नयी दिल्ली, 11 जून (भाषा) भारत ने आसियान के नेतृत्व वाले दो प्रमुख तंत्रों की बैठकों में पहलगाम में हाल में हुए आतंकवादी हमले के मद्देनजर आतंकवाद से उत्पन्न खतरे के बारे में गंभीर चिंता जताई। उसने रेखांकित किया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में भारत की प्रतिक्रिया ‘‘नपी-तुली, टकराव को नहीं बढ़ाने वाली, सटीक और जिम्मेदाराना’’ थी।
सचिव (पूर्व) पी कुमारन ने 10 जून को आयोजित पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक (ईएएस एसओएम) और 11 जून को मलेशिया के पेनांग में आयोजित आसियान क्षेत्रीय मंच के तहत वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक (एआरएफ एसओएम) में भारत का प्रतिनिधित्व किया।
मलेशिया वर्तमान में दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों के संगठन (आसियान) की अध्यक्षता कर रहा है।
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘सचिव (पूर्व) ने क्षेत्र में आपसी विश्वास और समझ को बढ़ावा देने के लिए उभरते क्षेत्रीय ढांचे में आसियान के नेतृत्व वाले तंत्रों और विशेष रूप से एआरएफ और ईएएस की भूमिका की सराहना की। उन्होंने केंद्र-शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए जघन्य आतंकवादी हमले के मद्देनजर सरकार समर्थित आतंकवाद से उत्पन्न खतरे के बारे में भारत की गंभीर चिंताओं को साझा किया।’’
बयान में कहा गया है, ‘‘उन्होंने रेखांकित किया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में भारत की प्रतिक्रिया नपी-तुली, टकराव को नहीं बढ़ाने वाली, सटीक और जिम्मेदाराना थी।’’
आतंकवादियों ने 22 अप्रैल को दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में 26 लोगों की हत्या कर दी थी, जिनमें ज्यादातर पर्यटक शामिल थे।
भारत ने पहलगाम हमले के जवाब में पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट करने के लिए छह मई की रात को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया। पाकिस्तानी हमलों के बाद की सभी जवाबी कार्रवाई इसी ऑपरेशन के तहत की गई।
विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा कि बैठक में ईएएस और एआरएफ के भागीदार देशों के वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया और इसकी अध्यक्षता मलेशिया के विदेश मंत्रालय के महासचिव दातो अमरान मोहम्मद जिन ने की।
ईएएस एसओएम में अपने संबोधन में कुमारन ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता को बढ़ावा देने में नेताओं के नेतृत्व वाले ईएएस मंच द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया।
भाषा आशीष पारुल
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