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मंगलवार, 6 मई, 2025
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चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बना भारत, प्रधानमंत्री ने कहा- अविस्मरणीय

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(तस्वीरों के साथ)

बेंगलुरु, 23 अगस्त (भाषा) चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ के बाद भारत वहां पहुंच गया है जहां पहले कोई देश नहीं पहुंचा है।

अंतरिक्ष अभियान में बड़ी छलांग लगाते हुए भारत का चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-3’ बुधवार शाम 6.04 बजे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा, जिससे देश चांद के इस क्षेत्र में उतरने वाला दुनिया का पहला तथा चंद्र सतह पर सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया है।

भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र में यह ऐतिहासिक उपलब्धि ऐसे समय मिली है जब कुछ दिन पहले रूस का अंतरिक्ष यान ‘लूना 25’ चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने के मार्ग में दुर्घटनाग्रस्त हो गया।

गत 14 जुलाई को 41 दिन की चंद्र यात्रा पर रवाना हुए चंद्रयान-3 की सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ और इस प्रौद्योगिकी में भारत के महारत हासिल करने से पूरे देश में जश्न का माहौल है।

भारत से पहले चांद पर पूर्ववर्ती सोवियत संघ, अमेरिका और चीन ही सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कर पाए हैं, लेकिन ये देश भी चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ नहीं कर पाए, और अब भारत के नाम इस उपलब्धि को हासिल करने का रिकॉर्ड हो गया है।

चार साल में भारत के दूसरे प्रयास में चंद्रमा पर अनगिनत सपनों को साकार करते हुए चंद्रयान-3 के चार पैरों वाले लैंडर ‘विक्रम’ ने अपने पेट में रखे 26 किलोग्राम के रोवर ‘प्रज्ञान’ के साथ योजना के अनुसार चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में सफलतापूर्वक ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ की। शाम 5.44 बजे लैंडर मॉड्यूल को चंद्र सतह की ओर नीचे लाने की शुरू की गई प्रक्रिया के दौरान इसरो वैज्ञानिकों ने इस कवायद को ‘दहशत के 20 मिनट’ के रूप में वर्णित किया।

लैंडिंग के तुरंत बाद, इसरो ने कहा कि लैंडर और अंतरिक्ष एजेंसी के बेंगलुरु स्थित मिशन संचालन परिसर (एमओएक्स) के बीच संचार लिंक स्थापित हो गया।

अंतरिक्ष एजेंसी ने चंद्रमा की सतह पर उतरने के दौरान ‘हॉरिजॉन्टल वेलोसिटी कैमरा’ (एलएचवीसी) द्वारा ली गई लैंडर की तस्वीरें भी जारी कीं।

बेंगलुरु स्थित भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के मिशन संचालन परिसर (एमओएक्स) में वैज्ञानिकों के खुशी से झूमने के साथ ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भारत अब चांद पर है तथा यह सफलता पूरी मानवता की है।

ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने जोहानिसबर्ग गए मोदी ने इसरो वैज्ञानिकों को ऑनलाइन संबोधित करते हुए कहा कि भारत ने ‘पृथ्वी पर एक संकल्प लिया और चंद्रमा पर इसे पूरा किया।’

उन्होंने कहा, ‘यह हमेशा के लिए याद रखने योग्य क्षण है।’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘भारत अब चांद पर है और अब ‘चंद्र पथ’ पर चलने का समय है।’

उन्होंने कहा, ‘हम नए भारत की नयी उड़ान के साक्षी हैं। नया इतिहास लिखा गया है।’

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, केंद्रीय मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों, वैज्ञानिक और फिल्म बिरादरी तथा राजनीतिक नेताओं ने अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की सराहना की।

मोदी ने कहा, ‘भारत बार-बार साबित कर रहा है कि आकाश कोई सीमा नहीं है।’

उन्होंने यह भी कहा कि इसरो पहले ही सूर्य के लिए एक मिशन ‘आदित्य-एल1’ शुरू करने की तैयारी कर चुका है और शुक्र ग्रह के अन्वेषण की योजना भी बना रहा है।

इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान-3 की सफलता भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को भविष्य के और अधिक चुनौतीपूर्ण अभियानों को पूरा करने का आत्मविश्वास देती है।

उन्होंने मिशन की सफलता के कुछ मिनट बाद कहा, ‘‘हमने चंद्रमा पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ में सफलता हासिल कर ली है। भारत चांद पर है।’’

सोमनाथ ने चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के लिए नेतृत्व की एक पीढ़ी और अंतरिक्ष एजेंसी के वैज्ञानिकों के योगदान को स्वीकार किया और कहा कि यह उपलब्धि ‘प्रोत्साहन प्रदान करने वाली प्रगति’ और ‘बहुत बड़ी सफलता’ है।

उन्होंने इसरो टीम को संबोधित करते हुए कहा, ‘माननीय प्रधानमंत्री ने मुझे फोन किया और इसरो में आपके द्वारा किए गए अद्भुत काम के लिए आपमें से प्रत्येक को और आपके परिवार को शुभकामनाएं दीं। चंद्रयान-3 जैसे अभियानों और अन्य अभियानों के लिए वह हमें जो समर्थन दे रहे हैं, उसके लिए उन्हें धन्यवाद। देश के लिए हम जो प्रेरणादायक काम कर रहे हैं, उसे आगे बढ़ाने के लिए यह सांत्वना का एक बड़ा शब्द है जो हमें मिल रहा है।”

उन्होंने कहा, ‘हम बहुत दर्द और पीड़ा से गुज़रे हैं।’

पूरा देश आज की सफलता पर खुशी से झूम उठा और हजारों भारतीय मिशन की सफलता के लिए प्रार्थना करने के लिए मंदिरों, दरगाहों और गुरुद्वारों में एकत्र हुए।

लोग ऐतिहासिक घटना का सीधा प्रसारण देखने के लिए शैक्षणिक संस्थानों, कार्यालयों, शहर के चौराहों और धार्मिक स्थानों पर एकत्र हुए।

चंद्रयान-3, चंद्रयान-2 का अनुवर्ती मिशन है और इस मिशन को भी चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित ‘सॉफ्ट-लैंडिंग’, चंद्रमा पर रोवर की चहलकदमी और वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम देने के उद्देश्य से भेजा गया।

चंद्रयान-2 सात सितंबर, 2019 को ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का प्रयास करते समय लैंडर की ब्रेकिंग प्रणाली में विसंगति के कारण विफल हो गया था। पहले चंद्र मिशन को 2008 में अंजाम दिया गया था।

चंद्रयान-3 मिशन पर 600 करोड़ रुपये की लागत आई और 14 जुलाई को इसे प्रक्षेपण यान ‘लॉन्च व्हीकल मार्क-3’ (एलवीएम-3) रॉकेट के जरिए प्रक्षेपित किया गया था।

लैंडर और छह पहियों वाले रोवर (कुल वजन 1,752 किलोग्राम) को एक चंद्र दिवस की अवधि (धरती के लगभग 14 दिन के बराबर) तक काम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

लैंडर में सुरक्षित रूप से चंद्र सतह पर उतरने के लिए कई सेंसर थे, जिसमें एक्सेलेरोमीटर, अल्टीमीटर, डॉपलर वेलोमीटर, इनक्लिनोमीटर, टचडाउन सेंसर और खतरे से बचने एवं स्थिति संबंधी जानकारी के लिए कैमरे लगे थे।

भाषा नेत्रपाल माधव

माधव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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