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Saturday, 18 May, 2024
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भारत व रूस के बीच हो रहा है 6 लाख से अधिक एके 203 राइफलों के लिए समझौता, जल्द शुरू होगा उत्पादन

पहली 20,000 रायफलें रूस से आयात की जाएंगी, जिनकी क़ीमत 80,000 रुपये प्रति राइफल होगी. बाक़ी राइफलें एक साझा उद्यम के तहत भारत में बनाई जाएंगी.

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नई दिल्ली: दिप्रिंट को पता चला है कि मेक इन इंडिया के तहत रूस के साथ बहुत समय से लंबित चले आ रहे, एके 203 राइफल्स के सौदे को अंतिम रूप दे दिया गया है और समझौते पर दस्तख़त करने से पहले दोनों पक्ष उसका क़ानूनी पुनरीक्षण कर रहे हैं.

रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने बताया, कि इस साल के अंत तक, 6 लाख से अधिक राइफलों के उत्पादन का कार्य शुरू हो जाएगा और उनके पास निर्यात की भी क्षमता है.

समझौते के तहत, पहली 20,000 राइफलें, जो आने वाले सालों में सशस्त्र सेनाओं का मुख्य सहारा होंगी, रूस से आयात की जाएंगी, जिनकी क़ीमत क़रीब 1,100 डॉलर (या 80,000 रुपए) प्रति राइफल होगी, जो परिवर्तन दर पर निर्भर होगी.

बाक़ी बंदूक़ों का उत्पादन भारत में एक संयुक्त उद्यम- इंडो-रशियन राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड- के तहत किया जाएगा, जो इंडियन ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड (ओएफबी), कलाश्निकोव कंसर्न, और सैन्य निर्यात के लिए रूस की सरकारी एजेंसी रोज़ोबोरोनएक्सपोर्ट के बीच स्थापित की गई है. इस साझा उद्यम में 50.5 प्रतिशत हिस्सेदारी ओएफबी की है, जबकि कलाश्निकोव की 42 प्रतिशत और रोज़ोबोरोनएक्सपोर्ट की 7.5 प्रतिशत है.

ज़्यादा विस्तार में जाने से मना करते हुए, सूत्रों ने कहा कि इन मेक इन इंडिया राइफलों की लागत, उन राइफलों से ‘थोड़ी कम’ होगी जो आयातित होंगी.

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इस सौदे का ऐलान पहली बार 2018 में, बहुत उत्साह के साथ किया गया था, लेकिन फिर क़ीमतों पर सौदेबाज़ को लेकर इसमें बाधाएं आ गईं. इसके उत्पादन में अधिक समय लगने, और कुछ दूसरी दिक़्क़तों की बात करते हुए, ओएफबी इस रूसी उत्पाद की लागत ज़्यादा बता रही थी.


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इस गतिरोध को दूर करने के लिए, रक्षा मंत्रालय ने एक कमिटी भी गठित की थी.

इस देरी की वजह से सेना को मजबूरन, अपने फ्रंटलाइन सैनिकों को हथियार मुहैया कराने के लिए, फास्ट-ट्रैक प्रक्रिया के तहत, अमेरिका से एसआईजी-716 राइफलें मंगानी पड़ीं थीं. 72,000 एसआईजी रायफलें पहले ही आ चुकी हैं, और सेना 72,000 अतिरिक्त राइफलों की आपात ख़रीद कर रही है.

एक सूत्र ने कहा,’एके 203 के समझौते का क़ानूनी पुनरीक्षण चल रहा है और इस पर जल्द ही दस्तख़त हो जाएंगे.’

दिप्रिंट ने 13 अगस्त को ख़बर दी थी कि एके 203 का उत्पादन नरेंद्र मोदी सरकार के लिए एक उच्च प्राथमिकता बन गया है और इसमें तेज़ी लाने के लिए हर संभव प्रयास हो रहे हैं.

एक आधुनिक असॉल्ट राइफल

एके 203 कलाश्निकोव कसर्न में बनने वाली,सबसे आधुनिक असॉल्ट राइफलों में से एक है. कलाश्निकोव मशहूर एके-सीरीज़ की राइफलें बनाती है, जिनमें एके-47 भी शामिल हैं.

इस राइफल के चैम्बर से 7.62×39 एमएम की गोलियां फायर की जा सकती हैं (जैसी एके-47 में होती हैं).

ये नई राइफलों 5.56 x45 एमएम इंसास (इंडियन स्मॉल आर्म्स सिस्टम) की जगह लेंगी, जो दो दशकों से भी अधिक समय से इस्तेमाल में रही हैं.


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एके 103 के मुक़ाबले- जो मूल रूप से साझा उद्यम में बननी थी, एके 203 कोलैप्सेबल स्टॉक से लैस है, जो शूटर के क़द के हिसाब से एडजस्ट किया जा सकता है.

इस राइफल में एक अलग सुरक्षा मिकैनिज़म है, जिससे किसी ऑपरेशन के दैरान फायरिंग मोड को बदलते हुए, सैनिक को अपनी पकड़ छोड़ने की ज़रूरत नहीं पड़ती.

इसमें एक फ्लैश हाइडर भी है, जो उस समय काम आता है, जब असॉल्ट राइफल को नाइट विज़ के साथ इस्तेमाल किया जाता है, चूंकि गोली चलाने से पैदा हुई चमक विज़िबिलिटी में रुकावट पैदा कर सकती है.

रायफल में एक नई बैरल और आपस में बदलने लायक़ मैगज़ीन है, जिसमें स्टैंडर्ड 30 और 50 राउंड्स होते हैं.

एके 47 मैगज़ीन एके 203 के साथ इस्तेमाल की जा सकती है.

दिलचस्प ये है कि सरकार ने मेजर जनरल संजीव सेंगर को अमेठी फैक्ट्री का सीईओ नियुक्त किया था, जहां ये राइफलें बनाई जानी हैं.

एक सेवारत मेजर जनरल को अमेठी फैक्ट्री का सीईओ नियुक्त करना, सेना में दशकों में पहली बार हुआ है.

ऑर्डिनेंस फैक्ट्रियों के उत्पादों की क्वालिटी और उनकी डिलीवरी की समस्या, सेना के लिए चिंता का विषय रहा है और एके 203 फैक्ट्री के लिए अगर ये नया मॉडल सफल हो जाता है, तो इससे आगे चलकर ऐसी सुविधाओं की निगरानी के लिए, एक नया सेट-अप बनाने का रास्ता साफ हो सकता है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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