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Sunday, 3 November, 2024
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EV बिक्री के लक्ष्य को 2030 तक पूरा नहीं कर पाएगा भारत, नीति आयोग के टार्गेट से 40% रह सकता है पीछे

अनुमान लगाया गया है कि देश को 2022 से 2030 के बीच 39 लाख पब्लिक और सेमी-पब्लिक चार्जिंग स्टेशन की जरूरत है तभी 8 करोड़ ईवी के लक्ष्य तक पहुंचा जा सकता है.

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नई दिल्ली: इलेक्ट्रिक व्हिकल (ईवी) को बढ़ावा देने के बावजूद भारत 2030 तक सड़क पर 8 करोड़ ईवी उतारने के लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाएगा और नीति आयोग द्वारा तय किए गए लक्ष्य से 40 प्रतिशत पीछे रह सकता है. गुरुवार को जारी एक रिपोर्ट में ये बात निकलकर आई है.

एक्सीलेरेटिंग ट्रांसपोर्ट इलेक्ट्रिफिकेशन इन इंडिया बाई 2030‘ शीर्षक से आई रिपोर्ट में कहा गया है कि इलेक्ट्रिक मोबिलिटी पॉलिसी और बीते कुछ सालों में बैटरी की कीमतों में गिरावट के बावजूद भारत 2030 तक सिर्फ 5 करोड़ इलेक्ट्रिक व्हिकल के लक्ष्य को ही पूरा कर पाएगा, जो कि नीति आयोग के लक्ष्य से 40 प्रतिशत कम है.

रिपोर्ट के अनुसार यह स्थिति दिखाती है कि उद्योग जगत को ईवी को बढ़ावा देने के लिए काफी कुछ करने के जरूरत है.

साथ ही अनुमान लगाया गया है कि देश को 2022 से 2030 के बीच 39 लाख पब्लिक और सेमी-पब्लिक चार्जिंग स्टेशन की जरूरत है तभी 8 करोड़ ईवी के लक्ष्य तक पहुंचा जा सकता है.

गौरतलब है कि लोकसभा में केंद्र सरकार ने हाल ही में बताया है कि 1 जुलाई 2022 तक देश में कुल 3448 चार्जिंग स्टेशन है. वहीं हेवी इंडस्ट्रीज मंत्रालय ने देश के 25 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 68 शहरों में 2,877 इलेक्ट्रिक व्हिकल चार्जिंग स्टेशन को मंजूरी दी है. साथ ही 9 एक्सप्रेस-वे और 16 हाइवे पर फेम इंडिया स्कीम के फेज 2 के अंतर्गत 1576 चार्जिंग स्टेशन को भी मंजूरी मिली है.

जेएमके रिसर्च एंड एनालिसिस के संस्थापक और सीईओ ज्योति गुलिया ने कहा, ‘2030 के अनुमानित बिक्री के लिए 40 प्रतिशत की कमी को पूरा करने के लिए भारत कुछ प्रयास कर सकता है, जो पहले से ही उपलब्ध है.’

उन्होंने कहा, ‘सभी राज्यों के पास चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने के लिए स्पष्ट लक्ष्य होने चाहिए, सिर्फ इंसेंटिव से काम नहीं चलेगा. देश में इसे पाने के लिए यह पहली शर्त है.’

इसी साल मई में केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि अगले दो साल में देश में इलेक्ट्रिक व्हिकल की संख्या 3 करोड़ हो जाएगी.

उन्होंने बताया था, ‘अभी देश में 12 लाख इलेक्ट्रिक व्हिकल हैं. दिसंबर के अंत तक ये संख्या 40 लाख तक होगी और अगले दो साल में ये तीन करोड़ तक पहुंच जाएगी.’ साथ ही यह भी कहा था कि इलेक्ट्रिक स्कूटर के क्षेत्र में 250 स्टार्टअप्स काम कर रहे हैं और वे अच्छे स्कूटर्स बना रहे हैं.

पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दाम और इससे होने वाले प्रदूषण को कम करने के मद्देनज़र इलेक्ट्रिक वाहनों की तरफ अब लोग मुड़ रहे हैं और तेजी से इन वाहनों की बिक्री भी हो रही है.

द इंटरनेशनल कॉउंसिल ऑन क्लीन ट्रांसपोर्टेशन (आईसीसीटी) और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी), कानपुर द्वारा किए अध्ययन के अनुसार अगर इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा और कोयले के उपयोग को सीमित किया जाए तो 2040 तक 70,380 लोगों की जान बचाई जा सकती है.


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नीतिगत सुझाव

क्लाइमेट ट्रेंड्स और जेएमके रिसर्च एंड एनालिसिस द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में 2030 तक ईवी सेल्स के अनुमानित लक्ष्य तक पहुंचने के लिए भारत कैसे बेहतर कर सकता है, इसके लिए छह सुझाव भी दिए गए हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य की नीतियों और संबंधित सरकारी विभागों के बीच राष्ट्रीय लक्ष्यों के लिए बेहतर समन्वय, सरकारी और एग्रीग्रेटर फ्लीट के 100 प्रतिशत विद्युतिकरण, ईवी के लिए मैंडेट्स खासकर सरकारी वाहनों के लिए, ओरिजनल इक्वीपमेंट मैन्यूफेक्चर (ओईएमएस), बैटरी मैन्युफेक्चर्स और उपभोक्ताओं के लिए वित्तीय समाधान देना और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए राज्य की नीतियां तय करना जरूरी है.

जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था क्लाइमेट ट्रेंड्स की निदेशक आरती खोसला ने बताया कि इलेक्ट्रिक वाहन आज के समय में व्यावसायिक रूप से व्यावहारिक है.

उन्होंने कहा, ‘भारत के नेट जीरो के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है. इलेक्ट्रिक मोबिलिटी में भी देश को बहुत समन्वय की जरूरत है. राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा के अनुरूप लक्ष्य और प्रोत्साहन को परिभाषित करने में राज्यों और केंद्र के बीच प्रयास और नीतियों के लिए बुनियादी ढांचे और वित्तीय समाधानों की जरूरत है.’

बता दें कि मई 2022 में जर्मनी को पीछे करते हुए भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा ओटोमोटिव मार्केट बनकर उभरा था. 2021 में देश में ईवी सेल्स में 163 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई थी.

फास्टर एडोप्शन एंड मैन्युफेक्चरिंग ऑफ हाइब्रिड एंड इलेक्ट्रिक व्हिकल्स (फेम 2) भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है जिसका लक्ष्य इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड व्हिकल तैयार करना है. सरकार ने फेम 2 के लिए 10 हजार करोड़ रुपए आवंटित किए थे.

भारत सरकार की थिंक टैंक नीति आयोग और रॉकी माउंटेन इनीशिएटिव (आरएमआई) की रिपोर्ट के अनुसार अगर फेम 2 सफल होता है तो भारत 2030 तक 30 प्रतिशत निजी कारें, 70 प्रतिशत कमर्शियल कारें, 40 प्रतिशत बसें और 80 प्रतिशत टू और थ्री व्हिलर के लक्ष्य को पूरा कर सकेगा, जो ईवी होंगी. यानी कि 2030 तक 8 करोड़ इलेक्ट्रिक व्हिकल.

रिपोर्ट में बताया गया है कि कई राज्य सरकारें व्हिकल पॉलिसी में बदलाव कर रही हैं और इलेक्ट्रिक वाहनों की तरफ शिफ्ट हो रही हैं. आंध्र प्रदेश, असम, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और हरियाणा ने 100 प्रतिशत इलेक्ट्रिक वाहनों की तरफ शिफ्ट होने का लक्ष्य रखा है.

इलेक्ट्रिक व्हिकल की तरफ शिफ्ट होने का सरकार लक्ष्य

वहीं महाराष्ट्र में अप्रैल 2023 से सभी सरकारी और अर्द्ध-सरकारी एजेंसियों में इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद की जाएगी. असम में 2025 के बाद सरकारी एजेंसियों द्वारा ईवी की खरीद की जाएगी. पंजाब, बिहार और दिल्ली सरकार में भी इस दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं.

इसी साल केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि 2025 के अंत तक भारत का ऑटोसेक्टर दुनिया का नंबर वन मैन्युफेक्चर हब बन जाएगा और दुनिया भर को निर्यात करेगा.

बता दें कि भारत सरकार 2021 में व्हिकल स्क्रैपेज पॉलिसी लेकर आई थी जिसके तहत 20 साल से ज्यादा पुरानी कारों और 15 साल से ज्यादा चली हुई कमर्शियल गाड़ियों का पंजीकरण रद्द कर दिया जाएगा.


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