नई दिल्ली: अगले हफ्ते लद्दाख में भारत और चीन के कोर कमांडरों की मुलाकात होने जा रही है जिसमें पैंगोंग लेक और देपसांग एरिया में, डिसएंगेजमेंट वार्ता को आगे बढ़ाया जा सकता है. बैठक में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैनिकों के जमावड़े को कम करने लिए भी कदम उठाए जाएंगे, जिसमें टैंक, तोपखाना और फॉर्वर्ड पोजीशंस में अतिरिक्त बल शामिल हैं.
14 कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और साउथ शिंजियांग मिलिटरी डिस्ट्रिक्ट के कमांडर मेजर जनरल लिन लियु, पहले दौर के डिसएंगेजमेंट का जायज़ा लेंगे, जो इस बृहस्पतिवार को गलवान घाटी के पेट्रोल प्वॉइंट (पीपी) 17, और हॉट स्प्रिंग एरिया में पूरा किया गया.
रक्षा प्रतिष्ठान में एक सूत्र ने कहा, ‘गलवान घाटी और हॉट स्प्रिंग एरिया के पीपी 15 और पीपी 17 में भारत की साइड में, अब कोई चीनी सैनिक नहीं हैं. इन इलाकों में चीनी सैनिक 1.5 से 2 किलोमीटर पीछे चले गए हैं और अब वो एलएसी के अपनी ओर हैं’.
दोनों पक्षों की ओर से डिसएंगेजमेंट प्रक्रिया की ज़मीनी स्तर पर जांच की जाएगी, जिससे सुनिश्चित किया जा सके कि समझौते की शर्तों का पालन हुआ है.
यह भी पढ़ें: ‘मैं विकास दुबे कानपुर वाला…’ उज्जैन से हुई नाटकीय गिरफ्तारी पर उठे सवाल, विपक्ष ने बताया ‘फिक्स्ड है सरेंडर’
डब्ल्यूएमसीसी बैठक कल
सूत्रों ने बताया कि इंडिया-चाइना वर्किंग मिकैनिज़्म फॉर कंसल्टेशन एंड को-ऑर्डिनेशन की मीटिंग शुक्रवार को होने की संभावना है. उसके बाद अगले हफ्ते होने वाली, कोर कमांडर स्तर की बातचीत का एजेंडा तय किया जाएगा.
एक सूत्र ने कहा, ‘अगले हफ्ते कोर कमांडर स्तर की एक बैठक होगी. उस बैठक में चर्चा के बिंदु शुक्रवार को होने वाली डब्ल्यूएमसीसी वार्ता के हिसाब से तय किए जाएंगे’.
दिप्रिंट ने पहले खबर दी थी कि डब्ल्यूएमसीसी मीटिंग संयुक्त सचिव (पूर्वी एशिया) नवीन श्रीवास्तव और चीनी विदेश मंत्रालय के बाउंडरी व ओशन विभाग के महानिदेशक वू जियांघाओ के बीच वर्चुअल तरीके से होगी.
जैसी कि सोमवार को खबर दी गई थी, डिसएंगेजमेंट प्रक्रिया अभी तक आपसी रही है जिसमें भारत भी टकराव वाले विवादित प्वाइंट्स से पीछे हटा है, हालांकि अतिक्रमण चीन की ओर से हुआ था. इसके नतीजे में चीन भारत के मुकाबले, वास्तविक नियंत्रण के ज़्यादा करीब आ गया है.
सूत्रों ने कहा था कि भारत चीन से ‘थोड़ा कम’ पीछे हटा है, चूंकि सेना वैसे भी अपने ही इलाके में थी.
यह भी पढ़ें: मोदी और शी बेशक ताकतवर नेता हैं, मगर एलएसी पर स्थायी शांति चाहिए तो दोनों को समझौते करने पड़ेंगे
डिसएंगेजमेंट की शर्तें
दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हो गए हैं कि फिलहाल जिन जगहों से वो पीछे हटे हैं, वहां पर कोई गश्त नहीं होगी. दोनों में ये सहमति भी हुई है कि पिछले टकराव के बिंदुओं से अलग-अलग दूरियों पर, दोनों ओर से बराबर संख्या में सैनिक और कैंप्स रखे जाएंगे. हालांकि सेना इस बात पर खामोश रही कि वो फासला कितना था और कितनी संख्या में कैंप्स और सैनिकों की अनुमति होगी.
एक सूत्र ने समझाया, ‘ये तय नहीं है. अगर ये मान लें कि चीनियों को 2 किलोमीटर पीछे जाना पड़ता है और भारत को एक किलोमीटर, तो टेंट्स वहीं लगाए जा सकते हैं जहां पर जगह है. वो ठीक उसी जगह पर नहीं लगाए जा सकते, जहां एक किलोमीटर खत्म होता है’.
सूत्र ने कहा कि कोर कमांडर स्तर की पिछली बातचीत में- जो 22 और 30 जून को हुई थी- चीनियों ने दावा किया था कि वो डिसएंगेजमेंट की प्रक्रिया में थे और 15 जून को उनकी जगह पर, भारतीय गश्ती दल के दिखाई देने से उसमें देरी हुई थी. यही वो विवाद था जिसके ऊपर श्योक नदी के पास वो हिंसक झड़प हुई, जिसमें बीस सैनिकों की जान चली गई.
भविष्य में ऐसी स्थिति से बचने के लिए, दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हो गए हैं कि फिलहाल कोई पेट्रोलिंग नहीं की जाएगी.
भारत आमतौर पर गलवान घाटी में पीपी 14, और हॉट स्प्रिंग एरिया में पीपी-15, 17 और 17-ए तक गश्त करता है.
यह भी पढ़ें: भारत-चीन सीमा विवाद पर विदेश मंत्रालय ने कहा- बातचीत के जरिए मतभेदों के समाधान को लेकर आश्वस्त हैं
लेकिन कुछ जानकारियां मिलती रही हैं कि चीनी, देपसांग एरिया में पीपी-11,12, और 13 में भारतीय सैनिकों की गश्त को चुनौती दे रहे थे.
इस बीच, जैसा कि बुधवार को खबर दी गई, इस हफ्ते के शुरू से पैंगोंग लेक इलाके में, फिंगर 4 पर चीन की मौजूदगी ‘कम‘ हो गई है, इस पोज़ीशन पर अभी भी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) हावी है.
देपसांग के मैदानों में, भारत और चीन दोनों ने अपनी तैनातियां बढ़ा दी हैं. पीएलए ने अतिरिक्त टैंक लगा दिए और उन्हें उनकी सामान्य पोज़ीशंस से थोड़ा आगे कर दिया लेकिन अभी भी वो एलएसी से दूर हैं.
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)