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गुरूवार, 15 मई, 2025
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भारत को मैकमोहन रेखा से आगे के क्षेत्रों को पुनः हासिल करने के लिए कदम उठाने चाहिए: भाजपा सांसद गाओ

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ईटानगर, 15 मई (भाषा) अरुणाचल प्रदेश के कुछ स्थानों के नाम बदलने के लिए चीन की आलोचना करते हुए लोकसभा सदस्य तापिर गाओ ने बृहस्पतिवार को केंद्र से मैकमोहन रेखा के पार लोबा तानी और मिश्मी समुदायों के निवास वाले क्षेत्रों को पुनः हासिल कर ‘‘ऐतिहासिक गलतियों को सुधारने’’ के लिए कदम उठाने का आग्रह किया।

अरुणाचल पूर्व निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा सांसद ने एक बयान में कहा कि मैकमोहन रेखा के पार रहने वाले समुदाय ‘‘भारत के साथ मजबूत सभ्यतागत जड़ें’’ साझा करते हैं, और अब समय आ गया है कि भारत उन क्षेत्रों को पुनः हासिल करे ‘‘जो सही मायने में हमारे देश का हिस्सा हैं’’।

चीन ने अरुणाचल प्रदेश में 27 स्थानों के चीनी नामों की घोषणा की जिनमें 15 पर्वत, चार दर्रे, दो नदियां, एक झील और पांच आवासीय क्षेत्र शामिल हैं। चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताता है।

गाओ ने एक बयान में कहा, ‘‘चीन जितनी बार चाहे उतनी बार पहाड़ों और नदियों के नाम बदल सकता है, लेकिन वह इतिहास को फिर से नहीं लिख सकता।’’ उन्होंने भौगोलिक और सांस्कृतिक तथ्यों को विकृत करने के ‘‘जानबूझकर और राजनीति से प्रेरित प्रयास’’ की आलोचना की।

उन्होंने कहा, ‘‘अरुणाचल प्रदेश कभी भी तिब्बत का हिस्सा नहीं रहा है। यहां तक ​​कि 14वें दलाई लामा ने भी यह बात स्पष्ट कर दी है।’’

देश के बाकी हिस्सों के साथ इस क्षेत्र के लोगों के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों का उल्लेख करते हुए गाओ ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश हमेशा से भारत और उसके लोगों का रहा है और मैकमोहन रेखा के पार रहने वाले लोबा तानी (न्यीशी, तागिन, बोकार, मिश्मी) समुदाय भारत के साथ ‘‘गहरी सभ्यतागत जड़ें साझा करते हैं’’।

उन्होंने कहा, ‘‘मैकमोहन रेखा एक राजनीतिक सीमा के रूप में काम कर सकती है, लेकिन यह साझा विरासत को विभाजित नहीं कर सकती।’’

उन्होंने नयी दिल्ली से मैकमोहन रेखा के पार लोबा तानी और मिश्मी समुदायों के इलाकों को पुनः हासिल कर ‘‘ऐतिहासिक गलतियों’’ को सुधारने के लिए कदम उठाने का आग्रह किया।

केंद्र ने अरुणाचल प्रदेश के कुछ स्थानों के नाम बदलने की चीन की कोशिशों को ‘‘व्यर्थ एवं बेतुका’’ बताकर सिरे से खारिज करते हुए बुधवार को कहा था कि इस तरह के प्रयासों से यह ‘‘निर्विवाद’’ सच्चाई नहीं बदलेगी कि यह राज्य ‘‘भारत का अभिन्न अंग था, है और रहेगा।’’

गाओ ने कहा, ‘‘भारत की एकता को लेकर कोई समझौता नहीं हो सकता। हमारी सीमाएं महज नक्शे पर बनी रेखाएं नहीं हैं, वे हमारे देश की आत्मा का प्रतिनिधित्व करती हैं। अरुणाचल प्रदेश महज एक क्षेत्र नहीं है, यह एक पहचान है। और यह हमेशा भारतीय क्षेत्र रहेगा।’’

पिछले वर्ष अप्रैल में भी जब चीन ने अरुणाचल प्रदेश के 30 स्थानों के ‘‘मानकीकृत नामों’’ की सूची जारी की थी तब भी भारत ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी।

चीनी नागरिक मामलों के मंत्रालय ने छह स्थानों के ‘‘मानकीकृत नामों’’ की पहली सूची 2017 में जारी की थी, जबकि 15 स्थानों की दूसरी सूची 2021 में जारी की गई थी। इसके बाद 2023 में 11 स्थानों के नामों के साथ एक और सूची जारी की गई थी।

भाषा

देवेंद्र अविनाश

अविनाश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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