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Friday, 1 November, 2024
होमदेशलद्दाख में भारत-चीन गतिरोध FATF की बैठक में कैसे प्रभावित कर सकता है पाकिस्तान की किस्मत

लद्दाख में भारत-चीन गतिरोध FATF की बैठक में कैसे प्रभावित कर सकता है पाकिस्तान की किस्मत

वर्चुअल एफएटीएफ प्लिनरी 21 से 23 अक्तूबर तक होगी. अपेक्षा है कि चीन पाकिस्तान को ‘ग्रे लिस्ट’ से हटवाने की कोशिश करेगा, जबकि भारत उसे ब्लैकलिस्ट कराना चाहेगा.

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नई दिल्ली: भारत ‘चिंतित’ है कि पेरिस स्थित फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की आगामी प्लिनरी के दौरान, भारत के साथ अपने तनाव के चलते, चीन पाकिस्तान की हिमायत में अपना दांव बढ़ाएगा, और उसे ‘ग्रे लिस्ट’ से हटवाने की कोशिश करेगा. लेकिन दिप्रिंट को पता चला है कि भारत भी एक मजबूत राजनयिक पुश के ज़रिए पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट कराने के लिए तैयार है.

एफएटीएफ प्लिनरी इस बार 21-23 अक्टूबर के बीच, वर्चुअल तरीक़े से आयोजित होने जा रही है, और राजनयिक सूत्रों के अनुसार भारत एक ‘दोहरी चुनौती’ के लिए तैयारी कर रहा है, जो उसे बीजिंग और इस्लामाबाद से मिलने की संभावना है.

ये प्लिनरी ऐसे समय होने जा रही है, जब भारत और चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा पर लद्दाख क्षेत्र में एक बेहद तीखे गतिरोध में उलझे हुए हैं, जो 1975 के तनाव के बाद सबसे तनावपूर्ण गतिरोध है.

एफएटीएफ प्लिनरी, निर्णय लेने वाली शीर्ष इकाई है, और साल में तीन बार बैठक करती है- फरवरी, जून और अक्टूबर.

पाकिस्तान ‘ग्रे लिस्ट’ में

पाकिस्तान जून 2018 की प्लिनरी के बाद से, एफएटीएफ की ‘ग्रे लिस्ट’ में है, और ईरान व उत्तरी कोरिया के साथ शामिल है. उस समय पाकिस्तान को एक 27 सूत्री एक्शन प्लान, और अक्टूबर 2019 की समय सीमा दी गई थी. लेकिन उस समयसीमा तक पाकिस्तान केवल पांच लक्ष्य पूरे कर सका था.

पिछले साल अक्टूबर में, एफएटीएफ ने पाकिस्तान को चेतावनी दी थी, कि अगर वो तमाम ज़रूरतों को पूरा नहीं करता, तो उसे ‘हाई रिस्क’ की श्रेणी में रख दिया जाएगा, जिसे ‘ब्लैक लिस्ट’ भी कहा जाता है.

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने कहा है, कि अपने देश में आतंकी नेटवर्क का दमन करने के लिए, वो बहुत सी पहलकदमियां कर रहे हैं लेकिन भारत इस बात पर क़ायम है कि पाकिस्तान अभी भी जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) और लशकर-ए-तैयबा (एलईटी) जैसे, ख़ौफनाक आतंकी संगठनों को सक्रिय समर्थन दे रहा है.

इस साल अगस्त में, भारत की नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) ने एक चार्जशीट दायर की, जिसमें जेईएम प्रमुख मसूद अज़हर, उसके भाई अब्दुल रऊफ़ असग़र और अन्य को, 2019 के पुलवामा हमले को अंजाम देने के लिए नामज़द किया गया है, जिसमें 40 सीआरपीएफ जवान मारे गए थे.

भारत एफएटीएफ के संज्ञान में लाया है कि इमरान खान सरकार ने संयुक्त राष्ट्र के लिए दो नोटिफिकेशंस जारी किए, जिनमें 88 दहशतगर्दों की मौजूदा स्थिति, और उनकी पहचान का ब्यौरा दिया गया है, जिनमें दाऊद इब्राहिम, जमात-उद-दावा (जेयूडी) चीफ हाफ़िज़ सईद, मसूद अज़हर और अन्य शामिल हैं.


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प्लिनरी में क्या हो सकता है

अब, चीन पाकिस्तान को ‘ग्रे लिस्ट’ से बाहर लाने की कोशिश कर रहा है, चूंकि इससे उस देश में विदेशी निवेश पर असर पड़ता है.

एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, ‘साफ है कि चीन इस बार एफएटीएफ में कोशिश करेगा, और उसने पहले ही पाकिस्तान के पीछे काफी राजनयिक वज़न डाल दिया है- जो एक बार फिर पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट होने से बचा लेगा’.

इस बीच, भारत उम्मीद कर रहा है कि अमेरिका चीन के प्रयासों को विफल कर देगा और पाकिस्तान को ‘ग्रे लिस्ट’ में ही रहने देगा. हालांकि, ये भी माना जा रहा है कि तालिबान और अफगानिस्तान से चल रही बातचीत के चलते, अमेरिका पाकिस्तान को फिसलकर ‘ब्लैकलिस्ट’ में नहीं आने देगा.

एफएटीएफ के नियमों के अनुसार ‘ग्रे लिस्ट’ से बाहर आने के लिए, पाकिस्तान को प्रहरी के तय किए हुए, 27 मानदंडों में से कम से कम 13 पर पूरा उतरना होगा. ‘ग्रे लिस्ट’ से बाहर होने के लिए, उसे एफएटीएफ के 39 सदस्यों में से 12 की सहमति लेनी होगी, जो वो अभी तक हासिल नहीं कर पाया है.

लेकिन, ब्लैकलिस्ट होने से बचने के लिए, पाकिस्तान को बस तीन वोटों की ज़रूरत है. सूत्रों के मुताबिक़, चीन के अलावा उसे टर्की और मलेशिया का भी समर्थन मिलेगा.

सेंटर फॉर चाइना एनालिसिस एंड स्ट्रैटेजी के अध्यक्ष और पूर्व इंटेलिजेंस ऑफिसर जयदेव रानाडे ने दिप्रिंट से कहा, ‘चीन पाकिस्तान के और निकट आ गया है और भारत से गतिरोध के बात वो इस्लामाबाद से और कसकर गले मिल रहा है. सर्जिकल स्ट्राइक्स, बालाकोट, और धारा 370 हटाए जाने के बाद से ही, ये बढ़ना शुरू हो गया था लेकिन अब ये सहयोग और गहरा हो गया है. पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर लाने के लिए, चीन अब और अधिक मेहनत करेगा, लेकिन वो उसमें कामयाब नहीं होगा’.

पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने आगे कहा, ‘अमेरिका पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट नहीं होने देगा, और उसे चीन, टर्की व मलेशिया से भी समर्थन मिलेगा, इस प्रकार उसके ब्लैकलिस्टल किए जाने की संभावना बहुत कम है. लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि भारत प्रयास करना बंद कर सकता है. बल्कि उसे और ज़्यादा उपाय करने चाहिए, ताकि पाकिस्तान का ब्लैकलिस्ट होना सुनिश्चित हो जाए’.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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