिया।

पद्मश्री से सम्मानित डॉ राणा ने कहा, ‘हमारा अंतिम लक्ष्य सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा होना चाहिए। भारत ने प्रगति की है, लेकिन असमानताएं अभी तक बनी हुई हैं। स्वास्थ्य सेवा को समतापूर्ण बनाने के लिए हमें मजबूत नैतिक प्रथाओं और नियामक साहस की आवश्यकता है, विशेष रूप से दवाओं के मूल्य निर्धारण और अस्पताल की लागत के मामले में।’

हृदय रोग के बढ़ते मामलों पर, मेदांता के ‘इंटरवेंशनल और स्ट्रक्चरल हार्ट कार्डियोलॉजी’ के अध्यक्ष, डॉ प्रवीण चंद्रा ने कहा कि हृदय कई रोगों के लिए जिम्मेदार है।

पद्मश्री से सम्मानित डॉ चंद्रा ने निवारक स्वास्थ्य के महत्व पर जोर देते हुए कहा, ‘गोल्डन ऑवर (जान बचाने के लिहाज से कीमती समय) के दौरान आपातकालीन एंजियोप्लास्टी से अनगिनत लोगों की जान बचाई जा सकती है, तथा उन्नत हृदय संबंधी उपचार अब 80 और 90 वर्ष की आयु के रोगियों के लिए भी सुलभ हैं।’

पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित एंडोक्राइनोलॉजिस्ट और मधुमेह विशेषज्ञ डॉ. अनूप मिश्रा ने मधुमेह पर अपनी चिंताएं व्यक्त कीं।

‘फोर्टिस सी-डॉक हॉस्पिटल फॉर डायबिटीज एंड एलाइड साइंसेज’ के चेयरमैन और दिल्ली एम्स (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान) के पूर्व प्रोफेसर (मेडिसिन) ने कहा, ‘दिल्ली में हर तीन में से एक निवासी मधुमेह से पीड़ित है, जबकि 30 प्रतिशत लोग प्री-डायबिटिक हैं। यह गर्व करने लायक बात नहीं है- रोकथाम और प्रारंभिक नियंत्रण बेहद महत्वपूर्ण हैं। ओजेम्पिक जैसी दवाएं आशाजनक परिणाम दे सकती हैं, लेकिन जीवनशैली और जागरूकता ही हमारे पास सबसे मजबूत हथियार हैं।’

सर गंगाराम अस्पताल में इंटरनल मेडिसीन के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. मोहसिन वली ने विश्वास आधारित देखभाल के महत्व पर जोर दिया और अपने अस्पताल के गैर-लाभकारी मॉडल का हवाला देते हुए कहा कि यह ‘स्वास्थ्य सेवा जैसी होनी चाहिए’ के ​​आदर्श वाक्य को मूर्त रूप देता है।

पद्मश्री से सम्मानित डॉ. वली ने कहा, ‘ऐसे मॉडल को अपनाकर हम गैर-संक्रामक रोगों के बढ़ते बोझ को प्रभावी ढंग से दूर कर सकते हैं और स्वस्थ भारत की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति कर सकते हैं।’

‘पैसिफिक वनहेल्थ’ के अध्यक्ष और सह-संस्थापक डॉ. स्वदीप श्रीवास्तव ने कहा कि स्वास्थ्य सेवा को विशेषाधिकार से आगे बढ़कर एक वादा बनना होगा, जो नैतिकता पर आधारित हो, नवाचार से संचालित हो और रोगी पर केंद्रित हो।

श्रीवास्तव ने कहा, ‘पैसिफिक वनहेल्थ में हमारा मानना ​​है कि भविष्य निवारक, प्राथमिक और तृतीयक देखभाल को निर्बाध रूप से जोड़ने में निहित है, साथ ही यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी पीछे न छूटे।’

भाषा आशीष माधव

माधव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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