नयी दिल्ली, 27 अप्रैल (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि पूरी दुनिया में सबसे अधिक किफायती एवं सफल अंतरिक्ष कार्यक्रम का नेतृत्व कर रहा भारत एक वैश्विक अंतरिक्ष शक्ति बन गया है और वह भविष्य में नयी ऊंचाइयों को छुएगा।
मोदी ने कहा कि कई युवा अंतरिक्ष स्टार्टअप के क्षेत्र में नयी उपलब्धियां हासिल कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि 10 साल पहले केवल एक कंपनी थी लेकिन आज देश में 325 से अधिक अंतरिक्ष स्टार्टअप काम कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व प्रमुख के. कस्तूरीरंगन को भी श्रद्धांजलि दी।
इसरो की करीब एक दशक तक बागडोर संभालने वाले के. कस्तूरीरंगन का शुक्रवार को बेंगलुरु में निधन हो गया। वह 84 वर्ष के थे।
मोदी ने कहा, ‘‘हमने दो दिन पहले देश के महान वैज्ञानिक डॉ. के. कस्तूरीरंगन को खो दिया। मेरी कस्तूरीरंगन जी से जब भी मुलाकात होती थी, हम भारत के युवाओं की प्रतिभा, आधुनिक शिक्षा, अंतरिक्ष विज्ञान जैसे विषयों पर काफी चर्चा करते थे। विज्ञान, शिक्षा और भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को नयी ऊंचाई देने में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। उनके नेतृत्व में इसरो को एक नयी पहचान मिली।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि कस्तूरीरंगन के मार्गदर्शन में जो अंतरिक्ष कार्यक्रम आगे बढ़े, उनसे भारत के प्रयासों को वैश्विक मान्यता मिली। उन्होंने कहा कि आज भारत जिन उपग्रहों का उपयोग करता है, उनमें से कई डॉ. कस्तूरीरंगन की देखरेख में ही प्रक्षेपित किए गए थे।
उन्होंने कहा, ‘‘उनके व्यक्तित्व की एक और बात बहुत खास थी, जिससे युवा-पीढ़ी उनसे सीख सकती है। उन्होंने नवोन्मेष को हमेशा महत्व दिया। कुछ नया सीखने, जानने और नया करने का दृष्टिकोण बहुत प्रेरित करने वाला है।’’
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कस्तूरीरंगन ने देश की नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति तैयार करने में भी बहुत बड़ी भूमिका निभाई थी।
उन्होंने कहा कि कस्तूरीरंगन ने 21वीं सदी की आधुनिक जरूरतों के मुताबिक ‘‘भविष्योन्मुखी शिक्षा’’ का विचार पेश किया था।
मोदी ने कहा, ‘‘देश की नि:स्वार्थ सेवा और राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। मैं डॉ. के. कस्तूरीरंगन को विनम्र भाव से श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।’’
मोदी ने कहा कि अप्रैल में आर्यभट्ट उपग्रह के प्रक्षेपण के 50 वर्ष पूरे हुए हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘आज जब हम पीछे मुड़कर देखते हैं, 50 वर्ष की इस यात्रा को याद करते हैं तो लगता है कि हमने कितनी लंबी दूरी तय की है। अंतरिक्ष में भारत के सपनों की ये उड़ान एक समय केवल हौसलों से शुरू हुई थी। राष्ट्र के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा पाले कुछ युवा वैज्ञानिकों के पास न तो आज जैसे आधुनिक संसाधन थे, न ही दुनिया की प्रौद्योगिकी तक वैसी पहुंच थी, अगर कुछ था तो वह था- प्रतिभा, लगन, मेहनत और देश के लिए कुछ करने का जज्बा।’’
मोदी ने कहा, ‘‘अहम उपकरणों को बैलगाड़ियों और साइकिल पर रखकर खुद लेकर जाते हमारे वैज्ञानिकों की तस्वीरों को आपने भी देखा होगा। उसी लगन और राष्ट्र सेवा की भावना का नतीजा है कि आज इतना कुछ बदल गया है।’’
उन्होंने कहा कि आज अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत एक वैश्विक शक्ति बन चुका है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हमने एक साथ 104 उपग्रहों का प्रक्षेपण करके रिकॉर्ड बनाया है। हम चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बने हैं। भारत ने ‘मार्स ऑर्बिटर मिशन’ (मंगलयान) का प्रक्षेपण किया और हम आदित्य – एल1 मिशन के जरिए सूरज के काफी करीब तक पहुंचे हैं।’’
मोदी ने कहा कि आज भारत पूरी दुनिया में सर्वाधिक किफायती तथा सफल अंतरिक्ष कार्यक्रम का नेतृत्व कर रहा है।
उन्होंने कहा कि दुनिया के कई देश अपने उपग्रहों और अंतरिक्ष मिशन के लिए इसरो की मदद लेते हैं।
मोदी ने कहा, ‘‘हम जब इसरो द्वारा किसी उपग्रह का प्रक्षेपण देखते हैं तो हम गर्व से भर जाते हैं। ऐसी ही अनुभूति मुझे तब हुई जब मैं 2014 में पीएसएलवी-सी-23 के प्रक्षेपण का साक्षी बना था। मैं 2019 में चंद्रयान-2 के प्रक्षेपण के दौरान भी बेंगलुरु के इसरो केंद्र में मौजूद था। उस समय चंद्रयान को अपेक्षित सफलता नहीं मिली थी, तब वैज्ञानिकों के लिए बहुत मुश्किल घड़ी थी लेकिन मैं अपनी आंखों से वैज्ञानिकों के धैर्य और कुछ कर गुजरने का जज्बा भी देख रहा था।’’
उन्होंने कहा कि कुछ साल बाद पूरी दुनिया ने भी देखा कि कैसे उन्हीं वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-3 को सफल करके दिखाया।
मोदी ने कहा कि भारत ने अपने अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी क्षेत्र के लिए भी खोल दिया है और आज बहुत से युवा अंतरिक्ष क्षेत्र के स्टार्टअप में नए झंडे लहरा रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘आने वाला समय अंतरिक्ष के क्षेत्र में बहुत सारी नयी संभावनाएं लेकर आ रहा है। भारत नयी ऊंचाइयों को छूने वाला है। देश गगनयान, स्पैडेक्स और चंद्रयान-4 जैसे कई अहम मिशन की तैयारियों में जुटा है। हम शुक्र ऑर्बिटर मिशन और मंगल लैंडर मिशन पर भी काम कर रहे हैं।’’
मोदी ने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिक अपने नवोन्मेषों से देशवासियों को गौरवान्वित करते रहेंगे।
प्रधानमंत्री ने 1917 के चंपारण सत्याग्रह को याद करते हुए कहा कि यह भारत में महात्मा गांधी का पहला बड़ा प्रयोग था।
मोदी ने कहा, ‘‘बापू के सत्याग्रह से पूरी अंग्रेज हुकूमत हिल गई। अंग्रेजों को नील की खेती के लिए किसानों को मजबूर करने वाले कानून को स्थगित करना पड़ा। ये एक ऐसी जीत थी जिसने आजादी की लड़ाई में नया विश्वास फूंका। आप सब जानते होंगे कि इस सत्याग्रह में बड़ा योगदान बिहार के एक और सपूत का भी था जो आजादी के बाद देश के पहले राष्ट्रपति बने। वह महान विभूति थे -डॉ. राजेन्द्र प्रसाद। उन्होंने ‘चंपारण सत्याग्रह’ पर एक किताब भी लिखी।’’
उन्होंने कहा कि अप्रैल में ही स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई के कई और अमिट अध्याय जुड़े हुए हैं।
मोदी ने कहा, ‘‘अप्रैल की छह तारीख को ही गांधी जी की ‘दांडी यात्रा’ संपन्न हुई थी। बारह मार्च से शुरू होकर 24 दिन तक चली इस यात्रा ने अंग्रेजों को झकझोर कर रख दिया था। अप्रैल में ही जलियांवाला बाग नरसंहार हुआ था। पंजाब की धरती पर इस रक्तरंजित इतिहास के निशान आज भी मौजूद हैं।’’
उन्होंने कहा कि कुछ ही दिनों में 10 मई को प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की वर्षगांठ भी आने वाली है।
मोदी ने कहा कि आजादी की उस पहली लड़ाई में जो चिंगारी उठी थी, वह आगे चलकर लाखों सेनानियों के लिए मशाल बन गई।
उन्होंने कहा, ‘‘अभी 26 अप्रैल को हमने 1857 की क्रांति के महान नायक बाबू वीर कुंवर सिंह की पुण्यतिथि भी मनाई। बिहार के महान सेनानी से पूरे देश को प्रेरणा मिलती है। हमें ऐसे ही लाखों स्वतंत्रता सेनानियों की अमर प्रेरणाओं को जीवित रखना है।’’
मोदी ने कहा, ‘‘हमें उनसे जो ऊर्जा मिलती है, वह अमृतकाल के हमारे संकल्पों को नयी मजबूती देती है।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की सबसे बड़ी ताकत उसके 140 करोड़ नागरिक, उनका सामर्थ्य एवं उनकी इच्छा शक्ति है और जब करोड़ों लोग किसी अभियान से एक-साथ जुड़ जाते हैं तो उसका प्रभाव बहुत बड़ा होता है।
उन्होंने ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान का उदाहरण देते हुए कहा कि पांच जून को ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ पर इस अभियान को एक वर्ष पूरा हो रहा है।
मोदी ने कहा, ‘‘इस एक साल में इस अभियान के तहत देश-भर में मां के नाम पर 140 करोड़ से ज्यादा पेड़ लगाए गए। भारत की इस पहल को देखते हुए देश के बाहर भी लोगों ने अपनी मां के नाम पर पेड़ लगाए हैं।’’
मोदी ने इस बात की भी सराहना की कि केरल के वायनाड में कैसे केसर किसी खेत या मिट्टी में नहीं, बल्कि ‘एरोपोनिक्स’ (मिट्टी के बिना पौधे उगाने की ऐसी विधि जिसमें जड़ें हवा में लटकी रहती हैं) तकनीक की मदद से उगाया जा रहा है।
जरूरत के समय अन्य देशों को भारत की ओर से की गई मदद के बारे में बात करते हुए मोदी ने म्यांमा में आए विनाशकारी भूकंप का जिक्र किया जिसमें हजारों लोगों की जान चली गई थी।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी टीम ने वहां राहत और बचाव कार्य किया, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें बौद्ध भिक्षुओं से बहुत आशीर्वाद मिला। हमें ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ में भाग लेने वाले सभी लोगों पर बहुत गर्व है।’’
मोदी ने कहा, ‘‘कुछ ही दिन पहले भारत ने अफगानिस्तान के लोगों के लिए बड़ी मात्रा में टीके भेजे थे। ये टीके रेबीज, टेटनस, हेपेटाइटिस बी और इन्फ्लूएंजा जैसी खतरनाक बीमारियों की रोकथाम में उपयोगी होंगे। इस सप्ताह नेपाल के अनुरोध पर भारत ने थैलेसीमिया और सिकल सेल रोगों के बेहतर इलाज के लिए दवाओं और टीकों की एक बड़ी खेप वहां भेजी है।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब भी मानवता की सेवा की बात आएगी, भारत हमेशा सबसे आगे रहा है और हमेशा रहेगा।
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देवेंद्र नरेश
नरेश
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