scorecardresearch
सोमवार, 19 मई, 2025
होमदेशसोमालिया, तंजानिया, सूडान से चीते लाने पर भारत कर रहा विचार

सोमालिया, तंजानिया, सूडान से चीते लाने पर भारत कर रहा विचार

Text Size:

(गौरव सैनी)

नयी दिल्ली, 25 अगस्त (भाषा) दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया जैसे दक्षिणी गोलार्ध के देशों से लाये गए चीतों में जैविक परिवर्तन की समस्याओं से बचने के लिए भारत ने भविष्य में सोमालिया, तंजानिया, सूडान और भूमध्य रेखा के करीब या उत्तरी गोलार्ध के अन्य देशों से चीते मंगाने पर विचार किया है। आधिकारिक रिकॉर्ड से यह जानकारी मिली है।

उत्तरी और दक्षिणी गोलार्धों के बीच ‘सर्केडियन रिदम’ (जीव-जंतु में शारीरिक, मानसिक और व्यावहारिक परिवर्तन) के कारण पिछले वर्ष कुछ चीतों ने अफ्रीकी सर्दियों (जून से सितंबर) की आशंका के चलते भारत के ग्रीष्म और मानसून ऋतु के दौरान ही खुद को सर्दियों से बचाव के अनुरूप कर लिया था।

इनमें से तीन चीतों – एक नामीबियाई मादा और दो दक्षिण अफ्रीकी नर – की पीठ और गर्दन पर हुए घावों में कीड़े लगने और रक्त संक्रमण के कारण मौत हो गई।

पीटीआई-भाषा को सूत्रों से पता चला है कि नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका के चीतों ने एक बार फिर सर्दियों के हिसाब से अपने को ढाल लिया है। इन चिंताओं के बावजूद, नये चीते लाने के लिए दक्षिणी गोलार्ध के देशों के साथ बातचीत की जा रही है।

एक सूत्र ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया सहित अन्य देशों के साथ बातचीत की रही है, लेकिन हमने औपचारिक रूप से किसी से संपर्क नहीं किया है। वर्तमान में, हमारा ध्यान तात्कालिक मुद्दों को हल करने पर है, जैसे कि शिकार के लिए दायरा बढ़ाना और गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य तैयार करना।’’

सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत दायर एक अर्जी से पीटीआई-भाषा को हासिल दस्तावेजों से पता चला है कि पिछले साल 10 अगस्त को एक संचालन समिति की बैठक के दौरान, इसके अध्यक्ष राजेश गोपाल ने कहा था कि दक्षिणी गोलार्ध देशों के चीतों को मध्यप्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में स्थानीय पर्यावरण, जलवायु और परिस्थितियों के अनुसार खुद को ढालने में लगने वाला समय उनकी मौत का एक महत्वपूर्ण कारण हो सकता है।

उन्होंने इस मुद्दे के कारण और अधिक मृत्यु दर की आशंका को स्वीकार किया और सिफारिश की कि भविष्य में चीतों को ऐसी समस्याओं से बचाने के लिए केन्या या सोमालिया जैसे उत्तरी गोलार्ध के देशों से उन्हें लाया जाना चाहिए।

शुक्रवार को एक बैठक में, संचालन समिति ने भारत में पैदा हुए अफ्रीकी चीतों और उनके शावकों को देश के मध्य भागों से मानसून की वापसी के बाद चरणबद्ध तरीके से जंगल में छोड़ने का फैसला किया है, जो आमतौर पर अक्टूबर के पहले सप्ताह तक होता है।

एक अधिकारी ने बताया कि मानसून खत्म होने के बाद वयस्क चीतों को चरणबद्ध तरीके से जंगल में छोड़ा जाएगा, वहीं शावकों और उनकी माताओं को दिसंबर के बाद छोड़ा जाएगा।

सभी 25 चीते – 13 वयस्क और 12 शावक – वर्तमान में ठीक हैं। अधिकारी के अनुसार, इन चीतों को बीमारियों से बचाने के लिए टीका लगाया गया है और संक्रमण रोकने के लिए दवा दी गई है।

भाषा सुभाष अविनाश

अविनाश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments