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रविवार, 4 मई, 2025
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भारत को साइबर हमलों से बचने के लिए पुख्ता सुरक्षा उपाय करने की जरूरत: विशेषज्ञों ने कहा

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नयी दिल्ली, 29 अक्टूबर (भाषा) साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों ने मंगलवार को भारत में साइबर हमलों के मामलों में वृद्धि पर चिंता जताते हुए इस समस्या से निपटने के लिए मजबूत सुरक्षा उपाय अपनाने की जरूरत पर जोर दिया।

एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ)‘प्रहार’ द्वारा ‘द इनविजिबल हैंड’ नामक एक रिपोर्ट जारी किये जाने के दौरान ये विचार साझा किए गए। रिपोर्ट में सार्वजनिक क्षेत्र के ऐसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया है जिनका यदि समाधान नहीं किया गया तो ये भारतीय नागरिकों की बेबसी का कारण बन सकते हैं।

प्रहार के सांख्यिकीय अनुमानों के अनुसार, वर्ष 2033 तक भारत पर सालाना लगभग एक हजार अरब साइबर हमले होंगे। वर्ष 2047 में जब देश आजादी के 100 साल पूरे कर रहा होगा तब तक इन साइबर हमलों की संख्या बढ़कर 17 हजार अरब हो जाएगी।

इसमें कहा गया है, ‘‘यह चौंका देने वाला पैमाना राष्ट्र की सुरक्षा के लिए एक मजबूत और बड़े पैमाने पर साइबर रक्षा तंत्र की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करता है।’’

साइबर हमलों पर चिंता जताते हुए प्रहार के अध्यक्ष और राष्ट्रीय संयोजक अभय मिश्रा ने कहा कि साइबर हमले दो तरह हैं। पहले तरह के हमलों में परंपरागत हैकर होते हैं जो वित्तीय लाभ या व्यवधान उत्पन्न करने के लिए तंत्र की कमजोरी का फायदा उठाते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘दूसरा रूप अधिक घातक है। इसके तहत नागरिकों को निशाना बनाया जाता है और फिर उन्हें हेरफेर, जबरदस्ती या धमकी के माध्यम से राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के लिए भर्ती किया जाता है। इस तरह की रणनीति का इस्तेमाल कई अवैध सट्टेबाजी ऐप पर किए जाने की सबसे अधिक आशंका है।’’

एनजीओ की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2023 में देश में 7.9 करोड़ से अधिक साइबर हमले हुए। संख्या के मामले में साइबर हमलों का सामना करने के लिहाज से भारत विश्व स्तर पर तीसरे स्थान पर है। भारत पर साइबर हमले में पिछले वर्ष की तुलना में 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसमें कहा गया है कि यह वृद्धि 2024 तक जारी रही।

प्रसिद्ध तकनीकी-कानूनी विशेषज्ञ और ‘सेंटर फॉर रिसर्च ऑन साइबर क्राइम एंड साइबर लॉ’ के अध्यक्ष अनुज अग्रवाल ने कहा, ‘‘समुदायों को हमारे युवाओं को अवैध सोशल मीडिया मंचों का शिकार बनने से रोकने के काम में शामिल होना चाहिए।’’ भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के पूर्व अधिकारी मुक्तेश चंदर (जो साइबर अपराध जांच और प्रौद्योगिकी प्रबंधन में विशेषज्ञ हैं ) ने कहा,‘‘ऐसी स्थिति पैदा हो गई है जहां न केवल व्यक्तिगत हैकर या असंतुष्ट लोग बल्कि राज्य-प्रायोजित ऐक्टर और स्वयं राज्य भी ऐसी गतिविधियों में शामिल हैं जो अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण मापदंडों को नुकसान पहुंचाती हैं।’’

प्रतिष्ठित अपराधविज्ञानी और ‘क्राइमोफोबिया’ के संस्थापक स्नेहिल ढल ने कहा, ‘‘हमें आक्रामक रुख अपनाना होगा। यह सर्जिकल स्ट्राइक का युग है और यह उन लोगों पर ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ की तैयारी करने का समय है जो हमारे देश के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं।’’

भाषा संतोष पवनेश

पवनेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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