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गुरूवार, 22 मई, 2025
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महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ने से न्यायपालिका की गुणवत्ता में सुधार आएगा : न्यायालय

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नयी दिल्ली, 22 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि न्यायपालिका में महिलाओं का अधिक प्रतिनिधित्व होने से न्यायिक निर्णय लेने की समग्र गुणवत्ता में ‘काफी सुधार’ आएगा और इसका महिलाओं को प्रभावित करने वाले मामलों पर प्रभाव पड़ेगा।

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि न्यायपालिका में महिलाओं की अधिक भागीदारी से लैंगिक समानता को व्यापक रूप से बढ़ावा देने में भी भूमिका निभायी जा सकती है और देश को ऐसे न्यायिक बल से बहुत लाभ होगा जो सक्षम, प्रतिबद्ध और सबसे महत्वपूर्ण रूप से विविधतापूर्ण हो।

न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने इसी के साथ राजस्थान की एक महिला न्यायिक अधिकारी को सेवा में बहाल करने का आदेश दिया, जिन्हें फरवरी 2019 में दो साल की अवधि के लिए परिवीक्षा पर नियुक्त किया गया था।

पीठ ने कहा कि उसे कोई स्थानांतरण आदेश जारी नहीं किया गया था और मई 2020 में उसे यह कहते हुए सेवा से हटा दिया गया था कि वह राजस्थान न्यायिक सेवा में स्थायी होने के लिए उपयुक्त नहीं थी।

अनुसूचित जनजाति वर्ग से ताल्लुक रखने वाली महिला ने 2017 में राजस्थान न्यायिक सेवा परीक्षा उत्तीर्ण की थी, उस समय वह एक चिकित्सा स्थिति का भी सामना कर रही थी।

शीर्ष अदालत का फैसला राजस्थान उच्च न्यायालय के अगस्त 2023 के आदेश के खिलाफ उनकी अपील पर आया, जिसमें कारण बताओ नोटिस और सेवा समाप्त करने के फैसले में कोई राहत देने से इनकार कर दिया था।

अदालत ने टिप्पणी की, ‘‘अपीलकर्ता को मामूली अनियमितता (चूक) के लिए मृत्युदंड दिया गया है।’’

पीठ ने कहा कि न्यायपालिका में महिलाओं की प्रभावी भागीदारी को समग्र रूप से समझने के लिए तीन मुख्य घटनाओं पर गौर करना जरूरी है – कानूनी पेशे में उनका प्रवेश, पेशे में उनकी संख्या में वृद्धि और बने रहना तथा पेशे के वरिष्ठ पदों पर महिलाओं की उन्नति।

इसमें कहा गया है कि कई लोगों ने इस बात पर जोर दिया है कि न्यायपालिका के भीतर विविधता बढ़ाने और न्यायाधीशों को समाज का प्रतिनिधि बनाने से न्यायपालिका सामाजिक और व्यक्तिगत संदर्भों और अनुभवों पर बेहतर ढंग से प्रतिक्रिया करने में सक्षम होगी।

पीठ ने कहा, ‘‘यह इस तथ्य की मान्यता है कि न्यायपालिका में महिलाओं का अधिक प्रतिनिधित्व होने से न्यायिक निर्णय लेने की समग्र गुणवत्ता में काफी सुधार आएगा और इसका सामान्य रूप से तथा विशेष रूप से महिलाओं को प्रभावित करने वाले मामलों पर प्रभाव पड़ेगा।’’

भाषा धीरज देवेंद्र

देवेंद्र

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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