नई दिल्ली: रूस और अमेरिका के बाद अब जर्मनी एक और ऐसा देश है जिसके साथ नरेंद्र मोदी सरकार ने मौजूदा भारत-चीन सीमा तनाव पर चर्चा की है. दिप्रिंट को मिली जानकारी में यह बात सामने आई है.
राजनयिक सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि विदेश सचिव हर्ष वर्धन श्रृंगला और जर्मन विदेश सचिव मिगुएल बर्जर के बीच शुक्रवार को हुई वर्चुअल बैठक के दौरान, गलवान घाटी में 15 जून की हिंसक झड़प, जिसमें 20 भारतीय जवान मारे गए थे, के मामले पर चर्चा की गई थी.
यह बैठक ऐसे समय पर हुई जब भारत और चीन के बीच तनाव लगातार बना हुआ है, यद्यिप दोनों देश सैन्य के साथ-साथ कूटनीतिक स्तर पर भी गतिरोध और तनाव खत्म करने के लिए बातचीत में लगे हैं. नई दिल्ली ने बीजिंग पर पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर यथास्थिति बदलने का आरोप लगाया है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने एक ट्वीट में कहा, विदेश सचिव @HarshVShringla ने जर्मन विदेश सचिव @MiguelBergerAA के साथ वर्चुअल विचार-विमर्श के दौरान परस्पर हितों से जुड़े द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों और कोविड-19 महामारी से निपटने में सहयोग आदि पर चर्चा की.
जर्मनी 2001 से भारत का रणनीतिक साझीदार है और दोनों देश सरकारों के प्रमुख के स्तर पर हर दो साल में अंतरसरकारी परामर्श (आईजीसी) करते हैं. भारत उन देशों के चुनिंदा समूह में शामिल है जिनके साथ जर्मनी ने ऐसा संवाद तंत्र स्थापित कर रखा है.
आईजीसी का पिछला दौर पिछले साल नवंबर में आयोजित हुआ था जब जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल भारत की यात्रा पर आई थीं.
मर्केल की यात्रा के दौरान जारी किए गए संयुक्त बयान के मुताबिक, बैठक में दोनों पक्षों ने राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और रणनीतिक हितों को बढ़ाने और व्यक्तिगत नीति के क्षेत्रों में एकजुटता और साझे कदमों की रूपरेखा तैयार करने के लिए एक ट्रैक 1.5 रणनीतिक संवाद स्थापित करने का फैसला किया था.
यह भी पढ़ें: भारत ने चीन के साथ राजनयिक रिश्तों को दी ज्यादा तवज्जो, सैन्य स्तरीय वार्ता जारी
इससे पहले, भारत ने रूस और अमेरिका को सीमा पर गतिरोध मामले की जानकारी दी थी
चीन के साथ पर सीमा गतिरोध की जानकारी भारत ने रूस और अमेरिका को इस महीने की शुरुआत में दी थी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जहां 2 जून को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ फोन पर हुई बातचीत के दौरान गतिरोध पर चर्चा की, वहीं विदेश सचिव शृंगला ने उसी दिन भारत में रूस के राजदूत निकोल आर. कुदाशेव के साथ पूर्वी लद्दाख की ताजा स्थिति पर बातचीत की थी.
अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने शुक्रवार को कहा था कि अमेरिका भारत सहित विभिन्न देशों में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की तरफ से खड़ी की जा रही चुनौतियों के मद्देनजर मौजूदा समय में यूरोप में तैनात अपने सुरक्षा बलों की जगह बदलने के बारे में समीक्षा कर रहा है.
राष्ट्रपति ट्रम्प जर्मनी से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के अपने फैसले को लेकर काफी घिर भी चुके हैं क्योंकि उनका मानना है कि ऐसे कदम से न केवल जर्मनी बल्कि अमेरिका की खुद की सुरक्षा स्थिति कमजोर होगी.
(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)