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Wednesday, 20 August, 2025
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भारत और चीन ने अपनी विकास क्षमता को पूर्णतः हासिल करने के लिए कई कदमों की घोषणा की

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(तस्वीरों के साथ)

नयी दिल्ली, 19 अगस्त (भाषा) भारत और चीन ने ‘‘स्थिर, सहयोगात्मक और दूरदर्शी’’ संबंध बनाने के लिए मंगलवार को कई कदमों की घोषणा की, जिसमें सीमा पर मिलकर शांति बनाए रखना, सीमा व्यापार को फिर से खोलना, निवेश प्रवाह को बढ़ावा देना और सीधी उड़ान के जरिये संपर्क सुविधा को जल्द से जल्द फिर से शुरू करना शामिल है।

दोनों एशियाई देशों की पूर्ण विकास क्षमता को हासिल करने के उद्देश्य से ये घोषणाएं ऐसे समय में की गई हैं जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्यापार और शुल्क नीतियों को लेकर भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में तनाव बढ़ रहा है।

चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने पिछले दो दिन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात के अलावा विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ व्यापक वार्ता की। इसके बाद भारत और चीन ने एक संयुक्त दस्तावेज में इन कदमों को सूचीबद्ध किया।

दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि उन्हें प्रधानमंत्री मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच बनी महत्वपूर्ण आम सहमति को गंभीरतापूर्वक क्रियान्वित करना चाहिए तथा भारत-चीन संबंधों के सतत, सुदृढ़ और स्थिर विकास को बढ़ावा देना चाहिए।

वांग सोमवार को दो-दिवसीय यात्रा पर दिल्ली पहुंचे। उनकी यात्रा को दोनों पड़ोसियों द्वारा अपने संबंधों को फिर से सुधारने के लिए किए जा रहे प्रयासों के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है। वर्ष 2020 में गलवान घाटी में हुए भीषण संघर्ष के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में काफी तल्खी आ गई थी।

विदेश मंत्रालय (एमईए) ने एक दस्तावेज में कहा कि विशेष प्रतिनिधि वार्ता के ढांचे के तहत मंगलवार को डोभाल एवं वांग के बीच बातचीत से पांच ठोस परिणाम सामने आए, जिनमें परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) के तहत एक विशेषज्ञ समूह का गठन करना शामिल है, ताकि ‘‘सीमा परिसीमन में शीघ्र परिणाम’’ की संभावना तलाशी जा सके।

बैठक में, डोभाल और वांग ने समग्र द्विपक्षीय संबंधों को राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में देखने की आवश्यकता पर सहमति व्यक्त की। उन्होंने सीमा विवाद के समाधान के लिए 2005 में हस्ताक्षरित मार्गदर्शक सिद्धांतों पर समझौते और राजनीतिक मानदंडों के अनुसार सीमा विवाद सुलझाने के मकसद से एक निष्पक्ष, उचित और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य ढांचे की वकालत की।

उन्होंने भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में शांति और सौहार्द बनाए रखने के लिए प्रभावी सीमा प्रबंधन को आगे बढ़ाने के मकसद से डब्ल्यूएमसीसी के तहत एक कार्य समूह गठित करने पर भी सहमति व्यक्त की।

दस्तावेज के अनुसार, दोनों पक्ष पश्चिमी क्षेत्र में इसी तरह के तंत्र के अलावा पूर्वी और मध्य क्षेत्रों में एक ‘‘सामान्य स्तर का तंत्र’’ बनाने और पश्चिमी क्षेत्र में इस तंत्र की शीघ्र बैठक आयोजित करने पर भी सहमत हुए।

दोनों पक्ष सीमा प्रबंधन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए राजनयिक और सैन्य स्तरों पर सीमा प्रबंधन तंत्र का उपयोग करने और तनाव कम करने पर चर्चा करने पर भी सहमत हुए।

जयशंकर और वांग के बीच सोमवार को हुई वार्ता में कुल 12 परिणाम सामने आए, जिनमें विभिन्न आधिकारिक द्विपक्षीय वार्ता और आदान-प्रदानों तंत्रों का पता लगाने एवं उन्हें फिर से शुरू करने, सहयोग बढ़ाने और एक-दूसरे की चिंताओं का समाधान करने तथा मतभेदों को उचित ढंग से प्रबंधित करने का निर्णय शामिल है।

संयुक्त दस्तावेज में कहा गया है कि दोनों पक्ष तीन निर्दिष्ट व्यापारिक बिंदुओं, यानी लिपुलेख दर्रा, शिपकी ला दर्रा और नाथू ला दर्रा के माध्यम से सीमा व्यापार को फिर से खोलने पर सहमत हुए हैं।

इसमें कहा गया है कि भारत और चीन ‘‘ठोस कदमों’’ के माध्यम से दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश प्रवाह को सुगम बनाने पर भी सहमत हुए।

इसमें कहा गया है कि दोनों पक्ष मैत्रीपूर्ण परामर्श के माध्यम से सीमावर्ती क्षेत्रों में मिलकर शांति और सौहार्द बनाए रखने पर सहमत हुए हैं।

भारत और चीन चीनी मुख्य भूमि और भारतीय शहरों के बीच जल्द से जल्द सीधी उड़ान संपर्क सेवा फिर से शुरू करने और एक अद्यतन हवाई सेवा समझौते को अंतिम रूप देने पर भी सहमत हुए।

संयुक्त दस्तावेज में कहा गया है कि वे दोनों दिशाओं में पर्यटकों, व्यवसायों, मीडिया और अन्य आगंतुकों के लिए वीजा की सुविधा पर भी सहमत हुए हैं।

इसमें कहा गया है, ‘‘दोनों पक्ष 2026 से चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में मानसरोवर झील/मापाम युन त्सो और कैलाश पर्वत/गंग रेनपोछे की भारतीय तीर्थयात्रा को जारी रखने तथा उसके पैमाने का और विस्तार करने पर सहमत हुए हैं।’’

डोभाल ने मंगलवार को कहा कि पिछले नौ महीनों में भारत-चीन संबंधों में सुधार आया है, क्योंकि सीमा पर शांति बनी हुई है। उन्होंने चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ सीमा पर तनाव कम करने और संबंधित मुद्दों पर बातचीत की।

डोभाल और वांग ने विशेष प्रतिनिधि तंत्र के ढांचे के तहत 24वें दौर की वार्ता की, जिसके एक दिन पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने चीनी समकक्ष से मुलाकात की थी।

विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि भारतीय पक्ष ने सीमापार आतंकवाद सहित सभी तरह के आतंकवाद के मुद्दे को दृढ़ता से उठाया और याद दिलाया कि शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के मूल उद्देश्यों में से एक आतंकवाद की बुराई का मुकाबला करना है।

चीन में आयोजित होने जा रहे वार्षिक एससीओ शिखर सम्मेलन में एक पखवाड़े से भी कम समय बचा है।

बयान में कहा गया कि जयशंकर ने यारलुंग त्सांगपो (ब्रह्मपुत्र नदी) के निचले हिस्से में चीन द्वारा किए जा रहे एक विशाल बांध के निर्माण के संबंध में भारत की चिंताओं को भी रेखांकित किया, क्योंकि इसका निचले तटवर्ती राज्यों पर प्रभाव पड़ेगा। इसमें कहा गया कि इस संबंध में अत्यधिक पारदर्शिता की आवश्यकता को दृढ़ता से रेखांकित किया गया।

विदेश मंत्रालय ने कहा कि विशेष प्रतिनिधि (एसआर) वार्ता में ‘‘तनाव कम करने, परिसीमन और सीमा मामलों’’ से संबंधित मुद्दों पर चर्चा हुई।

टेलीविजन पर प्रसारित अपने आरंभिक संबोधन में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने विशेष प्रतिनिधि वार्ता के पिछले दौर के लिए पिछले दिसंबर में अपनी बीजिंग यात्रा को याद किया और कहा कि तब से दोनों पक्षों के बीच संबंधों में ‘‘उन्नति की प्रवृत्ति’’ रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘सीमाएं शांत हैं, शांति एवं सौहार्द बना हुआ है, हमारे द्विपक्षीय संबंध और अधिक ठोस हो गए हैं।’’

डोभाल ने औपचारिक रूप से यह भी घोषणा की कि मोदी 31 अगस्त और एक सितंबर को तियानजिन में आयोजित होने वाले एससीओ शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन का दौरा करेंगे। उन्होंने कहा कि इस यात्रा के मद्देनजर विशेष प्रतिनिधियों की वार्ता ने ‘‘बहुत विशेष महत्व’’ हासिल कर लिया है।

डोभाल ने पिछले वर्ष अक्टूबर में रूसी शहर कज़ान में एक बहुपक्षीय कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच हुई वार्ता का भी उल्लेख किया और कहा कि तब से दोनों पक्षों को बहुत लाभ हुआ है।

डोभाल ने कहा, ‘‘जो नया माहौल बना है, उससे हमें उन विभिन्न क्षेत्रों में आगे बढ़ने में मदद मिली है, जिन पर हम काम कर रहे थे।’’

मोदी और चिनफिंग के बीच बैठक भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में शेष दो टकराव बिंदुओं देपसांग और डेमचोक से सैनिकों को पीछे हटाने के समझौते के दो दिन बाद हुई थी।

दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य बनाने के लिए विशेष प्रतिनिधियों के बीच वार्ता सहित कई तंत्रों को पुन: क्रियान्वित करने का निर्णय लिया था।

चीनी विदेश मंत्री ने अपने वक्तव्य में कहा कि दोनों पक्षों को ‘‘रणनीतिक संचार के माध्यम से आपसी विश्वास बढ़ाना चाहिए, आदान-प्रदान और सहयोग के माध्यम से साझा हितों का विस्तार करना चाहिए, तथा सीमाओं पर विशिष्ट मुद्दों का उचित ढंग से समाधान करना चाहिए।’’

वांग ने कहा, ‘‘हम यह देखकर प्रसन्न हैं कि अब सीमाओं पर स्थिरता बहाल हो गई है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अब द्विपक्षीय संबंधों में सुधार और विकास का एक महत्वपूर्ण अवसर है। चीनी पक्ष हमारे निमंत्रण पर एससीओ शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री की चीन यात्रा को बहुत महत्व देता है।’’

विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि दोनों विदेश मंत्रियों के बीच चर्चा में साझा हित के द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा हुई।

इसने कहा कि भारतीय पक्ष ने सीमापार आतंकवाद सहित सभी तरह के आतंकवाद के मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाया तथा याद दिलाया कि एससीओ के मूल उद्देश्यों में से एक आतंकवाद की बुराई का मुकाबला करना था।

मंत्री वांग ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि आतंकवाद का मुकाबला करने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

विशेष प्रतिनिधि वार्ता में दोनों पक्षों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति और सौहार्द बनाए रखने पर विचार-विमर्श किया।

भाषा सिम्मी सुरेश

सुरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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