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Tuesday, 19 November, 2024
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भारत ने टैंकों में लगने वाले स्वदेशी इंजन का किया पहला परीक्षण, जो अर्जुन और FRCV में होगा प्रयोग

यह भारत के लिए स्वदेशी इंजनों का उपयोग करने और विदेशी इंजनों पर निर्भर न रहने का मार्ग प्रशस्त करता है. अर्जुन एमके-1ए के लिए प्रारंभ में चुने गए जर्मन इंजन के बजाय 1500 एचपी इंजन का उपयोग किया जाएगा.

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नई दिल्ली: मंगलवार को भारत ने 1,500 एचपी के स्वदेशी इंजन का पहला परीक्षण किया, जो अर्जुन एमके-1ए सहित देश के सभी भविष्य के टैंकों को शक्ति प्रदान करेगा.

यह एक महत्वपूर्ण डेवलेपमेंट है, क्योंकि यह परीक्षण भारत के लिए विदेशी इंजनों पर निर्भर रहने के बजाय टैंकों के लिए स्वदेशी इंजनों का उपयोग करने का मार्ग प्रशस्त करेगा.

तात्कालिक रूप से इसका प्रमुख लाभ अर्जुन एमके-1ए को मिलेगा, जिसके उत्पादन में जर्मन फर्म मोटरन-उंड टर्बिनन यूनियन (एमटीयू) द्वारा इंजन की आपूर्ति की कमी के कारण देरी हुई है. रक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने बताया कि कंपनी ने अपनी प्रोडक्शन लाइन बंद होने का हवाला देते हुए रक्षा मंत्रालय को समय पर इंजन उपलब्ध न करा पाने के बारे में सूचित किया था. उन्होंने बताया कि इस विशेष लाइन को फिर से शुरू करने में, खास तौर पर तब जब वे रूस-यूक्रेन संघर्ष के लिए इंजन बनाने में व्यस्त हैं, समय लगेगा. यह अर्जुन एमके 1ए की डिलीवरी की समय-सीमा को यदि ज्यादा नहीं तो कम से कम 3 साल तक बढ़ा देगा.

इसके बाद, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने स्वदेशी विकास योजना को तेज कर दिया था, जिसे भविष्य के लिए तैयार लड़ाकू वाहनों (एफआरसीवी) के लिए शुरू किया गया था.

अर्जुन एमके-1एएस के लिए 1,500 एचपी के स्वदेशी इंजन में कुछ बदलाव किए जा रहे हैं.

मंगलवार का परीक्षण मैसूरु में राज्य संचालित बीईएमएल लिमिटेड के इंजन डिवीजन में किया गया था और प्रौद्योगिकी स्थिरीकरण पर ध्यान केंद्रित करते हुए इसकी परियोजना की जेनरेशन वन के पूरा होने का प्रतीक है.

जेनरेशन टू में डीआरडीओ प्रयोगशाला, कॉम्बैट व्हीकल्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट में विभिन्न परीक्षणों के लिए बीईएमएल द्वारा इंजन का उत्पादन और उपयोगकर्ता परीक्षण के लिए वास्तविक वाहनों में उनका एकीकरण देखा जाएगा.

यह परियोजना 2025 के मध्य तक पूरी होने वाली है. रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा, अगस्त 2020 में शुरू की गई इस परियोजना को पांच प्रमुख मील के पत्थर में सावधानीपूर्वक संरचित किया गया है, जो समय पर पूरा होने और गुणवत्ता मानकों का पालन सुनिश्चित करता है.

“1500 एचपी इंजन, सैन्य प्रणोदन प्रणालियों में एक आदर्श बदलाव करेगा, जिसमें उच्च पावर-टू-वेट अनुपात, अधिक ऊंचाई, सब-ज़ीरो तापमान और रेगिस्तानी वातावरण सहित चरम स्थितियों में संचालन क्षमता जैसी अत्याधुनिक विशेषताएं हैं. रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है, उन्नत प्रौद्योगिकियों से लैस, यह इंजन विश्व स्तर पर सबसे उन्नत इंजनों की बराबरी पर खड़ा है.

जो महत्वपूर्ण है वह इंजन की अधिक ऊंचाई पर काम करने की क्षमता पर जोर देना है. जबकि अर्जुन टैंक रेगिस्तानों के लिए हैं और अपने वजन के कारण अधिक ऊंचाई और पहाड़ी इलाकों में काम नहीं कर सकता है, एफआरसीवी को दोनों इलाकों में काम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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