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Friday, 3 May, 2024
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भारत उन 10 देशों में शामिल है जो बच्चों को खसरे की पहली खुराक देने में रहा पीछे: WHO और US CDC रिपोर्ट

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021-2022 में दुनिया भर में खसरे की घटनाओं में 72 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. 2021-2022 के दौरान अनुमानित खसरे से होने वाली मौतें 43% बढ़कर 95,000 से 1,36,200 हो गईं.

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नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में भारत में 11 लाख बच्चों को खसरे का पहला टीका नहीं लगा है. जिसके साथ ही भारत उन 10 देशों में शामिल हो गया, जहां ऐसे शिशुओं की संख्या बहुत अधिक हैं जिन्हें खसरा टीके की पहली खुराक नहीं मिली है.

‘प्रोग्रेस टोवार्ड मीसल्स एलिमिनेशन – वर्ल्डवाइड, 2000–2022’ शीर्षक से रिपोर्ट गुरुवार को जारी की गई.

यह निष्कर्ष भारत के कम से कम पांच राज्यों के कई जिलों में खसरे के फैलने की सूचना के लगभग एक साल बाद आया है. जो तेज़ी से फैलता वायरल रोग है और छोटे बच्चों को प्रभावित करता है, जिसकी वजह से कभी-कभी उनकी जान भी चली जाती है.

प्रकोप ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को 16 राज्यों के 85 जिलों में अतिरिक्त खसरा और रूबेला (एमआर) टीकाकरण अभियान चलाने के लिए मजबूर किया था, जिसमें नौ महीने से पांच साल की उम्र के सभी बच्चों को एमआर वैक्सीन की एक अतिरिक्त खुराक दी गई थी.

टीके से रोके जाने वाले इस वायरल रोग, खसरे में सामान्य फ्लू जैसे लक्षण होते हैं और इसके परिणामस्वरूप पूरे शरीर पर चकत्ते पड़ जाते हैं. गंभीर मामलों में, यह छोटे बच्चों में निमोनिया और मस्तिष्क की सूजन का कारण बनता है, जो घातक साबित हो सकता है.

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विशेषज्ञों का कहना है कि बीमारी से मृत्यु दर आमतौर पर 1-3 प्रतिशत होती है लेकिन प्रकोप के दौरान यह 3-5 प्रतिशत तक जा सकती है.

पिछले साल दिसंबर में जारी एक बयान में, केंद्र सरकार ने कहा था कि महाराष्ट्र से खसरे के कारण कुल 3,075 संक्रमण और 13 मौतें हुई थीं, जबकि कुछ अन्य राज्यों में भी संक्रमण की सूचना मिली थी.

केंद्र सरकार के सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम के तहत, एमआर वैक्सीन शिशुओं को दो खुराक में दी जाती है: पहली नौ से 12 महीने की उम्र में और दूसरी 16 से 24 महीने की उम्र में. मम्प्स-मीसल्स-रूबेला (एमएमआर) के रूप में टीका निजी क्षेत्र में भी उपलब्ध है.

डब्ल्यूएचओ-यूएससीडीसी रिपोर्ट के अनुसार, 2021-2022 के दौरान, दुनिया भर में खसरे की घटनाओं में 72 प्रतिशत की वृद्धि हुई. जो प्रति 1 मिलियन जनसंख्या पर 17 से बढ़कर 29 हो गई, और बड़े या विघटनकारी प्रकोप का अनुभव करने वाले देशों की संख्या 22 से बढ़कर 37 हो गई.

2021-2022 के दौरान अनुमानित खसरे से होने वाली मौतें 43 प्रतिशत बढ़कर 95,000 से 1,36,200 हो गईं.

डब्ल्यूएचओ के एक बयान के अनुसार, “खसरे के टीकाकरण कवरेज में वर्षों की गिरावट के बाद, 2022 में खसरे के मामलों में 18 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, और वैश्विक स्तर पर (2021 की तुलना में) मौतों में 43 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.”

WHO-USCDC रिपोर्ट में कहा गया है कि “2022 में, खसरा टीकाकरण कवरेज और वैश्विक निगरानी ने COVID-19 महामारी की असफलताओं से कुछ सुधार दिखाया. हालांकि, कम आय वाले देशों में कवरेज में गिरावट आई और वैश्विक स्तर पर, वर्षों से कम टीकाकरण कवरेज के कारण लाखों बच्चे असुरक्षित हो गए.”

2022 में खसरे की पहली खुराक की वैश्विक टीका कवरेज दर, 83 प्रतिशत और दूसरी, 74 प्रतिशत थी. अभी भी दो खुराक के साथ 95 प्रतिशत कवरेज से काफी नीचे थी, जो कि डब्ल्यूएचओ के अनुसार समुदायों को प्रकोप से बचाने के लिए आवश्यक है.

पिछले साल, केंद्र सरकार ने कहा था कि डब्ल्यूएचओ और यूनाइटेड नेशंस इंटरनेशनल चिल्ड्रन इमरजेंसी फण्ड के अनुमान के अनुसार, भारत में एमआर वैक्सीन की पहली खुराक का कवरेज 89 प्रतिशत था, जबकि 2021 में दूसरी खुराक के लिए यह 82 प्रतिशत था.

डब्ल्यूएचओ के टीकाकरण एजेंडा 2030 में प्रभाव के मुख्य संकेतक के रूप में खसरा उन्मूलन शामिल है, जो प्रतिरक्षा अंतराल की पहचान करने के लिए खसरा निगरानी प्रणालियों के महत्व पर प्रकाश डालता है, और खसरा टीके की दो समय पर बचपन की खुराक के साथ समान 95 प्रतिशत कवरेज प्राप्त करता है.

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव सुधांश पंत ने दिप्रिंट से कहा कि, वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली के अनुसार, भारत में खसरा और रूबेला वैक्सीन की पहली खुराक का कवरेज 99.8 प्रतिशत है, जबकि दूसरी खुराक का कवरेज 91.6 फीसदी रहा.

दिप्रिंट के साथ सचिव द्वारा साझा किए गए एक नोट में कहा गया कि “केवल 29,276 बच्चे टीके की पहली खुराक लेने से चूक गए. इसके अलावा, सरकार द्वारा राज्यों के साथ समन्वय में कई पहल की गईं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी बच्चों को, चाहे वे टीकाकरण से वंचित हों या आंशिक रूप से, टीके की सभी छूटी हुई/देय खुराकें मिलें.”

नोट में कहा गया है कि आवधिक टीकाकरण गहनता गतिविधियों में वैक्सीन लगाने की उम्र 2 साल से बढ़ाकर 5 साल कर दी गई है.

इसमें कहा गया है कि सघन मिशन इंद्रधनुष (आईएमआई) (अभियान मोड में टीकाकरण) 3.0 और 4.0 उन बच्चों की पहचान करने के लिए 2022 और 2023 में चलाया गया था, जो टीके की पूरी खुराक लेने से चूक गए होंगे. साथ ही, पांच साल तक के बच्चों में वैक्सीन के कवरेज को बढ़ाने पर विशेष ध्यान देने के साथ इस साल आईएमआई 5.0 चलाया गया.

इसमें कहा गया, “इन सभी चरणों में, लगभग 5.17 करोड़ बच्चों को टीकों की देय/छूटी खुराक का टीका लगाया गया है.”


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खसरा और रूबेला को खत्म करने की भारत की योजना

भारत ने पहले खसरा और रूबेला को खत्म करने का लक्ष्य 2015 निर्धारित किया था, जिसे 2020 तक बढ़ा दिया गया और अब इस वर्ष के अंत तक निर्धारित किया गया है.

हालांकि, वायरोलॉजिस्ट डॉ. टी. जैकब जॉन, जो खसरा और रूबेला पर भारत विशेषज्ञ समूह के सह-अध्यक्ष हैं, ने गुरुवार को दिप्रिंट को बताया कि देश के केवल 75 प्रतिशत जिले ही बीमारियों को “खत्म” घोषित करने की स्थिति में हैं.

उन्होंने कहा, “इस बार, हम लक्ष्य से पीछे नहीं हटने वाले हैं क्योंकि हम बीमारियों को खत्म करने के लिए एक जिला-विशिष्ट योजना के साथ आगे बढ़ रहे हैं.”

जॉन ने कहा, “जो जिले पीछे रह गए हैं उन्हें तेजी से आगे बढ़ाना होगा और इसमें जिला मजिस्ट्रेटों और जिला टीकाकरण अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी.”

वायरोलॉजिस्ट ने कहा कि हालांकि, एक और समस्या है.

उन्होंने कहा, “चूंकि (Covid) महामारी के दौरान बड़ी संख्या में बच्चे खसरे के टीकाकरण से चूक गए थे, इसलिए 2022 के प्रकोप के दौरान पांच से नौ साल और नौ से 15 साल की उम्र के बच्चों में भी कुछ मामले सामने आए. यह देखना बाकी है कि इसका उन जिलों पर क्या प्रभाव पड़ेगा जो रोग उन्मूलन लक्ष्य की दिशा में अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं.”

(संपादन: अलमिना खातून)
(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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