नयी दिल्ली, 16 मई (भाषा) केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने शुक्रवार को कहा कि जलवायु संकट में अपनी न्यूनतम भूमिका के बावजूद भारत जलवायु कार्रवाई में आवश्यक तत्परता के साथ योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध है।
जलवायु परिवर्तन और पर्वतीय क्षेत्रों पर इसके प्रभाव पर वैश्विक संवाद सत्र ‘सागरमाथा संवाद’ के पहले संस्करण को संबोधित करते हुए मंत्री ने कहा कि वैश्विक कार्बन बजट तेजी से कम हो रहा है और विकसित देश शेष बचे हिस्से को अनुपातहीन रूप से हड़प रहे हैं।
वैश्विक कार्बन बजट कार्बन डाइऑक्साइड की वह मात्रा है जिसे औद्योगिक क्रांति के बाद से औसत वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखते हुए वायुमंडल में उत्सर्जित किया जा सकता है।
यादव ने कहा कि जलवायु वित्त, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और क्षमता निर्माण प्रदान करने की विकसित देशों की प्रतिबद्धताओं की घोर उपेक्षा की गई है, जिससे जलवायु संकट गहरा गया है जिसके लिए वे कहीं अधिक जिम्मेदार हैं।
उन्होंने कहा कि संवाद केवल चर्चा का मंच नहीं है बल्कि सामूहिक ठोस कार्रवाई का आह्वान है।
यादव ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत जलवायु कार्रवाई में योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध है, भले ही संकट के लिए हमारी भूमिका बहुत कम हो।’’
उन्होंने कहा कि भारत जलवायु कार्रवाई पर अपनी बातों पर अमल कर रहा है और संसाधनों के सतत और विचारशील उपयोग पर ध्यान केंद्रित करने वाली पहल ‘मिशन लाइफ’ के तहत विकास के प्रतिमान में स्थिरता को शामिल कर रहा है।
मंत्री ने कहा कि हिमालय पर्यावरण संकट के एक बड़े हिस्से का बोझ सहता है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम भारत में, अपने महत्वपूर्ण हिमालयी क्षेत्र के साथ, इन प्रभावों को प्रत्यक्ष रूप से देख रहे हैं। हम पर्वतीय राज्यों और उनके लोगों की चिंताओं को साझा करते हैं। हमारा पर्यावरणीय भविष्य आंतरिक रूप से जुड़ा हुआ है।’’
उन्होंने कहा कि दक्षिण एशिया 2020 तक वैश्विक संचयी कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन के केवल 4 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार रहा है, जबकि यहां वैश्विक आबादी का लगभग 25 प्रतिशत हिस्सा रहता है।
मंत्री ने उम्मीद जताई कि यह वार्ता पर्वतीय क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन पर वैज्ञानिक सहयोग बढ़ाने, जलवायु लचीलापन बनाने और पर्वतीय देशों के लिए पर्याप्त और पूर्वानुमानित जलवायु वित्त सुनिश्चित करने का मार्ग प्रशस्त करेगी।
उन्होंने कहा कि भारत इस मुद्दे पर नेपाल और सभी हिमालयी देशों तथा अन्य वैश्विक भागीदारों के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध है।
यादव ने यह भी उल्लेख किया कि ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत भारत में 1.42 अरब पौधे लगाए गए हैं, जिनमें भारतीय हिमालयी क्षेत्र में 7.21 करोड़ पौधे शामिल हैं।
भाषा वैभव मनीषा
मनीषा
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.