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बुधवार, 30 अप्रैल, 2025
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मप्र में फ्लाई ऐश तटबंध टूटने की घटना : एनजीटी ने मृतकों के परिवार के लिए मुआवजा की राशि बढ़ाकर 15 लाख की

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नयी दिल्ली, 23 जनवरी (भाषा) राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने मध्य प्रदेश के सिंगरौली में फ्लाई ऐश तटबंध टूटने की घटना में जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों के लिए मुआवजे की राशि 10 लाख से बढ़ाकर 15 लाख रुपये कर दी है।

एनजीटी प्रमुख न्यायमूर्ति ए के गोयल की अगुवाई वाली पीठ ने शेष राशि का भुगतान एक महीने के भीतर करने का निर्देश दिया।

सिंगरौली में रिलायंस के सासन अल्ट्रा मेगा बिजली परियोजना के फ्लाई ऐश (राख) तटबंध में 10 अप्रैल, 2020 को दरार आ गई थी।

पीठ ने कहा, “हम शेष राशि का भुगतान एक माह के भीतर करने का निर्देश देते हैं। यह आदेश मृतकों के वारिसों को उचित मंच पर जाकर अधिक मुआवजे का दावा करने से वंचित नहीं करेगा। यदि दिया गया मुआवजा न्यूनतम मजदूरी से कम है, तो पीपी इस विषय पर कानून का अनुपालन सुनिश्चित कर सकता है, जिसे उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के संबंधित श्रम विभागों द्वारा भी देखा जा सकता है।”

अधिकरण ने कहा कि वैधानिक नियामक पर्यावरण को बहाल करने और ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए समिति (एनजीटी द्वारा गठित) की सिफारिशों के संदर्भ में आगे की सुधारात्मक कार्रवाई कर सकते हैं।

उसने फ्लाई ऐश प्रबंधन और उपयोग मिशन के गठन का भी आदेश दिया, जिसका नेतृत्व संयुक्त रूप से पर्यावरण और वन, कोयला और बिजली मंत्रालय के सचिव और उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव करेंगे।

अधिकरण अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें रिहंद जलाशय में जानबूझकर औद्योगिक अपशिष्ट फेंकने के लिए बिजली परियोजना की पर्यावरणीय मंजूरी को बंद एवं रद्द करने का अनुरोध किया गया था।

याचिका में आरोप लगाया गया कि दरार के कारण, फ्लाई ऐश पूरी कृषि भूमि में फैल गई और कथित तौर पर छह मासूम ग्रामीणों (तीन बच्चों सहित) की मौत हो गई और राख के ढेर के साथ मवेशी रिहंद जलाशय में बह गए।

भाषा

नेहा उमा

उमा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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