नयी दिल्ली, 26 मार्च (भाषा) भारत दुनिया के कई देशों को दवा विनियमन के बेहतरीन तरीकों और भारतीय दवा नियामकों द्वारा की गई प्रभावशाली पहलों के बारे में प्रशिक्षण प्रदान कर सकता है। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संगठन ‘राष्ट्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संस्थान’ (एनआईएचएफडब्ल्यू) ने अफ्रीकी, दक्षिण पूर्व एशियाई और दक्षेस देशों के दवा विनियामकों के लिए औषधि और विनियामक पहलुओं तथा विशेषज्ञता साझा करने को लेकर प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रस्तावित किये हैं।
इनका प्रस्ताव विदेश मंत्रालय के अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रशिक्षण और शिक्षा केंद्र (आईटीईसीएच) के कार्यक्रम के तहत दिया गया है।
एनआईएचएफडब्ल्यू के निदेशक डॉ. धीरज शाह ने कहा कि केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के सहयोग से एनआईएचएफडब्ल्यू द्वारा प्रशिक्षण के प्रस्ताव तैयार करके स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजा है।
डॉ. शाह ने बताया कि भारत में होने वाले औषधि परीक्षण और टीका के विभिन्न पहलुओं और नए टीके और दवाओं के विपणन से जुड़ी मंजूरी प्राप्त करने की प्रक्रिया पर प्रशिक्षण दिया जाएगा।
इस कार्यक्रम के तहत देशों को बताया जाएगा कि बाजार निगरानी के माध्यम से दवाओं की गुणवत्ता की निगरानी कैसे की जाती है, जहां बाजार और विनिर्माण केंद्रों से दवाओं के नमूने यादृच्छिक (रैंडम) रूप से लिए जाते हैं और सरकारी प्रयोगशालाओं में उनका परीक्षण किया जाता है। ये प्रशिक्षण कार्यक्रम एनआईएचएफडब्ल्यू में आयोजित किए जाएंगे।
वहीं, एनआईएचएफडब्ल्यू चिकित्सकों के लिए विशेष रूप से एक नया प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करने की योजना बना रहा है, ताकि उन्हें रोगियों और उनके परिवारों के साथ प्रभावी ढंग से संवाद करने में मदद मिल सके। नया पाठ्यक्रम स्वास्थ्य केंद्रों में संघर्ष के बढ़ते मामलों की पृष्ठभूमि में तैयार किया गया है।
एनआईएचएफडब्ल्यू के निदेशक डॉ. धीरज शाह ने बुधवार को मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि संगठन के अस्पताल प्रशासन पाठ्यक्रमों में संघर्ष प्रबंधन और चिकित्सकों, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ और अन्य स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को कौशल प्रदान करने से संबंधित घटक भी शामिल हैं।
शाह ने कहा, ‘लेकिन हमने चिकित्सकों के लिए संचार और बेहतर मरीज प्रबंधन पर एक विशेष पाठ्यक्रम प्रस्तावित किया है, ताकि स्वास्थ्य सुविधाओं में संघर्ष के मामलों पर अंकुश लगाया जा सके और इससे प्रभावी ढंग से निपटा जा सके। चिकित्सकों को स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में चिकित्सा संबंधी कानूनी मुद्दों से निपटने के लिए भी प्रशिक्षण दिया जाएगा।’’ यह पाठ्यक्रम अगले चार से पांच महीनों में शुरू होने की संभावना है।
भाषा
संतोष पवनेश
पवनेश
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.