नई दिल्ली: दिप्रिंट को पता चला है कि भारत-चीन सीमा मामलों पर वर्किंग मैकेनिज्म फॉर कंसल्टेशन एंड को-ऑर्डिनेशन (डब्ल्यूएमसीसी) के तहत, दोनों देशों के बीच शुक्रवार को एक और राउंड की बातचीत हुई. ये बातचीत उन ख़बरों के बीच हुई कि लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर पीछे हटने की प्रक्रिया धीमी पड़ गई है.
सूत्रों के मुताबिक़, शुक्रवार की डब्ल्यूएमसीसी मीटिंग इसलिए हुई कि चीन भारत के साथ ‘पूरा सहयोग नहीं कर रहा है’ जिसकी वजह से पीछे हटने और तनाव कम करने की प्रक्रिया उस समझौते से हटने लगी है, जो 5 जुलाई की फोन कॉल के दौरान, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच हुआ था.’
सूत्रों के अनुसार, चीनी साइड पूरे पूर्वी लद्दाख सेक्टर में सैनिकों की भारी तैनाती बनाए हुए है. तैनात किए असलहे में एयर डिफेंस सिस्टम्स और लम्बी दूरी की तोपें शामिल हैं.
सूत्रों ने बताया कि हॉट स्प्रिंग्स और गोगरा इलाकों में तीव्रता में कमी की प्रक्रिया वैसे आगे नहीं बढ़ रही जैसे बढ़नी चाहिए.
सूत्रों ने कहा कि अगर पीछे हटने और तीव्रता में कमी की प्रक्रिया की गति ऐसी ही रही, तो विशेष प्रतिनिधियों को एक और दौर की बातचीत करनी पड़ सकती है.
डब्ल्यूएमसीसी, सीमावर्ती विवाद सुलझाने का एक द्विपक्षीय फ्रेमवर्क है.
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‘जल्दी से जल्दी पीछे हटना’
इस महीने के शुरू में अपनी वार्ता के दौरान डोभाल और वांग, जो सीमा वार्ता के लिए भारत और चीन के नामित विशेष प्रतिनिधि हैं, ‘जल्दी से जल्दी पूरी तरह पीछे हटने‘ पर सहमत हो गए थे.
उस बातचीत ने 6 जुलाई से लद्दाख़ में पीछे हटने की प्रक्रिया के लिए, ताज़ा प्रयास करने की स्टेज तैयार कर दी.
लेकिन, सूत्रों ने कहा कि चूंकि योजना उम्मीद के मुताबिक़ आगे बढ़ती हुई नज़र नहीं आ रही थी, इसलिए इसकी रूपरेखा पर चर्चा करने के लिए डब्ल्यूएमसीसी मीटिंग आयोजित की गई. डब्ल्यूएमसीसी वार्ता का पिछला राउंड, सिर्फ दो हफ्ते पहले 10 जुलाई को हुआ था जिसके बाद भारत और चीन ने 14 जुलाई को, कोर कमांडर लेवल की बातचीत की, जो मई में चीनी अतिक्रमण की घटनाओं के बीच, द्विपक्षीय तनाव बढ़ने के बाद से चौथी बातचीत थी.
बृहस्पतिवार को हुई मीडिया ब्रीफिंग में, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा था कि जल्द ही डब्ल्यूएमसीसी की एक मीटिंग की जाएगी. उन्होंने आगे कहा था कि भारत और चीन के बीच, सीमावर्ती इलाक़ों में शांति बनाए रखने का आधार, एसएसी का ‘सम्मान और कड़ाई से पालन’ है.
श्रीवास्तव ने ये भी कहा था, ‘जैसा कि हमने पहले कहा है, सीमावर्ती इलाक़ों में शांति बनाए रखना, हमारे द्विपक्षीय रिश्तों का आधार है. इसलिए हम अपेक्षा करते हैं कि पूरी तरह पीछे हटने और तीव्रता कम करने और सीमावर्ती क्षेत्रों में जल्द से जल्द शांति बहाल करने में, चीन गंभीरता से हमारे साथ काम करेगा, जैसा कि विशेष प्रतिनिधियों के बीच तय हुआ था’.
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