सीकर, 12 अगस्त (भाषा) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि भारत हमेशा से ही विश्व का कल्याण चाहने वाला देश है और यहां के वेदों में सभी शास्त्र निहित हैं।
डॉ. भागवत ने मंगलवार को राजस्थान के सीकर जिले में स्थित श्री जानकीनाथ बड़ा मंदिर, रैवासा धाम में ब्रह्मलीन पूज्य रेवासा पीठाधीश्वर स्वामी राघवाचार्य वेदांती महाराज की प्रथम पुण्यतिथि पर आयोजित ‘श्री सियपिय मिलन समारोह’ को संबोधित करते हुए यह बात कही।
इस अवसर पर उन्होंने स्वामी राघवाचार्य की तीन फुट ऊंची संगमरमर की प्रतिमा का अनावरण और नव-निर्मित गुरुकुल भवन का लोकार्पण भी किया।
सरसंघचालक ने कहा कि इतिहास ने भी जब आंखें नहीं खोली थीं, तब से विश्व को सत्य, धर्म और आध्यात्म का मार्ग दिखाने तथा मानवता के कल्याण का कार्य भारतवर्ष और भारत का हिंदू समाज कर रहा है।
डॉ. भागवत ने कहा कि भारत के स्वतंत्र होने के बाद लोगों ने भविष्यवाणी की थी कि यहां प्रजातंत्र चल ही नहीं सकता, लेकिन प्रजातंत्र चला भी और जब इस पर संकट आया तो लोगों ने उसका प्रतिकार करके प्रजातंत्र को कायम रखा है। उन्होंने कहा कि आज भारत आश्चर्यजनक रूप से प्रजातांत्रिक देश होने के नाते प्रजातंत्र के मामले में सारी दुनिया से आगे है।
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि भारत एक ऐसा राष्ट्र है, जिसने सदैव विश्व कल्याण के लिए प्रयास किया है और अब विश्व स्तर पर अपना उचित स्थान बना रहा है।
डॉ. भागवत ने राघवाचार्य जी का स्मरण करते हुए कहा, ‘‘ मेरा उनसे संबंध सरसंघचालक बनने के बाद ही हुआ। पहली भेंट में मेरे मन में दो बातें आईं पहली, उनके हृदय में सभी के लिए स्नेह था, और दूसरी, वे सभी को आत्मीय भाव से देखते थे।’’
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कुंज, रवि कांत रवि कांत
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